दुर्ग: गांव में तीन लोगों की मौत, कारण नहीं ढूंढ पाया स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीणों ने लिया तंत्र-मंत्र का सहारा
दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक में एक गांव में डायरिया का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस प्रकोप से अब तक 3 की लोगों की मौत के साथ 38 लोग चपेट में आ चुके हैं।वहीं दूसरी ओर जिले का स्वास्थ्य विभाग इसका कारण नहीं बता पाया है।
दुर्ग, 20 अगस्त। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक में एक गांव में डायरिया का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस प्रकोप से अब तक 3 की लोगों की मौत के साथ 38 लोग चपेट में आ चुके हैं। घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैम्प लगाकर लोगों का इलाज शुरू किया गया। लेकिन ग्रामीण डायरिया के इलाज से ज्यादा जादू टोना होने को लेकर बैगा से गांव का कथित रूप से बंधन कराया। वहीं दूसरी ओर जिले का स्वास्थ्य विभाग इस जानलेवा डायरिया का कारण नहीं बता पाया है।
इलाज
से
ज्यादा,
तंत्र-मंत्र
पर
ग्रामीणों
को
भरोसा
धमधा
का
गांव
धौराभाठा
31
जुलाई
से
यहां
डायरिया
कहर
बनकर
टूटा
है।
तीन
की
मौत
हो
चुकी
है।
36
लोग
अब
तक
चपेट
में
आ
चुके
हैं।
हेल्थ
विभाग
की
टीम
यहां
पिछले
10
दिनों
से
डेरा
जमाए
हुए
हैं।
ताकि
स्थिति
को
नियंत्रित
किया
जा
सके।
इन
सबके
बीच
पूरा
गांव
इस
त्रासदी
को
दैवीय
प्रकोप
मान
रहा
है।
उन्हें
लगता
है
कि
बैगा
गुनिया
ही
इस
बीमारी
से
उन्हें
बचा
सकते
हैं।
इसके
लिए
गांव
वालों
ने
अन्य
गांव
से
कथित
बैगा
को
बुलाकर
गांव
का
बंधन
प्रक्रिया
सम्पन्न
कराया।
गांव के लोगों को डायरिया से बचाने के लिए तंत्र मंत्र की प्रक्रिया सम्पन्न कराने के लिए कथित बैगा ने ग्रामीणों को एक लाख का खर्चा बताया। जिस पर सरपंच पन्नू राम साहू की अगुवाई में हर घर से चंदा वसूला गया। गांव भर के 210 घरों में प्रत्येक से 400 रुपए लेकर 84 हजाररुपए इकट्ठा किया गया। इस पैसे को बैगा को देना तय हुआ। इसके बाद गुरुवार को पास के गांव से बैगा पहुंचा और गांव वासियों को दैवीय प्रकोप बताकर पूरे गांव को मंत्र साधना से बांधने की बात कही।
चार
बार
ले
चुके
पानी
का
सैम्पल,
इसलिए
टूटा
भरोसा
ब्लॉक
मेडिकल
ऑफिसर,
धमधा
डॉ.
डीपी
ठाकुर
और
तहसीलदार
अखिलेश
देशलहरे
शुक्रवार
को
एक
बार
फिर
गांव
धौराभाठा
पहुंचे
थे।
उन्होंने
गांव
वालों
को
डायरिया
फैलने
का
वैज्ञानिक
कारण
बताने
का
दावा
किया
है।
इधर
स्वास्थ्य
विभाग
ने
लगातार
गांव
में
कैंप
जारी
रखने
और
आसपास
के
गांव
के
लोगों
को
भी
एहतियात
बरतने
की
सलाह
दिए
जाने
की
बात
कही
है।
गांव
धौराभांठा
में
फैले
डायरिया
के
कारणों
का
पता
लगाने
के
लिए
शुक्रवार
को
प्रशासन
के
पीएचई
विभाग
की
टीम
चौथी
गांव
में
पहुंची
थी।
इससे
3,
8
और
16
अगस्त
के
बाद
चौथी
बार
पानी
का
सैंपल
लेकर
जल्द
ही
रिपोर्ट
देने
का
भरोसा
दिया
गया
है।
इसलिए
टूट
गया
ग्रामीणों
का
भरोसा
गांव
के
3
लोगों
की
मौत
व
38
लोगों
के
बीमार
पड़ने
के
बाद
भी
बीमारी
के
कारणों
का
पता
नही
लगाने
के
कारण
ग्रामीणों
का
भरोसा
स्वास्थ्य
विभाग
से
टूट
चुका
है।
इसलिए
उन्होंने
बैगा
बुलाने
की
योजना
बनाई।
वहीं
दूसरी
ओर
गांव
में
पहली
मौत
के
बाद
से
ही
स्थानीय
जल
स्रोतों
से
पानी
पीने
की
लगाई
पाबंदी
गई
थी।
लोगों
की
पेयजल
के
लिए
प्रशासन
रोज
टैंकर
से
पानी
की
आपूर्ति
कर
रहा
है।
स्वास्थ
विभाग
की
टीम
भी
नए
डायरिया
मरीजों
के
इलाज
के
लिए
उपस्थित
है।
बीएमओ
बोले,
जल्द
कारण
स्पष्ट
करेंगे
गांव
में
बीमारी
फैलने
से
लेकर
अब
तक
मामले
के
जांच
अधिकारी
व
धमधा
बीएमओ
डॉ.
डीपी
ठाकुर
ने
बताया
कि
धौराभाठा
में
पहली
मौत
के
बाद
से
कारण
बताने
पीएचई
डिपार्टमेंट
में
तीन
बार
सैंपल
लिया
है।
अभी
तक
एक
भी
लिखित
रिपोर्ट
मुझे
नहीं
मिली
है।
ऐसे
में
डायरिया
का
प्रमुख
वैज्ञानिक
कारण
बताना
संभव
नहीं
है।
गांव
में
हेल्थ
कैम्प
लगाकर
जांच
किया
जा
रहा
है।