दुर्ग: रंगीन मछलियों ने भरी महिलाओं की जिंदगी में रंग, ऑर्नामेंट फिशिंग से स्व-सहायता समुहें बनी आत्मनिर्भर
जिला पंचायत दुर्ग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अश्विनी देवांगन ने बताया कि मत्स्य विभाग के सहयोग से चंदखुरी में स्वसहायता समूह की महिलाओं को आर्नामेंटल फिशिंग के लिए तैयार किया गया है।
दुर्ग, 30 जुलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में महिलाएं मछलियां बेचकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है। इन महिलाओं को व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए राज्य सरकार का कृषि विभाग का सहयोग कर रहा है। अब वे गांव में ही समूह बनाकर अपनी मेहनत व लगन से इस व्यवसाय को बढाने में लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजनाओं का लाभ अब इन समूहों को भी मिल रहा है। दुर्ग जिले के ग्राम चंदखुरी की महिलाओं द्वारा चंदखुरी गौठान में एक्वेरियम के लिए रंगीन मछलियां तैयार की जा रही हैं। मत्स्य विभाग ने इसके लिए मछलियां दिए थे और अब इन मछलियों के बच्चे भी तैयार हो रहे हैं।
महिलाएं
कर
रही
ऑर्नामेंटल
फिशिंग
जिला
पंचायत
दुर्ग
के
मुख्य
कार्यपालन
अधिकारी
अश्विनी
देवांगन
ने
बताया
कि
मत्स्य
विभाग
के
सहयोग
से
चंदखुरी
में
स्वसहायता
समूह
की
महिलाओं
को
आर्नामेंटल
फिशिंग
के
लिए
तैयार
किया
गया
है।
आर्नामेंटल
फिशिंग
के
क्षेत्र
में
बड़ी
संभावनाएं
हैं,
क्योंकि
इसे
विकसित
करने
के
लिए
सरकार
द्वारा
काफी
बड़ी
मात्रा
में
सब्सिडी
प्रदान
की
जा
रही
है।
इस ऑर्नामेंट फिसिंग को राज्य सरकार बढ़ावा दे रही है। इसके लिए समूहों को तीन लाख रुपये का छोटा सा यूनिट लगाएं तो सरकार की ओर से इसके विस्तार के लिए सामान्य वर्ग के लोगों को एक लाख 20 हजार और एससीएसटी वर्ग के लोगों के लिए एक लाख 80 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है। मत्स्य विभाग अधिकारियों ने बताया कि इसका उत्पादन भी बहुत आसान है। आक्सीजन सप्लाई बस करनी है कुछ तकनीकी पैरामीटर पर नजर रखनी है जो बिल्कुल सामान्य हैं। मत्स्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से इसके लिए तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
देश में रंगीन मछलियों की डिमांड बहुत है लेकिन इसका उत्पादन बहुत कम है। गौठानों में इसे अपनाने को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा मत्स्य विभाग ने इस बड़े मार्केट से हितग्राहियों को जोड़ने प्रयास तेज कर दिए हैं। दुर्ग जिले के ग्राम चंदखुरी की महिलाओं ने बताया अब वे अन्य राज्यों से भी रंगीन मछलियां लाकर उसका पालन कर रही है, इससे उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है। जिससे वे आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।
गौठानों
में
विकसित
हो
रही
मछलियां
दुर्ग
जिले
के
चंदखुरी
गौठान
में
रंगीन
मछलियों
का
उत्पादन
जय
शक्ति
स्वसहायता
समूह
की
महिलाएं
कर
रही
हैं।
समूह
की
अध्यक्ष
दीपिका
चंद्राकर
ने
बताया
कि
हमने
अभी
500
मछलियों
का
यूनिट
शुरू
किया
हैं।
ये
मछलियां
बच्चे
भी
दे
रही
हैं।
एक
पीस
की
कीमत
20
रुपये
होती
है।
इस
प्रकार
इनका
तेजी
से
उत्पादन
होने
से
लाभ
की
काफी
संभावना
है।
गौठान
समिति
के
अध्यक्ष
मनोज
चंद्राकर
ने
बताया
कि
कोलकाता
में
इसका
बड़ा
बाजार
है।
हम
एक्वेरियम
भी
तैयार
करने
की
सोच
रहे
हैं
ताकि
इसे
सी
मार्ट
जैसे
माध्यमों
से
बेचा
जा
सके।
महिलाओं
के
अनुसार
आरंभिक
स्तर
पर
एक
से
दो
लाख
रुपये
तक
आय
की
संभावना
बनती
है।
रंगीन
मछलियों
का
बढ़
रहा
व्यापार
अभी
यहां
गप्पी,
मौली
और
स्वार्ड
टेल
जैसी
मछलियों
का
उत्पादन
हो
रहा
है।
मत्स्य
निरीक्षक
ने
बताया
कि
हर
पंद्रह
दिन
में
मछलियों
की
ग्रोथ
पर
नजर
रखी
जा
रही
है।
चंदखुरी
में
हो
रहा
यह
प्रयोग
सफल
रहा
है।
इससे
बड़ी
उम्मीद
जगी
है।
उन्होंने
बताया
कि
आर्नामेंटल
फिश
के
उत्पादन
के
लिए
बहुत
तकनीकी
दक्षता
जरूरी
नहीं
है।
सामान्य
ट्रेनिंग
से
ही
इसे
सीखा
जा
सकता
है।
समूह
की
महिलाओं
से
आसपास
के
क्षेत्र
के
मछली
व्यापारी
मछली
खरीदने
पहुंचते
हैं।
ऐसे
ही
रंगीन
मछलियों
का
व्यवसाय
करने
वाले
एक
व्यापारी
नागेश
कुमार
ने
बताया
"पहले
अन्य
प्रदेशों
से
वे
रंगीन
मछलियां
खरीदा
करते
थे,
जिससे
नुकसान
भी
उठाना
पड़ता
था
लेकिन
अब
उन्हें
पास
में
ही
मछलियां
मिल
जाने
से
उनकी
भी
आमदनी
बढ़ी
है।