किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह और UAPA का केस नहीं हुआ दर्ज, गृह मंत्रालय ने दी जानकारी
नई दिल्ली, 4 अगस्त। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह या गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कोई कार्रवाई नहीं की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद में इस बारे में जानकारी दी है।
राज्यसभा में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वाम के एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2020 से 20 जुलाई 2021 तक किसान आंदोलन के संबंध में दिल्ली पुलिस ने 183 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिन भी लोगों को चार्ज किया गया था वे सभी जमानत पर बाहर हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया "दिल्ली पुलिस के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दर्ज किसी भी केस में राजद्रोह या कोई भी आतंकवाद विरोधी कानून की धारा जैसे यूएपीए नहीं लगाई गई है।
26
जनवरी
को
हुई
थी
हिंसा
26
जनवरी
2021
को
गणतंत्र
दिवस
के
दिन
दिन
कृषि
कानूनों
के
खिलाफ
प्रदर्शन
कर
रहे
किसानों
ने
ट्रैक्टर
परेड
निकाली
थी।
इसके
पहले
केंद्र
सरकार
ने
कई
दौर
की
वार्ता
में
इस
परेड
को
टालने
की
कोशिश
की
लेकिन
ऐसा
नहीं
हो
सका।
बाद
में
दिल्ली
पुलिस
ने
दिल्ली
के
बाहरी
इलाके
से
ट्रैक्टर
परेड
को
निकालने
की
अनुमति
दी।
लेकिन
ट्रैक्टर
परेड
के
दौरान
किसानों
के
एक
दल
ने
रूट
तोड़
दिया
और
ट्रैक्टर
लेकर
राजधानी
में
घुस
गए
जो
बढ़कर
लाल
किले
तक
पहुंच
गया
था
जहां
पर
पुलिस
और
किसानों
के
बीच
संघर्ष
हुआ
था
जिसमें
कई
लोगों
को
चोटें
आई
थीं।
75वें स्वतंत्रता दिवस से 2 हफ्ते पहले भाजपा ने भिवानी से शुरू की 'तिरंगा यात्रा', हजारों किसान जुटे
मामले में दिल्ली पुलिस ने मई में 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इसमें अभिनेता दीप सिद्धू और गैंगस्टर से एक्टिविस्ट बने लक्खा सिधाना का भी नाम शामिल था और इन्हें मुख्य षणयंत्रकर्ता बताया गया था।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह, दंगा करने, जान से मारने की कोशिश, डकैती और हिंसा समेत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था।
सदन
में
हंगामा
कृषि
कानूनों
के
खिलाफ
बैठे
किसानों
के
समर्थन
में
बुधवार
को
संसद
में
जमकर
हंगामा
हुआ।
राज्यसभा
में
आल
इंडिया
तृणमूल
कांग्रेस
के
छह
सांसद
तख्तियां
लेकर
पहुंच
गए
और
नारेबाजी
करने
लगे।
हंगामे
की
वजह
से
राज्यसभा
की
कार्यवाही
स्थगित
करनी
पड़ी।
हंगामा
करने
वाले
6
सांसदों
को
एक
दिन
के
लिए
सस्पेंड
कर
दिया
गया।