निर्भया केस: फांसी से पहले आखिरी घंटे कहां बिताते हैं कैदी
दिल्ली। 2012 के दिल्ली गैंगरेप-मर्डर केस में दोषियों को फांसी पर लटकाने को लेकर फैसला किसी भी वक्त आ सकता है। दोषियों के डेथ वारंट पर साइन होने के बाद फांसी की तारीख जेल प्रशासन के सुझाव के बाद तय की जाती है और उसे फांसी कोठी में शिफ्ट कर दिया जाता है। फांसी कोठी में शिफ्ट करने के बाद शुरू हो जाती है, फांसी देने की प्रक्रिया। फांसी कोठी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। आई ये आज हम आपको बताते है कि फांसी से पहले कैदी को कहां रखा जाता है।
फांसी कोठी का नक्शा बनाया गया था अंग्रेजों के जमाने में
तिहाड़ जेल के नक्शे में फांसी घर का नक्शा अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था, जिसके हिसाब से फांसी घर का निर्माण हुआ। जिसे अब फांसी कोठी भी कहते हैं। बता दें कि फांसी कोठी में रह रहे कैदी और वहां के सिक्योरिटी गार्ड को जेल में क्या गतिविधि चल रही है इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं हो पाती। क्योंकि ये फांसी कोठी तिहाड़ में जेल नंबर तीन में कैदियों के बैरक से काफी दूर बिल्कुल अलग-थलग सुनसान जगह पर होती है।
ऐसी होती है फांसी कोठी
एक छोटा सा कमरा, एक कंबल, पीने के लिए पानी और चारों ओर घना अंधेरा, जहां कैदी को रखा जाता है। इस कमरे को फांसी घर या फांसी कोठी भी कहा जाता है। बता दें कि जब कैदी फांसी कोठी में होता है तो उस दौरान सिक्योरिटी के अलावा कोई भी वहां पर मौजूद नहीं होता है। ये कमरा कैदियों की बैरक से काफी दूर बिल्कुल अलग-थलग सुनसान जगह पर होता है।
जानें क्या होती है डेथ सेल और फांसी कोठी
तिहाड़ की जेल नंबर तीन में फांसी कोठी है, उसी बिल्डिंग में कुल 16 डेथ सेल हैं। डेथ सेल यानी वो जगह जहां सिर्फ उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें मौत की सज़ा मिली है। बता दें कि डेथ सेल एक फांसी कोठी की तरह की दिखने वाला कमरा होता है। जब फांसी की प्रक्रिया शुरू होने वाली होती है तो उसे फांसी कोठी में शिफ्ट कर दिया जाता है। फांसी कोठी और डेथ सेल किसी आम जेल की तरह नहीं होते हैं, ये इतने खतरनाक हैं कि कैदी जैसे ही इसमें जाता है उसे मृत्यु का एहसास होने लगता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि ये कमरे किसी मौत के कुएं से कम नहीं है। बता दें कि 24 घंटे में सिर्फ आधे घंटे के लिए उसे बाहर निकाला जाता है, वो भी टहलने के लिए।
स्पेशल पुलिस करती है फांसी कोठी में कैदी की सुरक्षा
जानकर हैरानी होगी कि जहां पर कैदी को फांसी देने से पहले रखा जाता है वहां की रखवाली जेल प्रशासन नहीं करता, बल्कि फांसी कोठी और डेथ सेल की पहरेदारी तमिलनाडु स्पेशल पुलिस करती है। दो-दो घंटे की शिफ्ट में इनका काम सिर्फ और सिर्फ मौत की सजा पाए कैदी पर नजरें रखने का होता है।
बरती जाती है विशेष सावधानियां
फांसी से पहले कैदी अपने आप को कोई नुकसान न पहुंचा ले इसके लिए विशेष सावधानी बरती जाती है। जिस कैदी को फांसी मिल गई होती है उस कैदी को किसी भी प्रकार के ऐसे कपड़े पहनने के लिए नहीं दिए जाते, जिससे वह खुद को नुकसान पहुंचा सके। डेथ सेल के कैदियों को बाकी और चीज तो छोड़िए पायजामे का नाड़ा तक पहनने नहीं दिया जाता।