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गुनहगारों को फांसी पर लटकते हुए अपनी आंखों से देखना चाहती हैं निर्भया की मां

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद निर्भया और उसके परिवार को अब जाकर न्याय मिला है। सभी दोषियों की फांसी में केवल 11 दिन शेष हैं। इस दौरान निर्भया की मां आशा देवी ने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कोर्ट और तिहाड़ जेल प्रशासन को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इच्छा जाहिर की है कि वे चारों गुनहगारों को फांसी पर लटकते हुए अपनी आंखों से देखना चाहती हैं।

'बेटी के साथ जो भी हुआ उसने एक जिम्मेदारी दे दी'

'बेटी के साथ जो भी हुआ उसने एक जिम्मेदारी दे दी'

उन्होंने कहा कि जब तक वे सभी दोषियों की आखिरी सांस निकलते हुए नहीं देखेंगी चैन नहीं मिलेगा। अब वो लोग कितनी भी पिटीशन फाइल कर लें, बचने वाले नहीं हैं। आशा देवी ने कहा कि बेटी के साथ हुई इस वारदात से पहले वो एक घरेलू औरत थीं। घर और बच्चों की जिम्मेदारी के अलावा कुछ भी नहीं दिखा। लेकिन बेटी के साथ जो भी हुआ उसने एक जिम्मेदारी दे दी।

' मैं उन्हें फांसी पर लटकते हुए देखना चाहती हूं '

' मैं उन्हें फांसी पर लटकते हुए देखना चाहती हूं '

साथ ही उन्होंने कहा कि वारदात के बाद मैं कभी अपना घर नहीं देख सकी। दिन रात कोर्ट और कागजी कार्रवाई में लगा दिए। मैं और मेरा भगवान ही जानता है कि आजतक मैं कभी चैन से नहीं सो सकी और अभी सोऊंगी भी नहीं क्योंकि अभी मैं उन्हें फांसी पर लटकते हुए देखना चाहती हूं। बता दें कि निर्भया गैंगरेप के चार गुनहगारों में से एक विनय कुमार शर्मा के बाद मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है।

कोर्ट ने जारी किया था डेथ वारंट

कोर्ट ने जारी किया था डेथ वारंट

इससे पहले, अन्य दोषी विनय कुमार शर्मा ने फांसी से बचने के आखिरी प्रयास में क्यूरेटिव पिटिशन डाली थी। दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है लिहाजा क्यूरेटिव पिटिशन ही अब उनके लिए आखिरी कानूनी विकल्प है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को निर्भया के चारों दुष्कर्मियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया था।

याचिका में अच्छे आचरण का किया उल्लेख

याचिका में अच्छे आचरण का किया उल्लेख

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितयों, उसके बीमार माता-पिता सहित परिवार के आश्रितों और जेल में उसके अच्छे आचरण और उसमें सुधार की गुंजाइश के बिन्दुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है और जिसकी वजह से उसके साथ न्याय नहीं हुआ है। याचिका में कहा गया है कि उसे और अन्य को सजा देने के बारे में कोर्ट ने अपने फैसले में 'समाज के सामूहिक अंत:करण' और 'जनता की राय' को आधार बनाया है।

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English summary
new delhi supreme court nirbhaya mother written a letter to court and tihad jail administration
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