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यौवन प्राप्त करने के बाद मुस्लिम लड़की माता-पिता की मर्जी के बगैर शादी कर सकती है- दिल्ली HC का बड़ा फैसला

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नई दिल्ली, 23 अगस्त: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम लड़की के अपनी मर्जी से शादी करने के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो भविष्य में इस तरह के विवादों के लिए एक कानूनी नजीर बन सकता है। मामला इसी साल का है। एक मुस्लिम लड़की ने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ अपने प्रेमी से शादी रचा ली। माता-पिता के आरोपों के मुताबिक उनकी बेटी नाबालिग है। उसके परिवार वालों की शिकायत पर उसके पति के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत वह तमाम धाराएं लगाईं, जो कि ऐसे मामलों में लगाए जाते हैं। लड़की गर्भवती हो चुकी थी। लेकिन, फिर भी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के निर्देश पर उसे उसके पति से अलग निर्मल छाया में रख दिया गया था। लेकिन, अब दिल्ली हाई कोर्ट ने लड़की को ना सिर्फ पति के साथ रहने की इजाजत दे दी है, बल्कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।

मुस्लिम लड़की की मर्जी से शादी, दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

मुस्लिम लड़की की मर्जी से शादी, दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम कानूनों के तहत एक लड़की यौवन प्राप्त करने के बाद 'अपने माता-पिता की मर्जी के बगैर शादी कर सकती है' और उसे अपने पति के साथ रहने का हक है, चाहे वह नाबालिग ही क्यों ना हो। दिल्ली हाई कोर्ट की जज जस्टिस जसमीत सिंह ने यह बात एक मुस्लिम दंपति के मामले में कहा है, जिन्होंने पिछले 11 मार्च को लड़की के माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी। तब लड़का 25 साल का था और लड़की के माता-पिता और पुलिस के दावे के मुताबिक लड़की सिर्फ 15 साल की ही थी। हालांकि, लड़की के वकील ने अदालत में जो आधार कार्ड पेश किया था, उसके मुताबिक वह 19 साल से ज्यादा की है।

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Delhi HC का बड़ा फैसला, Muslim लड़कियों की शादी को लेकर कही ये बात | वनइंडिया हिंदी | *News
'यौवन प्राप्त कर चुकी मुस्लिम लड़की को मर्जी से शादी का अधिकार'

'यौवन प्राप्त कर चुकी मुस्लिम लड़की को मर्जी से शादी का अधिकार'

17 अगस्त को अपने आदेश में जस्टिस सिंह ने कहा कि 'मुस्लिम कानून के हिसाब से यह स्पष्ट है कि जो लड़की यौवन प्राप्त कर चुकी है, वह बिना माता-पिता की मर्जी के शादी कर सकती है और उसे अपने पति के साथ रहने का अधिकार है, चाहे उसकी उम्र 18 साल से कम ही क्यों ना हो और या फिर लड़की नाबालिग ही क्यों ना हो।' दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश की यह पूरी कॉपी सोमवार शाम को जारी की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें अदालत ने 'सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला की प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ' किताब का संदर्भ दिया था।

क्या था विवाद ?

क्या था विवाद ?

अदालत ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि अगर लड़की ने अपनी शादी के लिए हामी भरी है और वह खुश है, तो राज्य सरकार को उसके निजी मामले में घुसने और दंपति को अलग करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा, 'ऐसा करना सरकार द्वारा निजी दायरे के अतिक्रमण के समान होगा।' दोनों युवा विवाहित जोड़ी ने अप्रैल में कोर्ट से गुजारिश की थी कि उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए और यह निर्देश देकर सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी उन दोनों को एक-दूसरे से अलग ना कर सके। इससे पहले 5 मार्च को लड़की के माता-पिता ने द्वारका में पुलिस में केस दर्ज करवाया था कि उनकी नाबालिग बच्ची का अपहरण कर लिया गया है। बाद में इस केस में आईपीसी की धारा 376 (रेप) और पॉक्सो ऐक्ट की धारा 6 (जबरिया यौन हमला) भी जोड़ा गया था।

निर्मल छाया कॉम्पलेक्स में रखी गई थी लड़की

निर्मल छाया कॉम्पलेक्स में रखी गई थी लड़की

लेकिन, लड़की ने कोर्ट से कहा कि उसके माता-पिता उसे हमेशा पीटते हैं और उसकी किसी दूसरे से जबरन शादी करवाने की कोशिश कर चुके हैं। बहरहाल, पुलिस ने लड़की को उस व्यक्ति के कब्जे से 27 अप्रैल को छुड़ा लिया था और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया था। सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर उसे हरिनगर स्थित निर्मल छाया कॉम्पलेक्स में रखा गया था। लड़की के वकील ने अदालत के सामने दलील दी थी कि वह गर्भवती है और उस व्यक्ति के पास अपनी मर्जी से गई थी।

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हाई कोर्ट ने लड़की को दी पति के साथ रहने की अनुमति

हाई कोर्ट ने लड़की को दी पति के साथ रहने की अनुमति

जस्टिस जसमीत सिंह ने मौजूदा केस में तमाम साक्ष्यों को देखने के बाद कहा कि 'मौजूदा केस में, यह उत्पीड़न का मामला नहीं है, बल्कि यह ऐसा केस है, जिसमें याचिकाकर्ताओं के बीच में प्यार था, मुस्लिम कानूनों के मुताबिक शादी हुई और उसके बाद शारीरिक संबंध बने थे।' अदालत ने यह भी कहा कि दोनों पति-पत्नी की तरह रहे थे और ऐसे कोई आरोप नहीं थे कि दोनों ने शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाए थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी मर्जी से शादी की, इसलिए इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर इन्हें अलग किया जाता है तो यह लड़की और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ और भी बुरा होगा। इसके साथ ही अदालत ने लड़की को अपने पति के साथ रहने की आजादी दे दी और दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को दोनों पति-पत्नी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। (शादियों की तस्वीरें- सांकेतिक)

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English summary
The Delhi High Court has held that under Muslim laws, a girl after attaining puberty can 'marry without the consent of her parents' and has the right to live with her husband
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