दिल्ली एमसीडी चुनाव में केजरीवाल का महिला शक्ति पर दांव, कोटे से अधिक सीटें देने के क्या हैं मायने?
केजरीवाल की पार्टी का ये कदम महिला शक्ति को बढ़ावा देने वाला माना जा सकता है। स्थानीय स्तर पर महिलाओं को मौका देने के कई मायने हो सकते हैं लेकिन एक बात साफ है कि स्थानीय चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं।
दिल्ली एमसीडी चुनाव में ये पहला मौका है जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने तय कोटे से महिलाओं को अधिक मौका दिया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अस्थानीय चुनाव में महिलाओं को इस तरह के मौके अब तक नहीं मिले थे। केजरीवाल (Arvid Kejriwal) की पार्टी की ये कदम महिला शक्ति (Women Empowerment) को बढ़ावा देने वाला माना जा सकता है। स्थानीय स्तर पर महिलाओं को मौका देने के कई मायने हो सकते हैं लेकिन एक बात साफ है कि स्थानीय चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं। यहां मतदाता अपने प्रत्याशी से व्यक्तिगत तौर पर जुड़कर वोट करते हैं। ऐसे में कई बार पार्टी की इमेज वाला फैक्टर यहां पीछे रह जाता है। लेकिन मूल प्रश्न ये है कि आम आदमी पार्टी ने इस बार तय कोटे से अधिक महिलाओं को मौका क्यों दिया है?
आम आदमी पार्टी केवल उन्हीं सीटों पर महिलाओं को मौका नहीं दिया, जो पहले से ही महिलाओं के लिए आरक्षित थीं बल्कि कई अनारक्षित सीटों पर भी महिलाओं को अवसर दिया गया है। दरअसल, दिल्ली एमसीडी की 250 सीटों में 125 महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इन 125 सीटों पर आम आदमी पार्टी की महिला प्रत्याशी तो मैदान में हैं ही इसके अलावा भी 13 सीटों पर महिला प्रत्याशियों आप ने मौका दिया है।
यानी कि कुल मिलाकर एमसीडी की 250 सीटों में से 138 सीटों पर आम आदमी पार्टी की महिला प्रत्याशियों चुनावी मैदान में उतारा गया है। अगर प्रतिशत में आंकड़े की बात करें तो महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण है, जिस हिसाब से उन्हें हर बार सीटें उपलब्ध होती हैं। इसके अतिरिक्त इस बार आम आदमी पार्टी ने 55.2 फीसदी सीटों पर महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया है।
आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव के लिए जिन प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है उनमें 41 महिला प्रत्याशी ऐसी हैं जो मौजूदा पार्षद हैं। पिछले निगम चुनाव में पार्टी के 47 उम्मीदवार जीते थे। बाद में गत वर्ष 4 अन्य सीटों पर भी उप-चुनाव में आप के उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इस लिहाज से देखें तो कुल 51 में से 41 पार्षदों को दोबारा मौका दिया गया है। आम आदमी पार्टी के इस निर्णय से लगता है कि केजरीवाल को उनके महिला पार्षदों पूरा भरोसा है। हालांकि भाजपा ने आप की नकल करते हुए 135 महिलाओं को टिकट दिया है।
दिल्ली की कालकाजी सीट से शिवानी चौहान इस बार आम आदमी पार्टी से अपनी किस्मत आजमा रही हैं। उनकी उम्र महज 23 वर्ष है। वे फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएट हैं। शिवानी का कहना है कि सामान्य सीट से महिला उम्मीदवार को उतारना महिलाओं की शक्ति पर राजनीतिक दलों के बढ़ते विश्वास परिणाम है। ऐसे कई क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी ने नए प्रयोग किए हैं। जहां उनके प्रत्याशी उत्साह के साथ क्षेत्र में निकलकर आम आदमी पार्टी की नीतियों से लोगों को अवगत कराकर समर्थन जुटा रहे हैं।
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ये तो रही आंकड़ों की बात। लेकिन आम आदमी पार्टी अपने इस कदम से दिल्लीवासियों को क्या संदेश देना चाहती है। या फिर यू कहें कि इसका समाज में क्या संदेश जाएगा। दिल्ली, जहां पिछले दिनों महिलाओं की सुरक्षा पर बात होती थी। वहां आप ने महिलाओं का वर्चस्व बढ़ाने का प्रयास किया है। अगर इसे एक सकारत्मक दृष्टि से देखा जाए तो सीधा- सीधा सड़क से संसद तक महिलाओं को अवसर देने के प्रयास की एक कड़ी मानी जा सकती है। क्योंकि चुनाव चाहे छोटा हो या फिर बड़ा अहमित सबकी होती है। महिलाएं जब घरों की चहरदीवारियों से निकलकर समाज सेवा से जुड़ती हैं तो पार्षद बनने के बाद उनका अनुभव निरंतर बढ़ता ही रहता है।