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'ICU बेड है क्या', ट्विटर पर मदद मांगने वाली जामिया की प्रोफेसर डॉ. नबीला का निधन, 7 मई को हुई थी मां की मौत

'ICU बेड है क्या', ट्विटर पर मदद मांगने वाली जामिया की प्रोफेसर डॉ. नबीला का निधन, 7 मई को हुई थी मां की मौत

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नई दिल्ली, 20 मई: दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में की की प्रोफेसर डॉ नबीला सादिक की कोरोना वायरस से मौत हो गई है। डॉ नबीला सादिक की मौत सोमवार (17 मई) को हुई है और नबीला की मौत से 10 दिन पहले यानी 07 मई को उनकी मां की मौत हो गई थी। 3 मई को नबीला सादिक ने ट्विटर के जरिए लोगों से आईसीयू बेड की गुहार लगाई थी। हालांकि काफी परेशानियों के बाद नबीला सादिक को अस्पताल में बेड तो मिला लेकिन तब कर कोरोना संक्रमण उनके फेफड़ों में फैल चुका था। अस्पताल में 13 दिनों तक कोरोना से जूझने के बाद 38 वर्षीय प्रोफेसर डॉ नबीला सादिक का निधन हो गया। 10 दिनों के भीतर अपनी पत्नी और बेटी को खोने वाले 86 साल के डॉ मोहम्मद सादिक भी कोरोना संक्रमित थे। लेकिन वह ठीक हो गए हैं। उन्होंने बेटी की मौत पर कहा, पत्नी नुजहत के चले जाने के बाद सोचा था बेटी के सहारे जिंदगी काट लूंगा....लेकिन अब सिर्फ यादें ही हैं।

Jamia professor

अस्पताल में भर्ती नबीला को नहीं पता था मां के निधन के बारे में

दोस्तों और परिवार ने कहा कि नबीला को अपनी मां की मौत के बारे में पता नहीं था और वह अपने माता-पिता के बारे में चिंता करते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गई। दोस्तों ने यह भी बताया कि जेएनयू की पीएचडी स्कॉलर डॉ नबीला सादिक 20 अप्रैल तक छात्रों को उनकी थीसिस पढ़ा रही थीं और उनकी मदद कर रही थीं।

जामिया में पढने वाली एमए की छात्र लारैब नेयाजी (27) ने कहा, जब मुझे उनके (नबीला) स्वास्थ्य के बारे में पता चला, तो मैं अन्य छात्रों के साथ उनके घर गया, और हम एक बिस्तर की तलाश करने लगे। हमें एक अलशिफा अस्पताल में मिला। दो-चार छात्र हमेशा अस्पताल में रहते थे। इस बीच, हम उनकी मां को संजय गांधी अस्पताल ले गए लेकिन उनकी मौत हो गई। हमने नबीला को इसलिए नहीं बताया क्योंकि उनकी हालत गंभीर थी। "

छात्रों ने कहा कि नबीला एक केयरिंग शिक्षिका थीं, जिन्हे कविताएं लिखना और राजनीति और लिंग सिद्धांत पर चर्चा करना पसंद था। छात्रों ने 7 मई को नबीला की मां के अंतिम संस्कार करने में उनके परिवार की मदद की।

जामिया के एक छात्र वकार ने कहा, "दिल्ली-एनसीआर के हर अस्पताल में ऑक्सीजन बेड पाने के लिए हमने फोन किया था। फिर मेरे दोस्तों ने फरीदाबाद के फोर्टिस अस्पताल में बिस्तर दिलाने में हमारी मदद की। हालांकि तब तक नबीला का ऑक्सीजन का स्तर गिरकर 32% हो गया। सीटी स्कैन के बाद डॉक्टर ने कहा कि उसके फेफड़े खराब हो गए हैं। मुझे उनके सहयोगियों, रिश्तेदारों और दोस्तों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने के लिए हर दिन सैकड़ों फोन आते थे।''

Jamia professor

नबीला ने ट्वीट में कहा था- दिल्ली में कोई जिंदा नहीं रह सकता...

डॉ. नबीला ने 04 मई को ट्विटर पर लिखा था, कोई आईसीयू बेड है क्या? , उसके बाद उन्होंने कुछ घंटे बाद लिखा कि उन्हें बेड मिल गया है। नबीला ने 02 मई को किए अपने ट्वीट में लिखा था, ऐसे हालात में तो दिल्ली में कोई भी जिंदा नहीं रह सकता है।

नबीला के पिता मोहम्मद सादिक ने कहा है कि नबीला के लिए 3 अस्पतालों ने मना कर दिया था। फिर हमें कालिंदी में बेड मिला। अगर उसे वक्त पर सही इलाज मिलता तो शायद वह आज हमारे बीच होती।

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English summary
Jamia professor nabila sadiq who put out Twitter request for icu bed passed away at 38 of Covid
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