DDA ने दिव्यांग अफसर को पहले दी नियुक्ति, 1 घंटे के बाद ही कहा आप हैं विकलांग नहीं कर पाएंगे काम
दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 10 जनवरी के दिन ऋषिराज भाटी की नियुक्ति की, लेकिन उसी दिन 1 घंटे के बाद उन्हें पद से हटा दिया।
नई दिल्ली। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि विकलांगों को उचित सम्मान मिलने के साथ ही उनके लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग किया जाए, वहीं दूसरी केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने विशेष रूप से सक्षम एक अधिकारी को पहले नियुक्त किया और फिर उसकी लाचारी को आधार बताते हुए एक घंटे के भीतर ही पदमुक्त कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ ऋषिराज भाटी बीते 26 साल से दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर चुके हैं। DDA में नियुक्ति से पहले भाटी ने 16 साल दिल्ली ट्रांसको के जनसंपर्क विभाग में काम किया। 10 जनवरी को भाटी ने DDA में बतौर जनसंपर्क अधिकारी जिम्मा संभाला।
बकौल
भाटी,
जिम्मा
संभालने
के
एक
घंटे
के
भीतर
ही
उनसे
कह
दिया
गया
कि
क्योंकि
आप
विकलांग
हैं,
इसलिए
आप
यहां
काम
नहीं
कर
पाएंगे।
यह
अपमानित
करने
जैसा
है।
भाटी
के
मुताबिक
इस
पद
के
लिए
जारी
किए
गए
विज्ञापन
में
कहीं
भी
शारीरिक
क्षमता
जैसी
बात
का
जिक्र
नहीं
था।
पोलियो
के
शिकार
भाटी
सालों
से
अपना
काम
बेहतर
ढ़ंग
से
निपटा
रहे
हैं।
इसी
मुद्दे
पर
भाटी
ने
एक
फेसबुक
पोस्ट
में
लिखा
है-
मैं
दिल्ली
ट्रांसको
में
वापस
आ
गया।
मैंने
यह
सपने
में
भी
नहीं
सोचा
था
कि
विभिन्न
विषयों
में
9
डिग्रियों
और
सेवा
के
26
वर्षों
बाद
भी
मुझे
शारीरिक
अक्षमता
के
आधार
पर
भेदबाव
का
सामना
करना
पड़ेगा।
लिखा
है
कि
बीते
16
साल
से
में
दिल्ली
ट्रांसको
में
बतौर
जनसंपर्क
अधिकारी
वही
काम
कर
रहा
हूं
जो
DDA
में
एक
जनसंपर्क
अधिकारी
को
करना
होता
है।
लिखा
है
कि
यह
मेरे
वार्षिक
प्रदर्शन
की
रिपोर्ट
से
ही
दिखता
है
कि
कार्यकाल
के
14
वर्षों
में
मुझे
एक्सिलेंट
और
अन्य
दो
वर्षों
में
वेरी
गुड
रिमार्क
मिला
है।
DDA
के
उपाध्यक्ष
को
संबोधित
करते
हुए
भाटी
ने
लिखा
है
आप
सोचते
हैं
कि
मैं
अपनी
अक्षमता
की
वजह
से
सही
शख्स
नहीं
हूं,
जिसके
चलते
आपने
मुझे
मेरे
पहले
संस्थान
में
वापस
भेज
दिया।
सर,
मुझे
आपसे
अपनी
क्षमता
का
सर्टिफिकेट
नहीं
चाहिए।
ये
पहले
से
ही
बना
हुआ
है।
लिखा
है
कि
एक
ओर
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
दिव्यांग
सरीखे
नए
शब्द,
सुगम्य
भारत
सरीखी
स्कीम
और
संसद
में
अक्षम
लोगों
को
बराबरी
का
दर्जा
दिलाने
के
लिए
कानून
पास
करा
रहे
हैं,
वहीं
दूसरी
ओर
DDA
के
उपाध्यक्ष
सरीखे
लोग
पीएम
मोदी
की
शुरूआतों
को
खराब
करने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़
रहे
हैं।
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