छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर असमंजस बरकरार, मार्च से पहले राज्यपाल नहीं लेंगी कोई फैसला
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके आरक्षण संशोधन विधेयक पर अभी साइन नहीं करेंगी। रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल अनुसुईया उइके पत्रकारों से कहा कि आरक्षण विधेयक के संबंध में मार्च तक का इंतजार करिए।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर अब भी असमंजस बरकरार है। विधानसभा से पास होने के बाद भी संशोधन विधेयक में राज्यपाल ने दस्तखत नहीं किये हैं। राजभवन संशोधन विधेयक में किये गए प्रावधानों के क़ानूनी पहलुओं से संतुष्ट नहीं है। इधर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल अनुसुईया उईके के रुख से काफी नाराज़ नज़र आ रहे हैं। यह गतिरोध आगे भी जारी रहने वाला है,क्योंकि राज्यपाल ने सरकार को मार्च तक इंतज़ार करने कहा है।
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके आरक्षण संशोधन विधेयक पर अभी साइन नहीं करेंगी। रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल अनुसुईया उइके पत्रकारों से कहा कि आरक्षण विधेयक के संबंध में मार्च तक का इंतजार करिए। गौरतलब है कि 1 और 2 दिसंबर 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र आयोजित करके आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया था। जिसमे बाद विधेयक को राज्यपाल के दस्तखत हेतु राजभवन भेजा गया था,जो भी तक अटका हुआ है। सीएम भूपेश बघेल का इस मामले पर कहना है कि राज्य में सरकारी नौकरियों की भर्ती थमी हुई है। मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त आने वाला है जिसमें राज्यपाल ने हस्ताक्षर करने की बातें कही हैं?
इधर सीएम भूपेश बघेल के बयान पर छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने बयान जारी करके कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी संवैधानिक मर्यादाओं का तो पालन कर नहीं पा रहे हैं। अब लगता है कि शाब्दिक मर्यादा भी भूल गए हैं। वे राज्यपाल से कहते हैं कि मुहूर्त निकालना पड़ेगा। ऐसी भाषा का उपयोग मुख्यमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता। आरक्षण के मामले में मुख्यमंत्री जनता के सवालों से घिर गए हैं और बौखलाहट में अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं।
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वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल द्वारा मार्च तक इंतजार करने को कहना बेहद ही दुर्भाग्यजनक है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जब आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित करवा कर राज्यपाल के पास भेजा है। राजभवन विधेयक को गये लगभग दो महीने होने वाले है तो राज्यपाल किस कारण से मार्च तक इंतजार करने की बात कह रही है? मार्च में ऐसा क्या होने वाला है जो विधेयक पर निर्णय मार्च में ही होगा? आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल का आचरण और बयान दोनों ही संवैधानिक मर्यादा के विपरीत है। राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख की भाषा बोल रही है उनके आचरण से ऐसा लग ही नहीं रहा कि वे संवैधानिक पद पर बैठी है। राज्यपाल भाजपा के पदाधिकारी की भाषा बोल रही है। राज्यपाल आरक्षण संशोधन विधेयक को रोककर प्रदेश के युवाओं और विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।