Chhattisgarh: राज्यपाल के खिलाफ साहू समाज लामबंद, जारी किया फरमान, समाजिक कार्यक्रमों में नहीं बनाएंगे अतिथि
छत्तीसगढ़ में प्रदेश साहू संघ ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने तक साहू संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने राज्यपाल को अपने सामाजिक कार्यक्रमों में नहीं बुलाने का निर्देश जारी किया है।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक को लेकर संशय की स्थिति अब भी बरकरार है। राज्यपाल के दिल्ली दौरे को लेकर भी कांग्रेसी नेता इसके कई मायने निकाल रहे है। इस बीच छत्तीसगढ़ में समाजों द्वारा राज्यपाल का बहिष्कार किया जा रहा है। प्रदेश साहू समाज ने राज्यपाल के खिलाफ सूचना जारी कर दिया है। प्रदेशाध्यक्ष ने अपने निर्देश में सभी जिला अध्यक्षों को कहा है कि जब तक आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं हो जाते तब तक वह अपने किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में राज्यपाल को मुख्य अतिथि नहीं बनाएंगे।
10
दिनों
के
भीतर
हस्ताक्षर
करने
की
अपील
छत्तीसगढ़
की
राज्यपाल
दिल्ली
दौरे
पर
हैं,
और
इस
बीच
साहू
समाज
के
द्वारा
जारी
किए
गए
इस
पत्र
में
कहा
गया
है
कि
छत्तीसगढ़
में
आरक्षण
विधेयक
में
ओबीसी
वर्ग
को
27
प्रतिशत
का
आरक्षण
दिया
गया
है।
जिसमें
हस्ताक्षर
न
करने
ओबीसी
वर्ग
के
अधिकार
का
हनन
होगा।
इसलिए
जब
तक
राज्यपाल
अनुसुइया
उइके
आरक्षण
विधेयक
पर
हस्ताक्षर
नहीं
करेंगी।
तब
तक
प्रदेश
भर
में
कहीं
भी
साहू
समाज
उन्हें
अपने
कार्यक्रम
में
आमंत्रित
नहीं
करेगा।
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
के
माध्यम
से
राज्यपाल
से
10
दिनों
के
भीतर
विधेयक
पर
हस्ताक्षर
करने
का
निवेदन
किया
गया
है।
यह
फैसला
साहू
समाज
के
प्रदेश
कार्यकारिणी
ने
लिया
है।
तय
कार्यक्रम
भी
स्थगित
करने
के
दिये
निर्देश
प्रदेश
अध्यक्ष
टहल
साहू
ने
कहा
है
कि
साहू
समाज
ओबीसी
वर्ग
का
बहुसंख्यक
समुदाय
है।
दुर्ग
बालोद
बेमेतरा
रायपुर
बिलासपुर
सरगुजा
अंबिकापुर
जैसे
जिलों
में
साहू
समाज
की
बहुलता
है।
हस्ताक्षर
नहीं
करने
पर
जिलों
में
कलेक्टर
को
राज्यपाल
के
नाम
ज्ञापन
सौंपा
जाएगा।
इस
तरह
सभी
जिलों
में
राज्यपाल
को
कार्यक्रम
में
आमंत्रित
नहीं
करने
का
निर्देश
जारी
किया
गया
है।
प्रदेश
साहू
संघ
की
ओर
से
जारी
पत्र
में
राज्यपाल
को
अतिथि
के
रूप
में
आमंत्रित
नहीं
करने
और
जहां
कार्यक्रम
तय
हो
चुका
है।
उसे
स्थगित
करने
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
इससे
पहले
सतनामी
समाज
ने
भी
स्थानीय
स्तर
पर
राजनीतिक
दलों
के
जनप्रतिनिधियों
को
कार्यक्रम
में
नहीं
बुलाने
का
निर्णय
लिया
था।
राज्यपाल
के
बयान
पर
कांग्रेस
ने
बोला
था
हमला
दरअसल
बालोद
जिले
के
अंतिम
ग्राम
करेंझर
में
आयोजित
आदिवासी
समाज
के
कार्यक्रम
में
अपने
एक
बयान
में
राज्यपाल
अनुसुईया
उईके
ने
कहा
था
कि
उन्होंने
सरकार
को
केवल
आदिवासी
वर्ग
के
आरक्षण
बढ़ाने
के
लिए
सरकार
को
विशेष
सत्र
बुलाने
का
सुझाव
दिया
था।
लेकिन
सरकार
ने
विधानसभा
में
सबका
आरक्षण
बढ़ा
दिया
है।
इस
बयान
के
बाद
कांग्रेस
नेताओं
ने
राज्यपाल
पर
सीधा
हमला
बोला
था।
राज्यपाल
ने
बताए
थे
संवैधानिक
कारण
इस
मामले
राज्यपाल
का
कहना
है
कि
जब
58%
आरक्षण
को
हाईकोर्ट
में
चुनौती
दी
जा
सकती
है।
तो
फिर
76%
आरक्षण
व्यवस्था
को
सरकार
कैसे
लागू
करेगी।
अगर
मैं
इस
विधेयक
पर
हस्ताक्षर
भी
कर
दूं
और
कल
कोई
कोर्ट
चला
गया।
तो
फिर
क्या
होगा।
राज्य
सरकार
का
तर्क
है
कि
सरकार
ने
सभी
संवैधानिक
पहलुओं
की
पड़ताल
करने
के
बाद
आरक्षण
संशोधन
विधेयक
बनाया
है।
जिससे
कोई
संविधानिक
खतरा
नहीं
होगा।