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मनेन्द्रगढ़ जिला बनाने के लिए 40 साल का संघर्ष, रमाशंकर ने 21 साल बाद कटाई दाढ़ी, जानिए पूरी कहानी

मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने के लिए स्थानीय निवासियों को 40 साल लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। इसके जिसके लिए जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले वर्ष 1983 से मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की मांग उठी थी।

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कोरिया,09 सितम्बर। छत्तीसगढ में आज और दो नए जिलों की शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करने जा रहें हैं। जिसमें मनेन्द्रगढ़- चिरमिरी के रूप में नए जिले की शुरुआत के साथ लोगों की बरसो पूरानी मांग पूरी होने जा रही है। इस मौके पर यहाँ दिवाली जैसा माहौल है। लेकिन मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने के लिए स्थानीय निवासियों को 40 साल लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। इसके जिसके लिए जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले वर्ष 1983 से मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की मांग उठी थी। इसके बाद कई आंदोलन और अनशन पर लोगों को बैठना पड़ा था।

मनेन्द्रगढ़ जिले में शामिल होंगे 412 गांव

मनेन्द्रगढ़ जिले में शामिल होंगे 412 गांव

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2021 को इस जिले के निर्माण की घोषणा की थी। जिसके बाद से ही इसके पृथक करने की तैयारी शुरु कर दी गई थी। कोरिया जिले से अगल होकर बन रहे नवगठित मनेन्द्रगढ़- चिरमिरी भरतपुर( MCB) जिले की जनसँख्या लगभग 4 लाख 11 हजार 515 होगी। इसमें 412 गांव और 233 ग्रामपंचायत शामिल किए गए हैं। वहीं 6 तहसील और एक प्रस्तावित कोटडोल ब्लॉक सहित 4 ब्लॉक होंगे। कोरिया जिले के 101 पटवारी हल्के को इसमें शामिल किया गया है। लेकिन इसके पीछे संघर्ष की कहानी भी बहुत रोचक है।

जानिए नए जिले के संघर्ष की कहानी

जानिए नए जिले के संघर्ष की कहानी

किसी भी कार्य के लिए लगभग सरगुजा जिला मुख्यालय जाने से परेशान जनता ने मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की मांग आज से नही बल्कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही कि जा रही है। जिला बनाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में 1983 में इस मांग शुरू की गई थी। जिसके बाद 29 जनवरी 1983 से क्रमिक आमरण अनशन शुरू किया गया जो 84 दिन तक चला था। मामले में उस समय मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने चर्चा करने मनेंद्रगढ़ से एक प्रतिनिधि मंडल को भोपाल बुलाया। स्व रतन लाल मालवीय के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल को भोपाल पहुंचा।

आयोग की अनुशंसा को कमेटी ने नही माना

आयोग की अनुशंसा को कमेटी ने नही माना

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी को जिला बनाने तत्कालीन मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह ने न्यायमूर्ति बीआर दुबे की अध्यक्षता में आयोग बनाया। जिसमें मनेंद्रगढ़-चिरमिरी को जिला बनाकर दोनों के मध्य स्थित साजा पहाड़ में जिला मुख्यालय बनाने की अनुशंसा की गई थी। स्थल चयन के लिए संभागायुक्त बिलासपुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया गया। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते गठित कमेटी ने आयोग की अनुशंसा को मानने से इनकार कर दिया और बैकुंठपुर को जिला मुख्यालय बनाने प्रतिवेदन भेज दिया। जिससे बैकुंठपुर को स्थायी जिला घोषित किया गया था।

ऐतिहासिक आंदोलन का किया शंखनाद

ऐतिहासिक आंदोलन का किया शंखनाद

मनेन्द्रगढ़ के जगह वर्तमान कोरिया जिले के बैकुंठपुर को जिला घोषित करने से मनेंद्रगढ़ की जनता आक्रोश बढ़ गया, और मनेंद्रगढ़ में एक ऐतिहासिक आंदोलन का बिगुल फूंक दिया गया। तत्कालीन कांग्रेस विधायक स्व गुलाब सिंह ने अपनी सरकार के खिलाफ आम जनता के साथ मिलकर आमरण अनशन शुरु कर दिया था।

14 दिन तक मनेन्द्रगढ़ में लगा रहा कर्फ्यू

14 दिन तक मनेन्द्रगढ़ में लगा रहा कर्फ्यू

इस बीच 14 दिन मनेन्द्रगढ़ में धारा 144 लागू करते हुए, पूरी तरह छावनी में तब्दील कर सशस्त्र पुलिस को मनेन्द्रगढ़ को अपने कब्जे में ले लिया था। यह अनशन एक दो नही बल्कि पूरे 11 महीने चला। अनशन को बलपूर्वक समाप्त करने पुलिस बल ने अनशन करने वालों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया।

85 वर्षीय वृद्धा बच्ची बाई ने शुरू किया आंदोलन

85 वर्षीय वृद्धा बच्ची बाई ने शुरू किया आंदोलन

पुरुषों को हिरासत में लिए जाने के बाद आंदोलन को खत्म होता देख 85 वर्षीय वृद्धा बच्ची बाई के नेतृत्व में शहर की महिलाएं आमरण अनशन में बैठ गई थी। अनशन के सातवें दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस नेता व वर्तमान कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को अनशन स्थल पर भेज लोगों से चर्चा कर आंदोलन समाप्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

रमाशंकर ने कटवाई दाढ़ी, रक्त का तिलक लगाते थे लोग

रमाशंकर ने कटवाई दाढ़ी, रक्त का तिलक लगाते थे लोग

जिला बनाओ संघर्ष समिति के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और समाजसेवी रमाशंकर गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने 20 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तक जिला नही बनेगा, अपनी दाढ़ी नही कटवाएंगे, 15 अगस्त को सीएम की घोषणा के बाद ही उन्होंने अपनी दाढ़ी कटवाई, उन्होंने कहा कि आज का दिन पूरे मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर वासियों के लिए बहुत ही खुसी का दिन है। लम्बे संघर्ष के बाद आज हम सबका सपना साकार होने जा रहा है। जब 1998 में जब पहली बार मैं अनशन में बैठा तो लोग उत्साहित होकर रक्त का तिलक लगाते थे। आज हमारी मांग पूरी होने वाली है। उसके लिए सीएम भूपेश बघेल का हृदय से आभारी हैं।

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English summary
0 years of struggle to make Manendragarh a district, Ramashankar cut his beard after 21 years,
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