पंजाब विधानसभा चुनाव: क्या है जमीनी हकीकत
पंजाब शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा। ऐसे में यह देखना होगा कि चुनाव प्रचार के शुरू होने से लेकर थमने तक किसका क्या प्रभाव रहा। पढ़ें पत्रकार अमनदीप संधू से हुई बातचीत के कुछ अंश।
चंडीगढ़। पंजाब में कल यानी 4 फरवरी को मतदान है। प्रचारों का शोर थमने के साथ-साथ 1,145 उम्मीदवार कल के बाद 11 मार्च का इंतजार करेंगे। कल के मतदान में 2 करोड़ के आस-पास मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग करेंगे। पूरे पंजाब में 22,615 बूथों पर मतदान किया जाएगा।
प्रचार का शोर थम जाने के पहले कुछ महीनों की बात करें तो यहां बहुत कुछ बदला। भारतीय जनता पार्टी में रहे नवजोत सिं सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब विधान सभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है।
पंजाब में विभाजित फैसला
इस दौरान हमारी बात पत्रकार अमनदीप संधू से हुई जो लेखक और शोधकर्ता भी हैं। वनइंडिया से बातचीत में संधू ने बताया कि पंजाब चुनाव में कोई राज नहीं है। अमूमन लोग मानते हैं कि पंजाब में कोई ना कोई राज छिपा हुआ है लेकिन जहां तक मैंने देखा ऐसा कोई भी नहीं मिला , जो यह जानता हो कि कौन सा दल जीत हासिल करेगा या फिर वो किसे वोट करेंगे। मेरे हिसाब से इस बार पंजाब में विभाजित फैसला होगा। इसका सबसे बड़ा कारक है कि कोई भी किसी दल विशेष को समर्थन करने की बात नहीं मान रहा है। सामान्यतः पंजाबी कोई ना कोई रुख अपनाते हैं लेकिन इस बार पूरा पंजाब शांत है।
संधू बताते हैं कि वो कुछ विधानसभाओं में गए लेकिन कई से भी कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आई। कहा कि मीडिया का भी ध्यान पंजाब पर ज्यादा नहीं रहा। संधू के अनुसार मीडिया सिर्फ हरियाणा में ही जाकर, सारे विचार बनाता रहा। संधू के मुताबिक राज्य के दक्षिण में उन्हें आम आदमी पार्टी का प्रभाव दिखा। अपने विश्लेषण में संधू ने कहा कि इस क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा भी दलित मतों पर खासा प्रभाव डाल सकता है।
सिद्धू का कोई प्रभाव नहीं
संधू ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू का कांग्रेस में आना खास प्रभाव नहीं छोड़ पाया। उनके मुताबिक यह फैसला बहुत ही देर में लिया गया। संधू के मुताबिक सिद्धू और मनप्रीत बरार की ओर से लिया गया फैसला, अगले चुनाव को ध्यान में रख कर लिया गया है।
संधू का मानना है कि इस बार कांग्रेस की ओर से पंजाब में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कह दिया है कि इस चुनाव के बाद वो रिटायर हो जाएंगे, ऐसे में सिद्धू के लिए अगली बार मौका है क्योंकि कांग्रेस को भी अगले नेतृत्व की आवश्यकता है।
विमुद्रीकरण का पड़ा असर
बीते साल 8 साल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्र के नाम संदेश के दौरान विमुद्रीकरण के फैसले पर संधू का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों पर इसका खासा प्रभाव पड़ा है। फिलहाल भी कई लोगों के पास पैसा नहीं है और इस बारे में गुस्सा हैं।
संधू ने पंजाब विधानसभा चुनाव के एक अन्य परिदृश्य महिला मतदाताओं पर कहा कि इन पर मीडिया की नजर नहीं गई। कोई भी महिला मतदाताओं से बात नहीं कर रहा। कुल मतदाताओं में से वो आधी हैं।
संधू के मुताबिक उन्होंने कुछ महिला मतदाताओं से बात की जिन्होंने कहा कि वो वहीं करेंगी जो उनके पति कहेंगे। हालांकि जब इस बारे में पुरुषों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बात की उम्मीद नहीं है कि महिलाएं इस बार उनकी सुनेंगी। ये भी पढ़ें:मतदान से पहले पढ़िए, पंजाब विधानसभा चुनाव का पूरा गुणा-गणित