Bank Mergers: बैंकों के मर्जर से क्या बैंकिंग सेक्टर में जाएंगी नौकरियां?
नई दिल्ली- केंद्र सरकार ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विलय की बहुत बड़ी घोषणा की है। मोदी सरकार की ओर से इसे बड़े बैंकिंग रिफॉर्म्स के तौर पर पेश किया जा रहा है। देश की इकोनॉमी को दूसरी बड़ी बूस्टर डोज देते हुए वित्त मंत्री ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को 4 बड़े बैंकों में विलय करने का ऐलान किया है। लेकिन, इसके साथ ही कुछ लोगों ने सरकार के इस फैसले से बड़े पैमाने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से नौकरियों के जाने की आशंका भी जतानी शुरू कर दी है।
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10 सरकारी बैंकों को 4 बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विलय के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा को कुछ लोग बेहद आशंका भरी नजरों से देख रहे हैं। लोगों को लग रहा है कि इसके कारण लोगों की नौकरियां खतरें पड़ जाएंगी। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर जॉन लैंचेस्टर की किताब 'सिनर्जी: मेनली बुलशिट' का हवाला देकर लिखा है कि 'दो कंपनियों के विलय का मतलब है कि लोगों को नौकरियों से निकालने का मौका देना।'
उसने आगे उसी किताब के हवाले से दावा किया है कि जब एक ही तरह की प्रोडक्ट बनाने वाली दो कंपनियों का जब विलय होता है तो एक ही तरह के काम करने के लिए उनके पास काफी कर्मचारी हो जाते हैं और आखिरकार उनमें से लोगों का बाहर किया जाना तय हो जाता है। दावा किया गया है कि इस तरह के विलय का मूल आइडिया खर्च कम करके नफा बढ़ाने का रहता है।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया है शुक्रवार को किए गए बैंकों के विलय की घोषणा के कारण किसी भी बैंक कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। इस ऐलान के बाद अब देश में सिर्फ 12 सरकारी बैंक बच गए हैं। सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटे बैंक; केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक; यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक के अलावा इंडियन बैंक ऑर इलाहाबाद बैंक का विलय का ऐलान किया है।
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