आखिर क्यों डॉलर के मुकाबले फिसल रहा है रुपया? जानिए बड़े कारण
नई दिल्ली। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की हालत खराब है और इसमें अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की जा चुकी है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर एकबार 71.02 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। रुपया हाल के दिनों में लगातार कमजोर हुआ है। इस हफ्ते की बात करें तो रुपया 70 के आंकड़े को पार करने के बाद अब 71 पर आ चुका है जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगी। हालांकि आरबीआई के समर्थन के बावजूद रुपए का सबसे निचले स्तर पर पहुंचना हैरान करने वाला है।
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और गिर सकता है रुपया
1. रुपए में गिरावट के पीछे ऑयल इम्पोर्टर्स को भी एक कारण माना जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दामों में तेजी भी इसके पीछे वजह मानी जा रही है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका तथा तेल आयातकों की मजबूत डॉलर मांग को इसके पीछे वजह माना जा रहा है। फिलहाल रुपया लगभग रोज ही डॉलर के मुकाबले टूट रहा है।
2. वहीं, फाइनेंशल बेंचमार्क्स इंडिया प्रा लि ने डॉलर-रुपये की संदर्भ दर 70.7329 रुपये प्रति डॉलर और यूरो के लिए 82.7184 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी। जबकि रुपया गुरुवार को भी 70.74 पर जा पहुंचा था और शुक्रवार को 71 के पार पहुंच गया। वहीं पौंड और यूरो के मुकाबले भी रुपया निरंतर कमजोर हुआ है।
अमेरिकी डॉलर के आगे बाकी करेंसी हो रही कमजोर
3. इसके पहले तुर्की में आर्थिक संकट ने रुपए के लिए मुसीबत खड़ी कर दी और रुपया फिसलना शुरू हुआ तो आज तक इसमें गिरावट जारी है। तुर्की करंसी लिरा के कमजोर होने का असर रुपये पर दिखा था। ग्लोबल मार्केट में लगातार बन रहे जटिल हालातों की वजह से फिलहाल रुपये का मजबूत होना आने वाले कुछ समय में मुश्किल दिख रहा है।
4. भारतीय रिजव बैंक के विभिन्न स्तरों पर हस्तक्षेप ने आगे और गिरावट आने पर कुछ अंकुश लगा दिया एवं कारोबार के अंत में इसमें कुछ सुधार आया था। विदेशी कंपनियों द्वारा लगातार पैसा निकालने से भी घरेलू मुद्रा प्रभावित हुई है। वहीं, अमेरिका की सुधरती अर्थव्यवस्था ने भी रुपए को झटका देने का काम किया है।
क्रूड की कीमतें और डॉलर की बढ़ती मांग भी एक कारण
5. पिछले दिनों अमेरिका और चीन के बीच नए टैरिफ प्लान को लेकर चल रही बातचीत का असर शेयर बाजारों पर पड़ा तो सेंसेक्स और निफ्टी ने बेहतर कारोबार किया लेकिन आरबीआई के नए रेपो रेट की घोषणा के साथ ही इसमें भी गिरावट आई थी। उस वक्त भी रुपया कमजोर ही रहा था।
6. जबकि केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया की राय भी अलग नहीं है। उनका कहना है कि क्रूड की कीमतें हाई बनी हुई हैं और क्रूड की खरीदारी के लिए इंटरनैशनल स्तर पर डॉलर की डिमांड भी अधिक है। घरेलू स्तर पर रेवेन्यू कलेक्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं है। ऐसे में रुपये को सपोर्ट मिलता नहीं दिख रहा है। जबकि महीने के अंत में आयातकों की तरफ से डॉलर की डिमांड बढ़ने के कारण रुपया लगातार फिसल रहा है। इसके इतर, विदेशी पूंजी का भी देश के बाहर जाना रुपए को कमजोर कर रहा है।
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एक आंकड़े के मुताबिक, इस साल रुपये में अब तक 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है। इस गिरावट के साथ ही यह एशिया की सबसे कमजोर करंसी बन चुकी है। वहीं, अनुमान है कि आने वाले कुछ हफ्तों में रुपया 72 प्रति डॉलर या इससे भी निचले स्तर को छू सकता है।
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