11 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंची बेरोजगारी, भटक रहे युवा!
नई दिल्ली। बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। 8 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह तक यह 5.8 फीसदी थी, जबकि इससे पहले के सप्ताह में यह आंकड़ा 5 फीसदी था। वहीं शहरी इलाकों में बेरोजगारी का स्तर 8.2 फीसदी है। पिछले 11 महीनों में शहरी इलाकों में बेरोजगारी का यह सबसे उच्चतम स्तर है। दिसंबर-जनवरी की अवधि के दौरान अरबन लेबर पार्टिसिपेशन काफी संभला था। लेबर पार्टिसिपेशन बढ़ने और बेरोजगारी की दर को देखकर यह साफ होता है कि लेबर मार्केट में लेबर तो लौट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल पा रही है।
बीएसई-सीएमआईई भी भारत में बेरोजगारी के आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है। इस कोशिश में बीएसई-सीएमआईई ने 5 सर्वे किए। पहला और दूसरा सर्वे नोटबंदी से पहले किया गया था। यह सर्वे जनवरी-अप्रैल 2016 और मई-अगस्त 2016 में किए गए थे। तीसरे सर्वे के दौरान नोटबंदी हुई। तीसरा सर्वे सितंबर-दिसंबर 2016 के दौरान किया गया। इसके बाद दो और सर्वे किए गए। इन आंकड़ों पर बीएसई-सीएमआईई की तरफ से पूरी रिपोर्ट तैयार की गई है।
यहां आपको बता दें कि एक व्यक्ति को बेरोजगार तब माना जाता है जब वह काम करना तो चाहता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिलती है। इसके लिए तीन स्थितियां होना जरूरी है- व्यक्ति बेरोजगार हो, काम करना चाहता हो और किसी नौकरी की तलाश कर रहा हो। बेरोजगार व्यक्ति वह है जो नौकरी के लिए आवेदन करता है, नौकरी के लिए लाइनों में खड़ा होता है, इंटरव्यू देता है, लेकिन इन सबके बावजूद उसे नौकरी नहीं मिल पा रही है। अगर कोई व्यक्ति नौकरी करना तो चाहता है, लेकिन नौकरी ढूंढ़ने के लिए कोई कोशिश नहीं करता है तो उसे बेरोजगारी के आंकड़े जुटाते समय बेरोजगार नहीं माना जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस है, जिसे बीएसई-सीएमआईई ने भी अपनाया है।
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