इन तीन सरकारी बैंकों का हो सकता है निजीकरण, सरकार कर रही है गंभीरता से विचार
नई दिल्ली। देश के सरकारी बैंक काफी मुश्किल आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। कई बैंक एनपीए की वजह से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में विफल हो रहे हैं और इनकी स्थिति बेहतर नहीं हो रही है। ऐसे में सरकार इन बैंकों के निजीकरण पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय ने कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, यह प्रक्रिया इन बैंकों के निजी हितों को देखते हुए शुरू की जा रही है ताकि उन्हें और भी मजबूत बनाया जा सके।
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प्रस्ताव पर चल रहा है काम
रिपोर्ट की मानें तो वित्त मंत्रालय शीर्ष सरकारी अधिकारियों की एक सेलेक्ट ग्रुप की टीम पहले ही गठित की जा चुकी है जोकि इस प्रस्ताव पर काम कर रही है। जानकारी के अनुसार ये अधिकारी नीति आयोग के हैं और इस आयोग को सरकार का थिंक टैक माना जाता है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार इन बैंकों के निजीकरण की प्रमुख वजह है बैंकों के भविष्य को बेहतर किया जा सके और भविष्य में देश के करदाताओं का पैसा बैंक को बचाने में खर्च ना करना पड़े।
इन बैंकों का हो सकता है निजीकरण
मौजूदा समय में सरकार पंजाब एंड सिंड बैंक, महाराष्ट्र बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण पर विचार कर रही है। अहम बात ये है कि जिन सरकारी बैंकों को मजबूत करने का कार्यक्रम सरकार चला रही है, उनमे इन बैंको का नाम शामिल नहीं है। अहम बात यह है कि हाल ही में दर्जनों बैंकों का मर्जर किया गया था। 10 क्षेत्रीय बैंकों को 4 बैंकों में मर्ज किया गया था। सरकार चाहती है कि इन बैंकों का मर्जर करके इनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सके।
नीति आयोग का सुझाव
रिपोर्ट की मानें तो नीति आयोग ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह बैंकों के निजीकरण को अपनी हरी झंडी दे दे। साथ ही ये सुझाव भी दिया गया है कि कुछ चुनिंदा उद्योग घरानों को ही बैंकों का लाइसेंस दे, साथ ही उन्हें इस बात की स्पष्ट निर्देश दिया जाए कि वह ग्रुप कंपनियों को कर्ज ना दें। गौरतलब है कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार चाहती है कि सभी उद्योंगों के लिए रास्ते खोले जाएं। साथ ही उन्होंने कहा था कि भविष्य में अधिकतम 4 पब्लिक सेक्टर की कंपनियां स्ट्रैटिजिक सेक्टर में होंगी।
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