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नई दिल्ली। सरकार जल्द ही एक ऐसा नियम बनाने जा रही है, जिसके तहत जीमेल, वाट्सऐप, स्नैपचैप और यहां तक कि अमेजन जैसे शॉपिंग पोर्टल को अपने यूजर्स की जानकारी जमा करके रखनी पड़ सकती है।
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सरकार इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 67सी के तहत इस नियम को बनाने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है।
बनाई गई इस नई कमेटी के तीन सदस्यों के अनुसार इस नियम में यह बताया जाएगा कि किस तरह का डेटा, किस फॉर्मेट में और कितने दिनों के लिए रखना है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियां जरूरत पड़ने पर किसी यूजर के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।
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जानकारी साझा करने की बात पर विदेशी कंपनियों और भारत सरकार के बीच हमेशा विवाद रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक वाट्सऐप और स्नैपचैट जैसी कंपनियों पर इस नियम को लागू करना काफी मुश्किल होगा।
जहां एक ओर वाट्सऐप एंड टू एंड एनक्रिप्शन का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर स्नैपचैट पर कुछ ही सेकेंड के भीतर मैसेज गायब हो जाते हैं और ये कंपनी के सर्वर पर भी स्टोर नहीं होते हैं।
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आपको बता दें कि डेटा स्टोरेज की लागत काफी अधिक आती है। वहीं दूसरी ओर, भारतीय नियमों से संचालित न होने के चलते कुछ कंपनियां इस नियम का विरोध भी कर सकती हैं।
फिलहाल इस कमेटी की अगुवाई इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मिनिस्ट्री के अतिरिक्त सचिव अजय कुमार कर रहे हैं। इनके अलावा इस कमेटी में होम मिनिस्ट्री, टेलीकॉम डिपार्टमेंट, पर्सनल एंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट, नैस्कॉम, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसपीएआई) से भी एक-एक सदस्य हैं।
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इतना ही नहीं, इस कमेटी में साइबर लॉ के एक्सपर्ट वकील और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईडी मिनिस्ट्री के कुछ अफसरों को भी शामिल किया गया है।