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कोरोना के दौर में किसने की ताबड़तोड़ कमाई, किसे हुआ नुक़सान?

वो कौन सी कंपनियां हैं जो लॉकडाउन के बीच भी मुनाफ़ा कमाने में क़ामयाब रही हैं?

By BBC News हिन्दी
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दुकानों में सजे मोबाइल गेम्स के किरदारों पर आधारित कुछ खिलौने
AFP
दुकानों में सजे मोबाइल गेम्स के किरदारों पर आधारित कुछ खिलौने

कोरोना वायरस महामारी की वजह से पूरी दुनिया में उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं.

टेक्नॉलजी कंपनियों की भी स्थिति कोई बेहतर नहीं है लेकिन कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं जो लॉकडाउन के दौरान भी मुनाफ़ा कमाने में कामयाब रही हैं. जैसे कि:

सॉफ्टवेयर कंपनियां

लॉकडाउन शुरू होते ही जब आपको यह कहा गया कि अब घर से काम करना होगा तो आपने तुरंत उसके लिए अपनी तकनीकी तैयारियां शुरू कर दी होंगी. लेकिन क्या आपको पता है कि सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों के लिए यह कितनी अच्छी ख़बर साबित हुई है?

कुछ सुरक्षा और गोपनीयता सम्बन्धी मुद्दों को छोड़ दें तो ज़ूम ऐप का स्टॉक मूल्य दिसंबर की तुलना में दोगुना हो गया है और यूज़र्स की संख्या एक करोड़ से बढ़कर दो करोड़ हो गई है.

इस ऐप को पहसे शायद ही कोई जानता था लेकिन अब कैबिनेट की मीटिंग से लेकर तमाम दफ़्तरों की मीटिंग इसी पर हो रही हैं. ज़ूम अकेला ऐसा उदाहरण नहीं है.

मार्च में माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स ने बताया कि इसके 4.4 करोड़ यूज़र्स हो गए हैं. इसमें एक हफ़्ते में 40 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.

रिमोट-एक्सेस सॉफ्टवेयर टीमव्यूअर की भी मांग बढ़ी है. वर्क चैट ऐप स्लैक के चीफ़ एग्जीक्यूटिव ने कहा है कि मार्च के अंत तक हर दिन यूज़र्स के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं.

मोबाइल ऐप ज़ूम
Getty Images
मोबाइल ऐप ज़ूम

गेमिंग सॉफ़्टवेयर की कंपनियां

जब हम काम ख़त्म कर लेते हैं तब भी हम इन दिनों घर में रहते हैं. ऐसे वक्त में गेमिंग सॉफ़्टवेयर बनाने वाली कंपनियों का कारोबार अच्छा कर रहा है.

लोग अब ऑनलाइन गेम खेलने में ज़्यादा वक्त गुजार रहे हैं. इनकी संख्या में बड़ा इज़ाफा देखा जा रहा है. नए लॉन्च हुए गेम 'कॉल ऑफ ड्यूटी' के रातों-रात दसियों लाख यूज़र हो गए हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि गेम्स की बिक्री में 35 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है और हार्डवेयर की बिक्री में 63 फ़ीसदी का. इसका मतलब यह हुआ कि जल्द कंसोल के स्टॉक में कमी आने वाली है.

हालांकि यह अभी और बढ़ने वाला है. नए गेम और कंसोल का बनना जारी रहने के बावजूद इसके मार्केट में आने में देरी हो सकती है.

एक्सबॉयज़ के हेड का कहना है कि 2021 में इस इंडस्ट्री को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है और अच्छी बिक्री होने के बावजूद स्टॉक मूल्य में गिरावट आ सकती है.

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वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियां

सिर्फ गेमिंग ही नहीं बल्कि वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों को भी लॉकडाउन का फ़ायदा मिल रहा है.

मनोरंजन के लिए उपभोक्ता नेटफ़्लिक्स और दूसरी वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों की सेवाओं पर पैसे ख़र्च कर रहे हैं.

नेटफ्लिक्स को 16 लाख नए सब्सक्राइबर्स मिले हैं. उसने साल भर के लिए कंटेट पहले से तैयार कर लिया था. आने वाले महीनों के लिए भी उसके पास नए प्रोग्राम्स हैं.

डिज़्नी प्लस ने भी ऐन वक्त पर मार्च के आख़िरी में ब्रिटेन और दूसरी जगहों पर अपनी लॉचिंग की है. इसके 3.3 करोड़ सब्सक्राइबर पहले से थे अब इसके क़रीब साढ़े पांच करोड़ सब्सक्राइबर्स हो गए हैं. अब यह नेटफ़्लिक्स को बाज़ार में कड़ी चुनौती दे रहा है.

डिज़्नी प्लस
Getty Images
डिज़्नी प्लस

थियेटर के बंद होने से अब बड़ी फ़िल्में भी सीधे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ही रिलीज़ हो रही है. फ़िल्म बनाने वाली कंपनी यूनिवर्सल का कहना है कि वो लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद भी इसे जारी रखेंगे.लॉकडाउन के दौरान स्पॉटिफ़ाई के 13 करोड़ पेड सब्सक्राइबर्स बने हैं

फ़िटनेस

यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर लॉकडाउन का विपरीत असर तो पड़ा है लेकिन यह किसी भी तरह से अपने-आप को संभाल कर रखने में कामयाब रहा है.

क्लासपास जिम क्लास ऑफ़र करने वाली वेबसाइट है. लॉकडाउन के बाद इसने ऑनलाइन सर्विस के ज़रिए लोगों को जिम ट्रेनिंग देना शुरू किया है.

कंपनी का कहना है कि लॉकडाउन के बाद उसके इस नई सर्विस की मांग बहुत बढ़ गई है. लेकिन इसके बावजूद उसे अपने बहुत से स्टाफ़ को छुट्टी देनी पड़ी है और उसके 95 फ़ीसदी मुनाफ़े पर असर पड़ा है.

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पेलोटोन की बाइक
Getty Images
पेलोटोन की बाइक

पेलोटोन अपनी फ़िटनेस बाइक को प्रमोट करने के लिए वीडियो स्ट्रीमिंग क्लासेज़ चलाती है.

कोरोना वायरस से संक्रमित मामले के मिलने के बाद इसे अपना स्टूडियो बंद करना पड़ा है लेकिन फिर भी उसे 60 फ़ीसदी से ज़्यादा का मुनाफ़ा हुआ है.

यूट्यूबर जो विक्स को भी लॉकडाउन का फ़ायदा मिला है. वो घर बैठे वर्कआउट की ट्रेनिंग देते हैं. उनके यूट्यूब पर रिकॉर्ड लोगों ने स्ट्रीमिंग की है. अब ऐसी चर्चा है कि कुछ बड़े स्पोर्ट्स ब्रैंड उन्हें स्पॉन्सर करने जा रहे हैं.

अमेज़न

कोरोना वायरस महामारी के दौरान अमेज़न को कुछ मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा है. अमेज़न के गोदाम में काम करने वाले कामगारों ने ख़राब सुविधाओं का हवाला देते हुए सीमित अवधि के लिए काम रोक दिया था.

इस हड़ताल का आयोजन करने वाले कर्मचारी को अपमानित करने का मामला सामने आने के बाद फ्रांस की सरकार ने अमेज़न के ग़ैर-जरूरी उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी थी जब तक कि सुरक्षा संबंधी जांच पूरी नहीं हो जाती है. लेकिन इसके बावजूद अमेज़न के मालिक जेफ़ बेज़ोस ने लॉकडाउन के दौरान अपनी संपत्ति में 24 बिलियन डॉलर की वृद्धि की है.

कोरोना वायरस
Reuters
कोरोना वायरस

अमेज़न के स्टॉक क़ीमत में भी वृद्धि हुई है. हालांकि अमेज़न क्लाउड कंप्यूटिंग की भी सबसे बड़ी कंपनी है.

कुछ लोगों का यह मानना है कि इसी वजह से जहाँ दूसरी कंपनियां अपने बकाए का भुगतान करने से जूझ रही हैं तो वहीं अमेज़न मुनाफ़ा कमाने में कामयाब रहा है.

ट्रांसपोर्ट

एक तरफ़ चूंकि हम गेमिंग और मूवी देखकर समय बीता रहे हैं क्योंकि हम कहीं जा नहीं सकते हैं तो वहीं इस वजह से कारों को बिक्री को बड़ा धक्का लगा है.

ब्रिटेन में 1946 के बाद कारों की बिक्री में सबसे बड़ी कमी देखी गई है.

उबर में हज़ारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं. जिनकी नौकरियां गई हैं वो ड्राइवर नहीं हैं बल्कि उबर के दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारी हैं. ड्राइवर तो उबर के साथ अनुबंध के साथ जुड़े रहते हैं हालांकि उन्हें भी बुरे हालात से गुज़रना पड़ रहा है.

ई-स्कूटर्स और दूसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भी यही हाल है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल नहीं कर रहा है. इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोज़गार हो चुके हैं.

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English summary
Who made a big jump in Corona's era, who was the loser?
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