Jumbo love story: मिलिए टाइगर रिजर्व के सलीम-अनारकली से, जिनके इश्क के चर्चों से जंगल है गुलजार
भोपाल, 1 सितंबर। 'कहते हैं इश्क के आगे किसी का जोर नहीं, ये तो दिल का मामला है साहब, ना जाने कब किस पर आ जाए' , शायरों ने इसे इबादत कहा है तो वहीं लोग इसे कुदरत का नायाब तोहफा भी कहते हैं और इस तोहफे से केवल इंसान ही नहीं बल्कि जानवर, पशु-पक्षी भी अछूते नहीं है। दरअसल हम ये बातें इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इन दिनों मध्यप्रदेश के मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) में एक अजब प्रेम कहानी फलफूल रही है, जिसे देखकर आम लोग तो हैरान हैं ही, बल्कि रिजर्व वालों के लिए भी ये अचरज की बात हो गई है।
दो हाथियों के बीच एक प्रेम कहानी फल-फूल रही
मालूम हो कि यहां पर दो हाथियों के बीच एक प्रेम कहानी फल-फूल रही है और दोनों प्रेमी इस वक्त चर्चा के केंद्र में हैं। इस अनोखी इश्क की दास्तां तब शुरू हुई जब एक जंगली हाथी दिन में दो-तीन बार रिजर्व की एक मादा हाथी से मिलने आने लगा। इस नर हाथी को रिजर्व वालों ने 'सलीम' और मादा हाथी को 'अनारकली 'नाम दे दिया है।
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'सलीम' दिन में तीन बार 'अनारकली' से मिलने आता है
इंडिया टूडे की खबर के मुताबिक 'सलीम' जंगल से दिन में दो- तीन बार अपनी 'अनारकली' से मिलने आता है और 'अनारकली' भी उसका साथ पाकर काफी खुश हो जाती है। दोनों घंटों साथ में रहते हैं। आपको जानकर हैरत होगी 'अनारकली ' दो बार 'सलीम' के साथ जंगल में भाग भी चुकी है और उसे ट्रैक करके वापस BTR लाया गया है।
Gene Pool के लिए अच्छी बात
इस बारे में पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि 'ये कोई अचरज की बात नहीं है, ये नार्मल हाथियों का स्वभाव है, अगर दोनों हाथी साथ में वक्त व्यतीत करते हैं और आगे चलकर इनसे बच्चा पैदा भी होता है तो भी हैरानी नहीं होनी चाहिए, उल्टा ये Gene Pool के लिए अच्छी बात है।'
'... तो जंगली हाथी उन्हें चोट भी पहुंचा देते हैं'
जबकि BTR उप-मंडल अधिकारी (एसडीओ) सुधीर मिश्रा का कहना है कि ' आमतौर पर जंगली हाथी बंदी हाथियों को स्वीकार नहीं करते हैं। कभी-कभी, जंगली नर हाथी बंदी मादा हाथियों को अपने साथ जाने के लिए मजबूर करते हैं और कभी-कभी तो यदि मादा हाथी उनके साथ जाने के लिए सहमत नहीं होती हैं, तो जंगली हाथी उन्हें चोट भी पहुंचा देते हैं, हालांकि 'सलीम' ने अभी तक 'अनारकली ' को नुकसान नहीं पहुंचाया है। फिलहाल 'अनारकली ' के दो बच्चे हैं और हम उस पर और 'सलीम' पर नजर रखे हुए हैं।
'अनारकली' को बच्चे भी हैं
मालूम हो कि अधिकारियों के अनुसार,'अनारकली' को 1978 में बिहार के प्रसिद्ध सोनपुर हाथी मेले से, रिजर्व में लाया गया था। ये पूरी तरह से ट्रेनड और सबसे भरोसेमंद हाथियों में से एक है। वह बीटीआर के कई अभियानों में भी शामिल रही है।
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जब से 'सलीम' से 'अनारकली' की मुलाकात हुई है...
लेकिन जब से 'सलीम' से 'अनारकली' की मुलाकात हुई है, तब से अधिकारीगण काफी चौंकन्ने हो गए हैं क्योंकि उन्हें अब 'अनारकली' को ट्रैक करना पड़ता है। उन्हें शक रहता है कि कहीं वो फिर से 'सलीम' के साथ जंगल में भाग ना जाए।
हाथियों की प्रेम कहानी से जंगल गुलजार
खैर जो भी हो इस प्रेम कहानी का लोग आनंद भी उठा रहे हैं। कोई शक नहीं कि दोनों हाथियों की प्रेम कहानी इस वक्त सुर्खियां बटोर रही है। मालूम हो कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है, जो कि 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। ये साल 1968 में नेशनल पार्क बना था।