चर्च के पास मिला था 6 इंच के 'एलियंस का कंकाल', 18 साल बाद उठा रहस्य से पर्दा
नई दिल्ली, 31 दिसंबर: इंसान अब तकनीकी रूप से काफी विकसित हो चुके हैं, जिस वजह से लगातार दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज की जा रही है। कई बार पृथ्वी पर भी कुछ लोगों ने एलियंस या फिर उनके यान यूएफओ को देखने का दावा किया, लेकिन इसके बारे में आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया है। कई सालों पहले एक 6 इंच का कंकाल मिला था, जो देखने में एकदम एलियंस की तरह था। जिसकी गुत्थी अब वैज्ञानिकों ने सुलझा ली है। (तस्वीरें Sirius Disclosure से साभार)
2003 में मिला था कंकाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चिली के अटाकामा रेगिस्तान में एक शख्स खजाना खोज रहा था। वहां पर 2003 में उसे एक चर्च के पास ये कंकाल मिला था। उसके ऊपर खाल तो नहीं थी, लेकिन सिर से लेकर पैर तक की हड्डियां थीं। साथ ही वो महज 6 इंच का था। आमतौर पर नवजात बच्चे भी इतने छोटे नहीं होते, जिस वजह से उसे एलियंस माना जा रहा था।
पसलियां भी इंसानों से कम
वैज्ञानिकों ने उस दौरान जब कंकाल की जांच की, तो उसमें एक तरफ 10 ही पसलियां मिली थीं, जबकि एक आम इंसान में इसकी संख्या 12 होती है। जिस वजह से एलियंस वाले दावे को और बल मिला। रिपोर्ट में बताया गया कि अवशेष को चमड़े की एक थैली में रखा गया था, जो चर्च के पास एक रिबन से बंधे सफेद कपड़े में लिपटा था। उस दौरान उसका नाम अता (Ata) रखा गया।
2013 में बनी डॉक्यूमेंट्री
शुरू में कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया कि वो एक भ्रूण है, लेकिन बहुत से लोग एलियंस वाली थ्योरी पर डटे रहे। इसके बाद 2013 में एलियंस पर एक डॉक्यूमेंट्री बनी, जिसमें अता को दिखाया गया। इसके बाद एलियंस वाली बात को और ज्यादा हवा मिल गई। बाद में इसे जांच के लिए सैन फ्रांसिस्को में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को सौंपा गया।
अब सामने आई सच्चाई
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दोनों विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने इसे एलियंस का अवशेष मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने पाया कि ये कंकाल एक बच्चे का था, जिसकी मौत करीब 40 साल पहले हो गई थी। वहीं इसके असामान्य दिखने के पीछे की वजह आनुवंशिक स्थिति को बताया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाया, ऐसे में हड्डियां असामान्य दिख रहीं।
बौना था बच्चा
अध्ययन में सात जीन्स पर रिसर्च की गई। जिसमें विभिन्न हड्डी की विकृतियां, चेहरे की विकृतियां या कंकाल डिस्प्लेसिया शामिल था। आमतौर पर ऐसे बच्चे जब बड़े होते हैं, तो उन्हें बौना कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बौने बच्चे का जन्म समय से पहले हो गया था और उसके तुरंत बाद इसकी मृत्यु हो गई। बाद में उसके मां-बाप ने चर्च के पास उसका अंतिम संस्कार किया होगा। जिसका कंकाल बाद में खजाना खोजने वाले को मिला।
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