DS Kaswa : राजस्थान के देवेंद्र सिंह कस्वा को उत्कृष्ट सेवा पदक, CRPF में इनके 20 साल गर्व करने लायक
बीकानेर,
14
अगस्त।
धोरों
की
धरती
राजस्थान
में
बीकानेर
के
बहादुर
बेटे
देवेंद्र
सिंह
कस्वा
की
उपलब्धियों
में
एक
नाम
और
जुड़ने
वाला
है।
वो
है
'उत्कृष्ट
सेवा
पदक',
जो
इनको
15
अगस्त
2022
को
मिलेगा।
केंद्रीय
रिजर्व
पुलिस
बल
(सीआरपीएफ)
में
20
साल
की
कर्तव्यनिष्ठ,
गौरवपूर्ण
और
समर्पित
सेवाओं
के
लिए
ग्रह
मंत्रालय
द्वारा
देवेंद्र
सिंह
कस्वा
को
'उत्कृष्ट
सेवा
पदक'
प्रदान
करने
की
घोषणा
की
गई
है।

झारखंड में किया नक्सलियों का सफाया
देवेंद्र सिंह कस्वा का CRPF में दो दशक का सर्विस रिकॉर्ड गर्व करने लायक है। पहले इन्होंने झारखंड में नक्सलियों का सफाया किया और इन दिनों जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ रहे हैं। झारखंड में कोबरा बटालियन में 4 साल तक कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन कमांड किए। तब ऐसे मौके भी आए जब देवेंद्र सिंह कस्वा ने जान की परवाह किए बगैर नक्सलवाद को मुंह तोड़ जवाब दिया।

2016 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता के लिए शौर्य पदक
देवेंद्र सिंह कस्वा को उत्कृष्ट सेवा पदक से पहले कई बार नक्सल और कश्मीर में बहादुरी के लिए महानिदेशक के प्रशस्ति पत्र, आंतरिक सुरक्षा पदक, स्पेशल ड्यूटी पदक भी मिल चुके हैं। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता के लिए शौर्य पदक से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर प्रधानमंत्री के उपस्थिति में परेड में द्वितीय कमान अधिकारी की कमान संभाली जिसके लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
Akash
Kulhari
IPS
:
विश्व
पुलिस
गेम्स
2022
में
छा
गए
लखनऊ
के
DIG,पदक
जीतकर
बढ़ाया
देश
का
मान

देवेंद्र सिंह कस्वा की जीवनी
देवेंद्र सिंह कस्वा मूलरूप से बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ तहसील के गांव सोनियासर के रहने वाले हैं। वर्तमान में इनका परिवार बीकानेर शहर की जयनारायण व्यास कॉलोनी में रह रहा है। गिरधारी लाल कस्वा और रूख्मा देवी के घर 15 अक्टूबर 1979 को देवेंद्र सिंह कस्वा का जन्म हुआ। इनके दो बेटी हैं। दिव्यांशी सिंह व गीतांशी सिंह।

देवेन्द्र सिंह कस्वा की शिक्षा व सर्विस
देवेंद्र सिंह कस्वा ने शुरुआती शिक्षा बीकानेर बॉयज़ विद्यालय से प्राप्त की। विवेकानंद और केंद्रीय विद्यालय में भी पढ़े। राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर से बीए किया। वर्ष 2002 में CRPF में एसिस्टेंट कमांडेंट के पद पर ज्वॉइन किया। इन्होंने झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में भी सेवाएं दी। वर्तमान में कमांडेंट के पद पर कश्मीर में तैनात हैं।

झारखंड में दिखाया अदम्य साहस
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में सीआरपीएफ में एसिस्टेंट कमांडेंट देवेंद्र सिंह कस्वा बताते हैं कि 12 मार्च 2013 को ये झारखंड में पोस्टेड थे। तब पुलिस को इत्तला मिली थी कि झारखंड के गुमला जिले के चैनपुर पुलिस थाना इलाके में नक्सली कमांडर अरविंद अपने करीब 300 नक्सली साथियों के साथ ठहरा हुआ है। उसे पकड़ने के लिए 'ऑपरेशन विजय' चलाया गया। इस ऑपरेशन में हर किसी जवान ने अदम्य साहस दिखाया था।

ऑपरेशन विजय को किया कमांड
बता दें कि नक्सली कमांडर अरविंद को पकड़ने के लिए सीआरपीएफ की कोबरा फोर्स की स्पेशल टीम तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट देवेंद्र सिंह कस्वा के नेतृत्व में मैदान में उतरी थी। कस्वा ने अपने साथियों के साथ कुशल कमांड और अदम्य साहस का परिचय देते हुए चार नक्सलियों को मार गिराया। घायल साथी जवानों को भी भीषण गोलीबारी के बीच सुरक्षित स्थान पर लेकर आए थे।

शहीद की पार्थिव देह के लिए लगाई जान की बाजी
झारखंड के गुमला में नक्सलियों के खिलाफ 'ऑपरेशन विजय' में घायल जवान सुरक्षित स्थान पर लाए गए तो एक साथी ने बताया कि दूसरा साथी शहीद हो गया और उसकी पार्थिव देह पीछे ही रह गई। इस पर देवेंद्र सिंह कस्वा और उनकी टीम ने खुद की जान की परवाह किए बगैर गोलीबारी के बीच शहीद साथी का शव लेकर आए। 24 घंटे चली मुठभेड़ में कोबरा टीम ने बहादुरी से लड़ते हुए 300 नक्सलियों को खदेड़ दिया था।