बिहार के गांवों में भी होगी 24 घंटे बिजली की सुविधा, तैयार किया जा रहा ट्रांसमिशन नेटवर्क
बिहार इन दिनों विकास के राहों पर अग्रसर है। हाल ही में पर्यटन को बढ़ावा देने की मुहिम तेज़ की गई।
पटना, 19 अप्रैल 2022। बिहार इन दिनों विकास के राहों पर अग्रसर है। हाल ही में पर्यटन को बढ़ावा देने की मुहिम तेज़ की गई। फिर बिहार में पटना के अलावा अन्य शहरों में भी रिंग रोड निर्माण सुर्खियों में है। अब सौर उर्जा को बढ़ावा देने पर जोर देने के बाद बिहार के हर गांवों में 24 घंटे बिजली आपूर्ती की योजना तैयार की जा रही है। राज्य में हर साल बिजली की मांग में लगातार इज़ाफ़ा देखे जा रहा है इसलिए अब सरकार ट्रांसमिशन की क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है।
गांवों में भी होगी 24 घंटे बिजली सप्लाई
बिहार सरकार प्रदेश के सभी ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता बढ़ा कर बिजली कट पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। ताकि राज्य के गांव तक 24 घंटे बिजली सप्लाई की व्यवस्था बहाल रहे। ट्रांसमिशन योजना के मुताबिक साल 2023-2024 में सूबे में बिदली की डिमांड सबसे ज्यादा होने की संभावना जताई जा रही है। जानकारों की मानें तो उस वक्त तक 7 हज़ार 521 मेगावाट तक बिजली की डिमांड हो सकती है। इसी के मद्देनज़र बिजली सप्लाई के लिए पहले ही 13 हज़ार 540 मेगावाट क्षमता से ज़्यादा का ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार किया जाएगा।
डाउन लिंकिंग ट्रांसमिशन लाइन होगा पूरा
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हाल ही में सीतामढ़ी के डुमरा में पॉवर ग्रिड का उद्घाटन किया था। ऊर्जा विभाग की तरफ़ से मिली जानकारी के मुताबिक ट्रांसमिशन की कई परियोजनाएं इस साल पूरी होंगी। जिसमें सीतामढ़ी, सहरसा और चंदौती (गया) में 400 केवी पावरग्रिड के बाद इससे जुड़ा हुआ चार डाउन लिंकिंग ट्रांसमिशन लाइन पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही रक्सौल में मार्च 2023 से पहले 220 केवी ग्रिड उपकेंद्र पूरा करने की पूरी कोशिश की जा रही है।।
पुराने उपकेंद्रों और लाइन पर से घटेगा बोझ
बिहार राज्य योजना से 2 हज़ार 149 करोड़ की लागत से सात नये ग्रिड उपकेंद्र तैयार किए जाएंगे। जिसमें चौसा (बक्सर) स्थित निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट से विद्युत निकासी के लिए तीन ट्रांसमिशन लाइन पूरा किया जाएगा। इसमें क़रीब 817 करोड़ की रुपये की लागत आएगी। वहीं बख्तियारपुर में 400 केवी जीआइएस ग्रिड उपकेंद्र 664.76 करोड़ की लागत से तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही कई अन्य परियोजनाओं को भी इस साल ही पूरा किया जाएगा। ट्रांसमिशन लाइन की खासियत की बात की जाए तो बड़ी आबादी को रोटेशन पर बिजली की सुविधा आसानी से मिल सकेगी। इसके साथ ही लो वोल्टेज की समस्या ले निजात के साथ ही फॉल्ट की परेशानी दूर होगी। वहीं पुराने उपकेंद्रों औऱ लाइन पर से बोझ घटाया जाएगा और बिजली की बढ़ रही डिमांडों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
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