नीतीश कुमार की टीम ने नोटबंदी पर PM को किया आगाह, कहा- सिर्फ 50 दिन तक करेंगे इंतजार
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने नोटबंदी के मुद्दे पर पीएम मोदी को आगाह किया है।
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुरविरोधी नीतीश कुमार ने , 8 नवंबर को घोषित की गई नोटबंदी के समर्थन किया था। जब नीतीश ने पीएम मोदी की ओर से घोषित किए गए इस कदम का समर्थन किया तो बिहार और दिल्ली की राजनीतिक हवाओं का रुख बदल गया।
बता दें कि नीतीश अभी भी इस मुद्दे पर एक स्पष्ट राय रखते हैं कि पीएम मोदी को नोटबंदी के मुद्दे पर दिए समर्थन को वो अचानक से नहीं पलटेंगे।
फैसले को बताया था शेर की सवारी
गौरतलब है कि इसी हफ्ते के शुरूआत में नीतीश कुमार ने कहा था कि वो 'सिर्फ 50 दिन तक' इंतजार करने के पीएम के आग्राह का सम्मान करेंगे। नीतीश ने मंगलावर को कहा था कि मैं उस तरह का इंसान नहीं हूं, जो किसी का समर्थन जल्दीबाजी में करूं और वापस ले लूं। हम 30 दिसंबर तक इंतजार करेंगे और फिर उसका विश्लेषण करेंगे।
बता दें कि 8 नवंबर को फैसले के अगले दिन 9 नवंबर को सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि 'हम मोदी सरकार के 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले की सराहना करते हैं। हमारी सरकार कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के साथ है।'
नीतीश ने सरकार के फैसले का साथ देते हुए कहा था कि इससे शुरुआत में लोगों को थोड़ी परेशानी जरूर होगी, लेकिन भविष्य में इससे भारत की अर्थव्यवस्था को काफी लाभ मिलेगा। इसके बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि यही सही समय है जब बेनामी संपत्तियों पर भी हमला बोला जाए।
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लेकिन JDU का धड़ा नहीं है खुश
पीएम मोदी के फैसले को शेर की सवारी बताते हुए नीतीश ने कहा था कि पीएम का नोटबंदी पर फैसला आसान नहीं है, ये बहुत बहादुरी का काम है, ये शेर की सवारी करने जैसा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनके सहयोगी भी उनके खिलाफ हो गए, लेकिन वो इस फैसले का सम्मान करते हैं।
हालांकि जनता दल यूनाइटेड का एक धड़ा नीतीश कुमार के इस फैसले से नाखुश है। इतना ही नहीं उनकी अपनी पार्टी के अध्यक्ष शरद यादव से भी इस मुद्दे पर नीतीश की नहीं बनती। शरद ने नोटबंदी को अनियोजित और अदूरदर्शी फैसला बताते हुए आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी की वजह से जैसे कांग्रेस का पतन हुआ था, उसी तरह नोटबंदी की वजह से भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि इस कदम से समूचे देश में अव्यवस्था फैल गई है।
शरद यादव ने आरोप लगाया था कि यह फैसला जल्दबाजी में किया गया जब एक कॉरपोरेट समूह से रिश्वत लेने के मामले में कुछ नेताओं का नाम आया और वह मामला न्यायिक सुनवाई के लिए आने वाला था।
इसी मसले पर जदयू नेता पवन वर्मा ने मंगलवार (12 दिसंबर) को कहा कि केंद्र सरकार को सीमित समय की याद दिला रहे हैं। कहा कि जिस उद्देश्य के लिए यह कदम उठाया गया था क्या वह उसके काम आया? इसलिए हम पीएम के आग्रह के मुताबिक 50 दिन का इंतजार कर रहे हैं, यही हमारा रुख है।
शरद यादव ने आरोप लगाया था कि यह फैसला जल्दबाजी में किया गया जब एक कॉरपोरेट समूह से रिश्वत लेने के मामले में कुछ नेताओं का नाम आया और वह मामला न्यायिक सुनवाई के लिए आने वाला था।
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लेकिन लालू ने किया था विरोध
इसी मसले पर जदयू नेता पवन वर्मा ने मंगलवार (12 दिसंबर) को कहा कि केंद्र सरकार को सीमित समय की याद दिला रहे हैं। कहा कि जिस उद्देश्य के लिए यह कदम उठाया गया था क्या वह उसके काम आया? इसलिए हम पीएम के आग्रह के मुताबिक 50 दिन का इंतजार कर रहे हैं, यही हमारा रुख है।
वहीं नीतीश के लिए इस मुद्दे का समर्थन करने के बाद असली समस्या तब पैदा हुई जब बिहार में महागठबंधन की सरकार में साझेदार राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव ने नोटबंदी का विरोध किया।
हालांकि कुछ दिन बाद लालू ने नीतीश की मौजूदगी में ही अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायकों से कहा था कि वह नोटबंदी का तो समर्थन करते हैं, लेकिन केंद्र द्वारा इसे लागू करने में हुई अव्यवस्था और अपर्याप्त तैयारियों के विरोध में हैं। नीतीश और लालू के बीच हुई बैठक करीब 1 घंटे तक चली।
भाजपा की ये है राय
नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश से समर्थन के बारे में भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि अगर नीतीश अपना समर्थन वापस लेते हैं, तो इसे लालू के समक्ष झुक जाना माना जाएगा।
वहीं नीतीश की ओर से नोटबंदी के समर्थन के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि 'काले धन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लड़ाई को समर्थन देने के लिए मैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वागत करता हूं।'
इसी बयान के बाद नीतीश और शाह की मुलाकात हुई थी, जिस पर यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि नीतीश फिर से भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
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