बाढ़ से 430 लोगों की मौत और 1 करोड़ 67 लाख लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त
पूरे राज्य में 368 राहत शिविर चालू किए गए हैं। जिसमें करीब दो लाख से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं। तो 1,403 सामुदायिक रसोई चलाई जा रही है। बाढ़ का खतरा कम हो रहा है लेकिन मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं।
पटना। उत्तर बिहार में आई भयानक बाढ़ की विनाशलीला में अब तक 430 लोगों की जानें जा चुकी है तो हजारों की संख्या में लोग अभी भी लापता हैं। हालांकि अब धीरे-धीरे बाढ़ का प्रकोप कम होने लगा है लेकिन लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्य में आई भयानक बाढ़ के कहर से 1 करोड़ 67 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित लोगों के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। पानी कम होने के बाद रहने के लिए के साथ-साथ खाने की समस्या आ रही है। बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि पानी कम होने के बाद हम लोगों का क्या होगा जो कुछ भी जमा राशि बची हुई थी वो बाढ़ की विनाश लीला में बह गई। हालांकि प्रशासन के द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगों के बीच उचित सुविधा मुहैया कराने के लिए कई तरह के दावे किए जा रहे हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक राज्य में बाढ़ के कहर से 19 जिलों के 186 प्रखंडों की 1 करोड़ 67 लाख से ज्यादा की आबादी त्रस्त है। तो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 24 घंटे में 29 लोगों की मौत हुई है। वहीं इससे पहले अररिया में 87, किशनगंज में 24, पूर्णिया में 19, कटिहार में 40, पूर्वी चंपारण में 32, पश्चिमी चंपारण में 36, दरभंगा में 26, मधुबनी में 28, सीतामढ़ी में 43, शिवहर में चार, सुपौल में 16, मधेपुरा में 22, गोपालगंज में 20, सहरसा में 8, मुजफ्फरपुर में 7, समस्तीपुर में 2 और खगड़िया और सारण में सात-सात लोगों की मौत हुई है। वहीं पूरे राज्य से आ रही जानकारी के मुताबिक बाढ़ के कहर में अब तक हजारों लोग बह चुके हैं।
मामले की जानकारी देते हुए आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने बताया की धीरे-धीरे अब बाढ़ का प्रकोप कम हो रहा है लेकिन समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि बाढ़ के पानी का उग्र रूप अभी भी देखने को मिल रहा है। वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार सेना एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों के द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पूरे राज्य में 368 राहत शिविर चालू किए गए हैं। जिसमें करीब दो लाख से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं। तो 1,403 सामुदायिक रसोई चलाई जा रही है।
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