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बिहार के 4 लाल जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लहराया देश का परचम, गोल्ड मेडल जीतकर किया नाम रोशन

बिहार के बेगूसराय ज़िला के रहने वाले कैसर रेहान ने ताइक्वांडो में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश, राज्य और जिले का नाम रोशन किया है।

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पटना, 1 सितंबर 2022। बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, यहां के लाल विभिन्न क्षेत्रों में अपने हुनर का परचम लहरा रहे हैं। आज हम आपको बिहार के विभिन्न जिलों के चार खिलाड़ियों के बारें में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत कर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। सबसे पहले हम आपको बिहार के बेगूसराय जिला के छोटे से गांव के रहने वाले कैसर रेहान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ताइक्वांडो में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के नाम कई गोल्ड मेडल जीता है। आज हम आपको चार ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने विदेशों में भी देश का नाम रोशन किया है।

ताइक्वांडो में लहराया देश का परचम

ताइक्वांडो में लहराया देश का परचम

बिहार के बेगूसराय ज़िला के रहने वाले कैसर रेहान ने ताइक्वांडो में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश, राज्य और जिले का नाम रोशन किया है। आपको बता दें कि कैसर रेहान को इंडियन दोजांग स्पोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशन ने एक्सलेंट परफॉर्मेंस के लिए सम्मानित किया है। आईडीएसओ अवार्ड ताइक्वांडो में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। कैसर रेहान बैंकाक में हुई अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं साथ ही देश के नाम गोल्ड मेडल भी जीता था।

दो बार आईडीएसओ अवार्ड से सम्मानित

दो बार आईडीएसओ अवार्ड से सम्मानित

अन्तर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी कैसर रेहान को दो बार आईडीएसओ अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं। आपको बता दें कि मो. शब्बीर अहमद के बेटे रेहान थाईलैंड में हुई अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में भी भार के नाम गोल्ड मेडल ला चुके हैं। कैसर रेहान ने वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में बताया कि वह बचपन में परिवार से छिपाकर ताइक्वांडो की तैयारी करते थे। उनकी बहनों काफ़ी सहयोग किया। धीरे-धीरे कामयाबी मिलने के बाद परिवार वालों ने भी साथ दिया। कैसर रेहान ने 20210 में कराटे के ज़रिए खेलकूद में कदम रखा और अब ताइक्वांडो के ज़रिए देश,प्रदेश और जिला के नाम अनगिनत अवार्ड जीतते हुए सभी को गौरवांवित कर रहे हैं।

छोटे से गांव के रहने वाले गुफरान ने जीता गोल्ड

छोटे से गांव के रहने वाले गुफरान ने जीता गोल्ड

अररिया के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले गुफरान ने एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश ही नहीं बल्की गांव को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। आपको बता दें कि नेपाल के पोखरा में 19 अगस्त को एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था। जिसमें गुफरान ने 400 मीटर मैराथन में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। ग़ौरतलब है कि गुफरान पहले भी 400 मीटर मैराथन में गोल्ड मेडल जीत चुका है। एथलेटिक्स नेशनल चैंपियनशिप में जुलाई 2022 में नई दिल्ली में आयोजित चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। फिर गुफरान ने अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा की तैयारी में जुट गया और उसकी मेहनत रंग लाई।

मैराथन दौड़ में किया देश का नाम रोशन

मैराथन दौड़ में किया देश का नाम रोशन

गुफरान की प्रारंभिक शिक्षा मध्य विद्यालय मोमिन टोला खोरागाछ से हुई। अभी वह उच्च विद्यालय बरदाहा से दसवीं बोर्ड की तैयारी कर रहे हैं। जब वह आठवी कक्षा में थे तो आर्मी में जाना के लिए तैयारी कर रहे थे। एक दिन वह अररिया आए को पता कि नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए फॉर्म भरे जा रहे हैं। उन्होंने भी आवेदन जमा किया और दिल्ली में मैराथन की तैयारी करने पहुंच गए। नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल पर क़ब्ज़ा जमाया। इसके बाद उन्होंने इंटरनेशल चैंपियनशिप की तैयारी शरु की और नेपाल के पोखरा शहर में इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग पहुंचे। यहां भी उन्हें कामयाबी मिली और देश के नाम गोल्ड मेडल किया।

टोक्यो पैरालंपिक में जीता गोल्ड मेडल

टोक्यो पैरालंपिक में जीता गोल्ड मेडल

टोक्यो पैरालंपिक में वैशाली जिले के रहने वाले प्रमोद ने देश के नाम गोल्ड मेडल किया है। हाजीपुर के रहने वाले प्रमोद भगत ने बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम रोशन किया है। आपको बता दें कि प्रमोद सेंदुआरी गांव निवासी रामा भगत के बेटे हैं। प्रमोद भगत भुवनेशर (उड़ीसा) में रहते हैं, और वहीं से उन्होंने बैडमिंटन करियर की शुरुआत की। बैडमिंटन में राष्ट्रीय स्तर पर काफी अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने जापान के टोक्यो पैरालंपिक 2021 में गोल्ड मेडल पर क़ब्ज़ा जमाया। एक साल बाद घर लौटने पर उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके लिए पटना में भी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जहां उन्हें राज्य सरकार की तरफ़ से 1 करोड़ रुपये देकर सम्मानित किया गया।

4 साल की उम्र में हुआ था पोलियो

4 साल की उम्र में हुआ था पोलियो

प्रमोद भगत को 4 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। जिसके बाद वह अपनी बुआ के पास उड़ीसा चले गए थे वहीं शिक्षा जारी रखी और वहीं से बैडमिंटन खेलना शुरू किया। खेल में दिलचस्पी बढ़ी तो फिर औऱ मेहनत करने लगे। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर जीत दर्ज करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करने के लिए महेनत किया। 4 सितंबर 2021 को टोक्यो पैरालंपिक में मिला गोल्ड मेडल। प्रमोद भगत ने कहा कि इस जीत का श्रेय मैं अपने ग्रामीणों को देता हूं। आपको बता दें कि प्रमोद भगलत अर्जुन अवॉर्ड, खेल रत्ना, पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं।

कॉमनवेल्थ गेम में लहराया देश का परचम

कॉमनवेल्थ गेम में लहराया देश का परचम

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के बिहार के मुंगेर जिला चंदन कुमार सिंह ने लॉन बाउल्स सिल्वर मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया। चार सदस्यों की भारतीय टीम में सुनील बहादुर, नवनीत सिंह, चंदन कुमार सिंह, और दिनेश कुमार शामिल थे। हवेली खड़गपुर (मुंगेर) निवासी चंदन कुमार सिंह बतौर शारीरिक शिक्षक मध्य विद्यालय( समदना हथिया) में कार्यरत हैं। बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल प्रतियोगिता में ने लॉन बाउल्स सिल्वर मेडल जीत कर देश का परचम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लहाराया है। चंदन कुमार इससे पहले एशियन चैंपियनशिप 2017 में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। वहीं एशियन चैंपियनशिप 2016 में गोल्ड मेडल और 2014 में सिल्वर मेडल जीत कर सभी को गौरवांवित कर चुके हैं।

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English summary
player from bihar who won gold medal in international championship
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