बिहार: PC में वायरस डालकर साइबर ठगी, पटना में बैठकर अमेरिका में लगा रहा था चूना
पटना में बैठकर साइबर क्राइम कर अमेरिका के लोगो को यह लोग शिकार बना रहे थे। पुलिस की मानें तो एक-एक बार 9 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी कर रहे थे। अमेरिकन करंसी वैल्यू में 15 हज़ार डॉलर का एक बार में चूना लगा रहे थे।
पटना, 19 सितंबर 2022। बिहार विभिन्न ज़िलों से साइबर ठगी गिरोह की गिरफ्तारी की खबर आए दिन देखने को मिल रही है। ताज़ा मामल बिहार की राजधानी पटना का है, जहां के ठग अमेरिका के लोगों को ठगी का शिकार बना रहा था। पुलिस की सायबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है। सीटी एसपी अम्बरीश राहुल की मानें तो कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के एक और बिहार निवासी तीन ठगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग पटना के पाटलिपुत्रा थाना क्षेत्र में फ्लैट किराए पर लेकर कॉल सेंटर बनाकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे थे। पुलिस भी इन लोगों के ठगी का सिस्टम देख हैरारन रह गई।
अमेरिका के लोगों का लगाया चूना
पटना में बैठ कर साइबर क्राइम कर अमेरिका के लोगो को यह लोग शिकार बना रहे थे। पुलिस की मानें तो एक-एक बार 9 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी कर रहे थे। अमेरिकन करंसी वैल्यू में 15 हज़ार डॉलर का एक बार में चूना लगा रहे थे। यह लोग अमेरिका के लोगों के कंप्यूटर और लैपटॉप में मालवेयर या रैनसमवेयर डाल देते थे। उसके बाद उसे सही करने के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।
दो तरीक़े से ठगी करते हैं शातिर
पुलिस की मानें तो साइबर ठग दो तरीके से अपने काम को अंजाम दे रहे थे। पहला तो उन लोगों ने अमेरिका के लोकल केनक्शन के ज़रिए वह विभिन्न अमेरिकन बैंकों में ठगी के रुपये लेते थे। वहीं दूसरे तरीक़ा बंद लिफाफे में कैश रुपये कूरियर कंपनी की मदद से लोकत पते पर मंगवाते थे। इंटरनेशनल साइबर ठगी मामले पटना पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि यह ठग काफी शिक्षित हैं। अमेरिकन लोगों से अंग्रेजी में बात कर ठगी कर रहे थे।
शातिरों ने उगला ठगी का राज़
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारी ने बताया कि 17 सितंबर को दीघा थाना पुलिस टीम सुबह 7 बजे के क़रीब गश्ती कर रही थी। इसी दौरान कुर्जी में तीन शातिर संदिग्धों को पुलिस ने एशियन हॉस्पिटल के पास पकड़ा था। हिरासत में लिए गए आरोपियों की तलाशी के दौरान जब पुलिस ने मोबाइल डिटेल्स निकाला तो कॉल सेंटर से जुड़ी जानकारियां मिली। जिसके बाद सभी सदिंग्धों को दीघा थाना लाया गया और उनसे पूठताछ शुरू की गई। पूछताछ में उन्होंने अपनी साइबर ठगी की बात बता दी।
पॉप अप लिंक्स के ज़रिए होता था कांड
साइबर ठगों ने स्काइप, टेक्स्ट नाउ और रिंग सेंटर जैसे एप्प पर फर्ज़ी आईडी बना रखी है। अंग्रेज़ों के नाम से आईडी बनाने के बाद यह लोग विभिन्न वेबसाइटों पर पॉप अप लिंक्स अपलोड करते हैं। लिंक अपलोड होने के बाद अगर कोई व्यक्ति उन्के पॉप अप पर क्लिक कर लेता है तो उनके सिस्टम ( पीसी और लैपटॉप ) में मालवेयर या रैनसमवेयर अपना आप डाउनलोड हो जाता है। वायरस जाने के बाद सिस्टम स्लो हो जाता है। इसी दौरान स्काइप, रिंग सेंटर और टेक्स्ट नाउ एप्प के फर्जी अकाउंट को बड़ी कंपनियों के कॉल सेंटर के नाम पर पुश ( डिस्प्ले) किया जाता है। वहा दिखा तो कंपनियों का नाम है लेकिन उन नंबरों पर ठग ऑपरेट करते रहते हैं।
रिमोट कंट्रोल एप्प के ज़रिए ठगी
स्लो सिस्टम की जब यह लोग शिकायत कर सही करने के लिए अप्रोच करते हैं, तो इसके बाद ठग उन्हें ऑनलाइन कॉल कर रिमोट कंट्रोल एप्प डाउनलोड करवाते हैं। जिसके बाद उनका सारा सिस्टम ठगों की कंट्रोल में हो जाता है। फिर सिस्टम सही करामे की नाम पर विभन्न पैकेज की जानकारी देते हैं। इस दौरान जैसे ही व्यक्ति कोई प्लान खरीदता है वैसे ही शातिर उन्हे अपनी ठगी का शिकार बना लेते हैं। ठगी के सारे रुपये अमेरिकन बैंक में जमा होती है। उसके बाद वहां से रुपये भारत मंगवाए जाते हैं।
10.50 लाख रुपये कैश बरामद
पुलिस ने जब साइबर ठगों के ठिकाने पर छापेमारी की तो वहां से 10.50 लाख रुपये कैश बरामद हुआ। 1.79 लाख रुपये के जेवर खरीदने की रसीद, 1 लैपटॉप, सीपीयू, 2 पेन ड्राइव, 3 मेमोरी कार्ड, 3 कार्ड रीडर, 3 मोबाइल, 2 बाइक, 7 बैंक अकाउंट पासबुक और बैंक में किए गए 50 हज़ार रुपये की रसीद भी बरामद हुई। पुलिस की मानें तो इनके सरगना पिंटू को अपने साथी ठगों के पकड़े जाने की खबर मिल चुकी थी। इसलिए वह पुलिस के पहुंचने से पहले ही मौक़े से फरार हो गया। अपने साथ वह कई औऱ चीज़ें ले गया लेकिन एक डायरी बरामद हुआ है, जिसमें इनके करतूतों का लेखा जोखा है।
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