बिहार बोर्ड: कॉपी में 85 नंबर को ओवरराइट कर बनाया गया 80, इसीलिए रह गईं सकेंड टॉपर, जांच शुरू
पटना। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का विवादों से पीछा छूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब ऐसी संभावना है कि 2017 के मैट्रिक टॉपर का नाम बदल सकता है। 2017 की मैट्रिक परीक्षा में सिमुलतला स्कूल की भाव्या कुमारी सेकेंड टॉपर रही थीं। उन्होंने छह अंक बढ़ाने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट में मंगलवार को इस मामले में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से चार हफ्ते में इसका जवाब मांगा है। भाव्य का दावा है कि मैट्रिक परीक्षा की कॉपी जांच में गड़बड़ी हुई है और सही उत्तर के भी अंक नहीं दिए गए हैं। अगर भव्या के 6 अंक बढ़ जाते हैं तो वह 2017 की मैट्रिक टॉपर बन जाएंगी। 2017 की मैट्रिक परीक्षा में लखीसराय के गोविंद हाईस्कूल के प्रेम कुमार ने पहला स्थान प्राप्त किया था। प्रेम को 465 अंक मिले थे जब कि सिमुलतला आवासीय विद्यालय की छात्रा भाव्या कुमारी को 464 अंक मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रही थीं। जब भाव्या के 6 अंक बढ़ेंगे तो जाहिर सी बात है कि वह पहले स्थान पर आ जाएंगी।
भाव्या ने पटना हाईकोर्ट में दावा करते हुए कहा है कि हिंदी की उत्तर पुस्तिका में छेड़छाड़ की गई है और दो प्रश्नों के अंक भी नहीं दिए गए हैं। सामाजिक विज्ञान व संस्कृत में भी एक-एक प्रश्न में अंक नहीं दिए गए हैं। सूचना के अधिकार के तहत भाव्या ने उत्तर पुस्तिका मांगी तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद भाव्या ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। भाव्या कुमारी (रोल कोड 22050, रोल नंबर 1700007) की याचिका पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह के कोर्ट ने बोर्ड से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही उत्तर पुस्तिका पर अंक काटने को लेकर जांच कमेटी बना कर रिपोर्ट मांगी है। भाव्या के वकील रतन कुमार ने बताया कि अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
आरटीआई से हुए अंकों में छेड़छाड़ के खुलासे के बाद सेकेंड टॉपर ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। उनका कहना है कि हिंदी की उत्तर पुस्तिका पर ओवरराइटिंग कर 5 को जीरो बनाया गया है। भाव्या कुमारी का कहना है कि हिंदी विषय में उसे 85 अंक आए थे। लेकिन उत्तर पुस्तिका पर ओवरराइटिंग करके प्रश्न संख्या छह में 5 को जीरो बना दिया गया। इससे हिंदी विषय में 80 अंक ही मिले। हैरत की बात यह है कि भाव्या कुमारी के अंकपत्र पर हिंदी में 80 अंक ही दिए गए हैं। सवाल उठता है कि जब उत्तर पुस्तिका में 80 अंक कर दिया गया तो फिर अंक पत्र पर 85 अंक कहां से लिख दिया गया। इतना ही नहीं भाव्या ने दावा किया है कि उनके दो-दो अंकों के दो प्रश्न के सही उत्तर होने के बाद भी उसे अंक नहीं दिए गए हैं।
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