अब नीतीश सरकार ने भी माना, लालू परिवार ने मॉल निर्माण में की गड़बड़ी
लालू यादव परिवार के द्वारा 71,214 स्क्वॉयर मीटर जमीन पर बिना पर्यावरण क्लियरेंस के ही ये मॉल बनवाया जा रहा था। जब इस बात पर कोई उंगली उठाता तो लालू कहते धुद्द!
पटना। लालू प्रसाद यादव के परिवार के द्वारा निर्माण कराए जा रहे राज्य के सबसे बड़े मॉल की मिट्टी घोटाले से शुरू हुआ बेनामी संपत्ति का मामला अब तक चल रहा है। मॉल निर्माण में नियमों की अनदेखी कर निर्माण कार्य कराए जाने को लेकर अब बिहार सरकार भी ये मान रही है कि लालू परिवार के द्वारा इस निर्माण कार्य में गड़बड़ी की गई थी। जहां हर रोज विपक्ष की पार्टी द्वारा उनकी बेनामी संपत्ति के मामले को बेनकाब किया जा रहा है। जिससे उनकी छवि पूरी तरह धूमिल होती जा रही है।
राजद परिवार के द्वारा निर्माण किए जा रहे मॉल को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें ये आरोप लगाया गया था कि अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लालू यादव परिवार गलत तरीके से मॉल का निर्माण कर रही है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब तलब की थी। जहां कोर्ट को बिहार सरकार ने बताया कि पटना के सगुना मोड़ पर राजद परिवार के मालिकाना हक वाले मॉल के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया था। मॉल निर्माण के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं ली गई थी। इसी की वजह से मॉल का निर्माण कार्य रोक दिया गया।
आपको बता दें कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के द्वारा हाईकोर्ट में दायर एक लोकहित याचिका पर जवाब सवाल किया जा रहा था। साथ ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा भी दिया गया एक पत्र शामिल किया गया था। जिसमें ये स्पष्ट किया गया था कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव परिवार द्वारा मॉल बनाने से पहले अनुमति नहीं ली गई थी। इसी की वजह से उनके मॉल निर्माण कार्य को रोक दिया गया।
वहीं हाईकोर्ट के एडवोकेट मणि भूषण प्रसाद सेंगर के द्वारा हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर करते हुए मॉल निर्माण और यहां की मिट्टी को पटना जू में गैरकानूनी ढंग से बिक्री की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट में बिहार सरकार से सवाल-जवाब किया जा रहा था। इस सवाल जवाब में बिहार सरकार के बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा कहा गया कि पर्यावरण क्लियरेंस के बिना निर्माण कार्य पर्यावरण 1986 का उल्लंघन है। साथ ही बोर्ड के द्वारा अदालत को दस्तावेज भी सौंपे गए जिसमें मॉल के डेवलपर अबू दोजाना को मॉल निर्माण कार्य बंद करने का आदेश दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि दोजाना उस मेरिडियन कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के प्रबंध निर्देशक हैं जो इस मॉल का निर्माण कार्य कर रहे थे। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा 19 मई को इस मॉल के निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया गया था। वहीं 15 मई को केंद्रीय मंत्रालय ने नियम का पालन नहीं करने को लेकर मॉल निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। बोर्ड के द्वारा बताया गया कि 20 हजार स्क्वॉयर मीटर से अधिक के निर्माण के लिए पर्यावरण क्लियरेंस की आवश्यकता होती है जबकि लालू यादव परिवार के द्वारा 71,214 स्क्वॉयर मीटर में बिना पर्यावरण क्लियरेंस में ही ये मॉल बनवाया जा रहा था।
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