बिहार: SBI में हो जाता बिग ब्लंडर, CMS कर्मी ने जमा किए 5 लाख 50 हज़ार, 50% नोट थे नकली
सीएमएस के कर्मी ने हिरासत में बताया कि महिंद्रा फाइनेंस से बैंक में जमा करने के लिए 6 लाख 79 हजार रुपये हासिल हुए थे। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने महिंद्रा फाइनेंस के दफ़्तर में भी पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज को खंगाला।
सहरसा, 26 जुलाई 2022। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा (सहरसा) में जाली 2 लाख 25 हज़ार रुपये जमा करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि सीएमएस (कैश मैनेजमेंट सिस्टम) के एक कर्मी ने नकली नोट जमा किए थे। फिलहाल पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और मामले की जानकारी जुटा रही है। आरोपी कर्मी ने पांच सौ रुपये के 11 बंडल और अन्य नोटों का बंडल जमा किया था। बैंक में जब रुपये की गिनती हुई तो असली नोटों के साथ-साथ जाली नोट मिले रहने का खुलासा हुआ।
2 लाख 25 हज़ार रुपये पाये गए जाली
सीएमएस के कर्मी ने हिरासत में बताया कि महिंद्रा फाइनेंस से बैंक में जमा करने के लिए 6 लाख 79 हजार रुपये हासिल हुए थे। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने महिंद्रा फाइनेंस के दफ़्तर में भी पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया। सीसीटीवी फूटेज में आरोपी कर्मी के ज़रिए रुपये जमा करने की बात सामने आई। वहीं पूरे मामले में एसबीआई क्षेत्रीय प्रबंधक विनोद कुमार ने बताया कि पांच सौ रुपये का 11 बंडल कुल पांच लाख 50 हजार रुपए सीएमएस कर्मी के ज़रिए जमा किया गया था। जिसमें 2 लाख 25 हजार रुपये जाली पागे गये। वहीं 100 और 50 रुपये के नोटों के बंडल असली थे।
पुलिस कर रही है हर पहलु पर जांच
रुपये जमा करने के दौरान नकली नोट पाये जाने पर पुलिस को सूचना दी गई। मामले की जानकारी मिलने पर प्रशिक्षु डीएसपी निशिकांत भारती, सुधाकर कुमार (सदर थानाध्यक्ष) मौक़े पर पहुंचे और मामले की तफ़्तीश शुरू की। प्रशिक्षु डीएसपी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, तफ्तीश के बाद ही खुलासा हो पाएगी इतनी ज्यादा नकली नोट कहां से आए। ग़ौरतलब है कि कुछ महीने पहले मत्स्यगंधा मेला में भी पांच जाली नोट बरामद हुआ था। मामले की शिकायत नहीं होने की वजह से कोई संज्ञान नहीं लिया गया था। एक दो जाली नोट बाज़ार में अकसर देखने को मिल जाता है लेकिन इतने बड़े पैमाने पर जाली नोट मिलने के बाद अब पुलिस भी हर पहलु पर जांच कर रही है।
नोट माफियाओं का हाथ होने की संभावना
बैंक में जाली नोट मिलने के बाद अब नोट माफिया का बड़ा रैकेट होने की भी संभावना जताई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बैंक में जब लाखों रुपये नकली नोट जमा हो सकते हैं तो फिर लोगों को अगर बैंक से मिले नोट नकली हुए तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा। क्योंकि कई दफ़ा मज़दूर लोग पढ़े लिखे नहीं होते हैं और उन्हें नकली-असली का फ़र्क समझ में नहीं आता है। ऐसे में उनके पास नकली नोट आ जाए तो क्या बैंक इसे बदलेगा। यह जांच का विषय है कि बैंक में तो कम से कम नकली नोटों का लेन-देन नहीं हो।
ये भी पढ़ें: बिहार: बेगूसराय के हज़ारों युवाओं को मिलेगा रोज़गार, 300 करोड़ की लागत से शुरू होगा ये प्रोजेक्ट