लालू के आगे झुकी नीतीश सरकार, नाव हादसे की जांच से डीएम को निकाला
बीते दिनों बिहार स्थित पटना के एनआईटी घाच पर नाव हादसे के मामले में अपने एक फैसले में नीतीश सरकार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के आगे झुकना पड़ा।
पटना। घर की चाभी अगर चोर के हाथों में दे दिया जाए तो घर मे रखा हुआ सामान कितना सुरक्षित रहेगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। या फिर इसे बिहारी भाषा में इस तरह भी कह सकते हैं कि उल्टे चोर कोतवाल को डांटे। कुछ इसी तरह का हाल बिहार में नाव दुर्घटना के बाद देखने को मिल रहा था। मकर संक्रांति कि काम प्रशासन की लापरवाही से जहा 25 लोगों की जिंदगी गंगा में समा गई। तो इस घटना में प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने दिख रही थी। लेकिन हद तो तब हो गई जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना के जिम्मेदार अधिकारी को ही जांच का जिम्मा सौंप दिया। लेकिन बिहार में चल रही महा गठबंधन की सरकार के बड़े नेता ने जब इस मामले की जांच पर सवाल उठाते हुए हस्तक्षेप किया तब जांच कमेटी में से उन्हें निकाला गया।
बता
दें
कि
मकर
सक्रांति
की
शाम
पतंग
महोत्सव
से
लौट
रहे
लोगों
की
नाव
पलट
गई
जिसमें
25
लोगों
की
मौत
हो
गई।
वहीं
घटना
के
बाद
सरकार
के
द्वारा
फिर
से
वही
पुरानी
बात
दोहराई
गई
मामले
की
जांच
होगी
और
दोषियों
पर
कार्रवाई
भी
होगी।
तो
मामले
की
जांच
करने
के
लिए
तीन
सदस्यीय
टीम
का
गठन
किया
गया।
3
सदस्य
टीम
में
एक
पटना
के
डीएम
संजय
अग्रवाल
थे।
जिनके
खिलाफ
लापरवाही
बरतने
का
आरोप
लगाया
गया
था।
लोगों
का
यह
कहना
था
कि
जिला
प्रशासन
की
लापरवाही
से
ही
यह
घटना
घटी
है।
जब
इस
बात
की
जानकारी
जब
राजद
सुप्रीमो
लालू
प्रसाद
यादव
को
हुई
तो
उन्होंने
इस
मामले
में
हस्तक्षेप
करना
शुरु
कर
दिया।
जिसके
बाद
डीएम
को
जांच
कमेटी
से
बाहर
का
रस्ता
दिखाया
गया।
उल्लेखनीय
है
कि
इस
हादसे
की
जानकारी
मिलने
के
बाद
बिहार
के
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
ने
हादसे
के
2
घंटे
के
भीतर
ही
आनन
फानन
में
तीन
सदस्यीय
जांच
कमेटी
गठित
कर
दी
थी।
पर
बिहार
सरकार
ने
यह
नहीं
देखा
कि
जिन
अधिकारियों
पर
लापरवाही
का
आरोप
है
उन्हें
जांच
का
जिम्मा
केसे
सौपा
जाए।
लेकिन
सरकार
मामले
की
जांच
के
लिए
आपदा
प्रबंधन
विभाग
के
प्रधान
सचिव
प्रत्यय
अमृत
पटना
प्रक्षेत्र
के
डीआईजी
शालीन
और
पटना
के
जिलाधिकारी
संजय
अग्रवाल
को
नियुक्त
किया।
लेकिन
जांच
के
लिए
जैसे
ही
पटना
के
डीएम
को
टीम
में
शामिल
किया
गया
तो
लोगों
ने
कई
तरह
के
सवाल
उठाना
शुरु
कर
दिया।
जिस
पटना
के
जिलाधिकारी
पर
लापरवाही
का
आरोप
है
वह
घटना
की
जांच
कितनी
निष्पक्षता
से
कर
पाएंगे।
लेकिन
सरकार
की
घोषणा
के
बाद
बिहार
महागठबंधन
के
बड़े
नेता
लालू
प्रसाद
यादव
ने
इस
मामले
को
गंभीरता
से
लेते
हुए
मुख्यमंत्री
से
बात
की
और
यह
कहा
कि
जिस
अधिकारी
के
ऊपर
आरोप
हो
उसे
जांच
टीम
में
कैसे
शामिल
किया
जा
सकता
है।फिर
आनन-फानन
में
पटना
के
जिलाधिकारी
को
जांच
टीम
से
बाहर
किया
गया।
इस
बात
की
जानकारी
आपदा
प्रबंधन
विभाग
के
प्रधान
सचिव
प्रत्यय
अमृत
ने
दी
साथ
ही
उन्होने
ने
कहा
कि
जांच
टीम
2
सदस्यीय
होगी
और
सभी
बिंदुओं
पर
जांच
कर
सरकार
को
रिपोर्ट
सौंपेगी।
हालांकि
की
जांच
टीम
के
लिए
कोई
समय
सीमा
अभी
तक
तय
नहीं
किया
गया
है।
वहीं
इस
मामले
में
राष्ट्रीय
जनता
दल
ने
घटना
का
आरोप
प्रशासन
पर
लगाया
है।
राजद
के
नेताओं
का
कहना
है
कि
सरकारी
स्तर
पर
नाव
की
कमी
के
वजह
से
ही
लोग
जैसे-तैसे
दूसरे
नाव
पर
सवार
हो
गए।
हम
इस
घोर
लापरवाही
की
कड़ी
निंदा
करते
हुए
राज्य
सरकार
से
दोषी
अफसरों
को
कड़ी
से
कड़ी
सजा
देने
की
मांग
करते
हैं।
बगैर
मुकम्मल
इंतजाम
के
ऐसा
आयोजन
क्यों
किया
गया।
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