तेजस्वी यादव क्या भारतीय राजनीति का नया इतिहास रचेंगे?
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क्या तेजस्वी भारत की चुनावी राजनीति में नया इतिहास रचेंगे ? अगर वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो भारत के किसी पूर्ण राज्य में वे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। 31 साल की उम्र में सीएम बनना एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड होगा। तेजस्वी 26 साल की उम्र में डिप्टी सीएम बने थे। अब 31 की उम्र में उनके सीएम बनने की उम्मीद पैदा हुई है। इतने कम समय में यह सब कैसे मुमकिन हुआ ? 2010 में जब लालू ने 20 साल के तेजस्वी को 'ट्रेनी पॉलिटिशियन’ के रूप में रिक्रूट किया था तो बहुत कम लोगों को ऐसे चमत्कार की उम्मीद थी। लेकिन अब यह संभव होता दिख रह है। इतनी कम उम्र के लड़के के लिए लालू जैसे दिग्गज नेता का उत्तराधिकार संभालना कोई हंसी खेल नहीं था। लेकिन लालू यादव ने अपनी सूझबूझ से सब मुमकिन कर दिया। तेजस्वी ने भी अपनी क्षमता साबित की। लोकसभा चुनाव की नाकामी को भूला कर नये सिरे से ताकत बटोरी। लालू यादव की गैरमौजूदगी में खुद अपनी राह बनायी। तमाम आलोचनाओं को दरकिनार कर 2020 के चुनाव में वे रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते दिख रहे हैं। एक शर्मीले युवक से तेजस्वी कैसे राजद के सबसे बड़े नेता बन गये?
तेजस्वी का पॉलिटिक्स में डेब्यू
23 सितम्बर 2010, पटना। लालू यादव ने एक खास प्रेस कांफ्रेंस बुलायी थी। मीडियाकर्मी वहां पहुंचे तो देखा कि तेजस्वी यादव लालू की बगल में बैठे हुए हैं। लंबे बाल, जींस और शर्ट पहने हुए तेजस्वी कहीं से नेता नहीं लग रहे थे। लेकिन लालू ने तो तेजस्वी को राजनीतिक पाठशाला में नामांकन के लिए ही ये प्रेसवार्ता बुलायी थी। उस समय तेजस्वी आइपीएल की दिल्ली डेयरडेविल्स टीम का हिस्सा थे। दिल्ली डेयरडेविल्स ने उन्हें 2009 में खरीदा था और 2012 तक वे टीम के सदस्य थे। लालू ने माइक संभाला और तेजस्वी की तरफ देख के कहा, ये लोग भी सीख रहा है कि पापा कैसे बोलते हैं। ये यहां पार्टी ज्वाइन करने नहीं आया है। ये तो पहले से पार्टी में ज्वाइन है, मेरा बेटा है। पत्रकारों ने मामला साफ करने के लिए पूछा, तो क्या तेजस्वी को औपचारिक रूप से दलीय राजनीति में उतार रहे हैं ? तो लालू ने कहा, ये तो बचपन से ही हमारी राजनीति में शामिल है। अब इसे अपने साथ रख कर पॉलिटिक्स की ट्रेनिंग दूंगा। इस बार के विधानसभा चुनाव (2010) में तेजस्वी भी प्रचार के लिए मेरे साथ रैलियों में शामिल होगा। यह चुनावी सभाओं में राजद के लिए वोट मांगेगा। जब उम्र हो जाएगी तो चुनाव भी लड़ेगा। उस समय तेजस्वी की उम्र 20 साल थी। विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयुसीमा है 25 साल। यानी तेजस्वी के चुनाव लड़ने में अभी पांच साल की देरी थी। पत्रकारों ने जब तेजस्वी से कुछ बोलने के लिए कहा तो उन्होंने थोड़ा झिझकते हुए उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने कहा, फिलहाल मैं पापा के साथ प्रशिक्षण लूंगा। लोगों से पार्टी के लिए समर्थन मांगूंगा। उनसे पूछा गया कि आप अपने पापा के साथ मंच पर कैसे बोलेंगे ? तो तेजस्वी ने थोड़ा बचकाने अंदाज में कहा था, पापा जब बोलने लगते हैं तो दूसरे को बोलने का मौका कहां देते हैं।
20
की
उम्र
में
तेजस्वी
का
चुनावी
भाषण
2010 का विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर से शुरू हुआ था। लालू के निजी सचिव रहे विनोद श्रीवास्तव पटना के बांकीपुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उनके लिए लालू ने पटना के गांधी मैदान में 13 अक्टूबर को एक रैली की थी। इस रैली में लालू के बाद तेजस्वी ने भी भाषण दिया था। उन्होंने कहा था, मेरे पिता के चमत्कारी कार्य से रेलवे ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अब वे बिहार का भी चेहरा बदल देंगे। तेजस्वी ने यह भी कहा, अभी वो पॉलिटिकल ट्रेनिंग ले रहे हैं। ट्रेनी के रूप में भी तेजस्वी खूब बोले थे। उन्होंने कहा था, केन्द्र, बिहार के विकास के लिए लगातार पैसा भेज रहा है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसका सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। तेजस्वी ने वाजपेयी सरकार पर बिहार के साथ सौतेला व्यवहार करने का भी आरोप लगाया था। हालां कि राजद इस सीट पर चुनाव हार गया था लेकिन तेजस्वी को जनसमूह के आगे भाषण देने प्रशिक्षण मिल चुका था। लालू यादव अपने पुत्र को करीने से राजनीतिक सांचे में ढाल रहे थे।
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चुनाव के पहले तेजस्वी और तेज की लॉन्चिंग
तेजस्वी 2015 में चुनाव लड़ने की उम्र पूरा कर रहे थे। इसके दो साल पहले ही लालू ने तेजस्वी और तेजप्रताप की पॉलिटिकल लॉन्चिंग के लिए मंच तैयार कर दिया। मई 2013 में लालू ने पटना के गांधी मैदान में परिवर्तन रैली का आयोजन किया था। इस रैली में लालू यादव ने मुनादी कर दी कि तेजप्रताप और तेजस्वी अब चुनावी मैदान में उतरेंगे। दोनों भाइयों की मंच पर शानदार इंट्री हुई। तब तक भारी भीड़ जमा हो चुकी थी। मंच पर केवल तेज प्रताप और तेजस्वी यादव हाथ जोड़े हुए दाखिल हुए। वे हाथ जोड़ कर पूरे मंच पर इस कोने से उस कोने तक घूम गये। लोग खुशी से चिल्ला रहे थे और हाथ हिला कर उनका अभिवादन स्वीकर कर रहे थे। दोनों भाइयों ने एक शब्द भी नहीं कहा लेकिन अपनी भाव-भंगिमा से सब कुछ कह दिया। वे दो साल होने वाले चुनाव के लिए राजद समर्थकों से आशीर्वाद मांग रहे थे। इसके बाद नेताओं का भाषण का सिलसिल शुरू हुआ। इस तरह लालू यादव ने अपने बेटों के लिए राजनीति पिच तैयार कर दी थी। 2015 में जब तेजस्वी ने उम्र सीमा पूरी कर ली तो उन्हें अपने बड़े भाई तेजप्रताप के साथ चुनावी मैदान में उतारा गया। दोनों विधायक बन गये। 2020 में क्या एक ऐतिहासिक पल इनकी प्रतीक्षा कर रह है?