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Bhopal News : रिटायर्ड एयर फोर्स ऑफिसर ने मृत्यु के बाद भी 2 लोगों की जिंदगी में कर दी रोशनी, किया नेत्रदान

भोपाल में एयर फोर्स से रिटायर्ड ऑफिसर राजेश दुबे के एक्सीडेंट में निधन हो जाने के बाद उनके परिवार वालों ने हमीदिया अस्पताल को नेत्रों का दान किया।

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भोपाल, 07 अक्टूबर। अपना पूरा जीवन एयरफोर्स में रहते हुए देश की सेवा करने वाले रिटायर्ड मास्टर वॉरेंट ऑफिसर स्वर्गीय राजेश राजेश दुबे ने मृत्यु के बाद भी 2 लोगों की जिंदगी में रोशनी कर दी। दरअसल राजेश दुबे का एक्सीडेंट हो जाने के कारण 6 अक्टूबर को नर्मदा हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया था। जिसके बाद उनके परिजनों ने हमीदिया हॉस्पिटल को नेत्रदान करने का फैसला किया। जिससे नेत्रहीन दो लोगों के जीवन में रोशनी वापस आ सके। स्व राजेश दुबे के परिजनों ने क्यों किया नेत्रदान का फैसला। जानिए पूरा मामला...

2 अक्टूबर को सड़क दुर्घटना में हुए थे घायल

2 अक्टूबर को सड़क दुर्घटना में हुए थे घायल

राजेश दुबे 2 अक्टूबर को विद्या भारती स्कूल के कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में उन्हें शामिल होना था। उस दिन वे साइकिल से जाने के लिए निकले, अचानक गाड़ी के सामने आने से संतुलन बिगड़ा और वे दीवार से टकरा गए जिससे उनके सिर पर काफी गहरी चोट लगी। इसके बाद उन्हें नर्मदा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां 6 अक्टूबर गुरुवार सुबह उनका निधन हो गया।

एयरफोर्स से सेवानिवृति के बाद भी करते रहे समाज सेवा

एयरफोर्स से सेवानिवृति के बाद भी करते रहे समाज सेवा

ऑर्गन डोनेशन सोसाइटी के प्रमुख ने बताया कि स्व राजेश दुबे आजीवन अपने देश सेवा के जज्बे के अलावा एयरफोर्स से सेवानिवृति के बाद भी अपनी सामाजिक सेवाओं के लिए भी जाने जाते रहे है। शासकीय मॉडल स्कूल के बच्चों को इंग्लिश सिखाने, उनके लिए इंग्लिश में ड्रामा "मर्चेंट ऑफ वेनिश" में मदद हो या किसी भी वंचित, शोषित पीड़ित की सेवा करना हो, अनेकों स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर अपने सेवार्थ करने में सदैव आगे रहते थे। यही कारण था कि उन्होंने अपने जीते जी ही अंगदान, नेत्रदान का संकल्प लिया था, बल्कि औरों को भी इस अंगदान की मुहिम को सामाजिक आंदोलन बनाए जाने हेतु कार्य करते रहे। राजेश दुबे के इसी संकल्प और इच्छा के चलते अंगदान के लिए उनके परिजनों ने काउन्सलर सुनील राय से सम्पर्क किया। चूंकि इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट होने से अंगों का दान सम्भव नहीं हो सका, किंतु नेत्रदान किया गया।

पर्यावरण प्रेमी थे राजेश दुबे

पर्यावरण प्रेमी थे राजेश दुबे

बेटे संजय दुबे ने बताया कि पिताजी पर्यावरण प्रेमी थे। और स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक थे इसलिए अक्सर साइकिल से ही आना-जाना करते थे। उस दिन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वे साइकिल से घर से निकले थे, लेकिन अचानक गाड़ी के सामने आने से उनका संतुलन बिगड़ गया और दीवाल से टकरा गए। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उन्हें नर्मदा हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था।

हमीदिया अस्पताल को दान दी आंखें

हमीदिया अस्पताल को दान दी आंखें

राजेश दुबे के बेटे संजीव दुबे ने बताया कि पिताजी की उम्र 67 साल थी। उन्हें बच्चों को पढ़ाने थिएटर व समाज सेवा का बहुत शौक था। वे शासकीय मॉडल स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी सिखाने जाया करते थे। उन्होंने कहा था कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे अंगों का दान सरकारी हॉस्पिटल में कर देना, लेकिन हृदय गति रुकने के कारण अंगों का दान संभव नहीं हो सका इसलिए हमने नेत्रदान करने का फैसला किया। इसके बाद हमने ऑर्गन डोनेशन सोसाइटी की मदद से हमीदिया अस्पताल को पिताजी की आंखें दान करने दी।

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English summary
Retired Airforce Officer Rajesh Dubey family donated eyes in Bhopal Hamidia Hospital
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