success story: माउंट एवरेस्ट फतह कर राष्ट्रगान गाने वाले पर्वतारोही रत्नेश को 6 साल बाद मिला सम्मान
सतना, 14 अगस्त। अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले रत्नेश पाण्डेय को 6 वर्ष की मशक्कत के बाद वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन ने आधिकारिक पुष्टि कर सर्टिफिकेट जारी किया है। केंद्रीय खेल व युवा कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर ने रत्नेश को सम्मानित किया और आजादी के अमृत महोत्सव में देश प्रेम की अनूठी मिसाल पेश करने की सराहना की और बधाई दी।
राष्ट्रगान गाकर भारतीयों को गौरवान्वित
रत्नेश पाण्डेय ने 21 मई 2016 की सुबह धरती के सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ाई कर पहली बार देश का राष्ट्रगान गाकर भारतीयों को गौरवान्वित किया था, लेकिन यह साबित करने के लिए छह साल तक मशक्कत करनी पड़ी। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन ने दस्तावेजों का परीक्षण के बाद सर्टिफिकेट जारी किया। बता दें कि मध्य प्रदेश में पर्वतारोहण की आधिकारिक नींव रत्नेश पाण्डेय ने रखी। इन्होंने यूरोप, अफ्रीका, रूस, इटली, स्विट्जरलैंड समेत 10 देशों में 21 से अधिक पर्वत शिखरों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। रत्नेश ने अंतरराष्ट्रीय के प्रथम 25 किन्नरों के दल को हिमालय के शिखर पर पंहुचाया। 25 दिव्यांगों के दल को भी फतह दिलाई। 2 पर्वतारोहियों की एवरेस्ट से जान भी बचाई थी। इन्होंने खुद भी एवरेस्ट चढ़ा और अपने स्टूडेंट्स को भी चढ़ाया।
पर्वतों में चढ़ने की शुरुआत
रत्नेश पाण्डेय भारत, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका और नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में गठित व एशियन ट्रेकिंग कंपनी नेपाल की संरक्षण में नेपाल के माउंट एवरेस्ट में ट्रैकिंग करने के इरादे से काठमांडू पहुंचे थे। वर्ष 2015 में नेपाल में भूकंप आने की वजह से एवरेस्ट चढ़ने का सपना पूरा नहीं हुआ था। तूफान में फंसने से उनका दल से संपर्क टूट गया। यहां घर-परिवार वाले भी चिंतित थे। उस दौरान हुए हादसे में 21 विदेशी पर्वतारोहियों ने जान गंवाई थी। 3 दिन बाद नेपाल सेना का हेलीकॉप्टर रत्नेश को सुरक्षित बेस कैंप ले आया था। बावजूद इसके रत्नेश ने अपना हौसला नहीं खोया, और दोबारा प्रयास के बाद फतह हासिल कर ली।