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वित्तमंत्री जी...मध्य प्रदेश के लिए अच्छे दिन कब आएंगे

By Anil
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madhya-pradesh
(अनिल कुमार) क्या कभी मध्य प्रदेश के लिए भी अच्छे दिन आएंगे। यह एक ऐसा सवाल है जो आम बजट में मध्य प्रदेश के लिए जनकल्याण के ठोस मुद्दों को शामिल नहीं करने के बाद सामने आया हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के आम गरीब तबका भुखमरी व लाचारी का दंश झेल रहा है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में कुपोषण का आंकड़ा बढ़कर साठ फीसदी पर पहुंच गया है तथा कई माताएं अपने गर्भपात के दौरान ही कुपोषित होने के कारण दम तोड़ देती है। एक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में हर एक हजार में से 56 बच्चे 28 दिनों के भीतर जन्म लेते ही दम तोड़ देते हैं।

यह है सबसे बड़ा सवाल

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में मध्य प्रदेश में भले ही आईआईटी जैसे संस्थान खोलने के लिए कहा हो लेकिन मध्य प्रदेश की गरीबी, लाचारी कैसे दूर करें या किसानों का आत्मविश्वास कैसे वापस लाएंगे इसके लिए कोई योजना नही्ं। अब तो एक आम तबका यह सवाल भी उठने लगा है कि जब तक बुनियादी सुविधाओं से ही दूर गरीब तबके का कल्याण नहीं होगा तो वह कैसे इन ऊंचे संस्थानों के बारे सोच पाएगा। कहां से हि्म्मत जुटा पाएगा।

युवाओं में नाराजगी

आम बजट में मध्य प्रदेश के कोई खास विकास से जुड़े किसी मुद्दे को शामिल नहीं करने को लेकर भाजपा सरकार फिर जनता के कटघरे में खड़ी हो गई है। दरअसल, व्यापमं घोटाले के तहत हुई प्रतियोगी परीक्षाओं में एक लाख भर्तियों पर संश्य मंडरा गया है और इसमें हजारों ऐसे युवा हैं जिनकी उम्मीदें टूटने लगी हैं और जो प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल हुए थे उनको सपने टूटने जैसा अहसास हो रहा है। वहीं मध्य प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे आदिवासी समुदायों के विकास के लिए कुछ नहीं दिया गया है। ऐसे ही भ्रष्टाचार बढ़ता रहा तो मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार अपना जनाधार भी खो सकती है। मध्य प्रदेश के समाजाकि क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश के एक गरीब तबके में घोटाले के खुलासे के बाद से ही भाजपा के खिलाफ गुस्सा पनप रहा है।

इन समस्याओं के निदान मांग रहा है मध्य प्रदेश

1. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ बरस में मध्य प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या 50 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी पर आ गई है।

2. इस वर्ष मध्य प्रदेश में किसानों की खेती ओले व तादाद से ज्यादा बारिश से खराब हो गई है। कई किसानों को इतना नुकसान हुआ कि लागत भी नहीं वसूल पा रहे हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के ऐसे किसान केंद्र सरकार की ओर से विशेष राहत पैकेज की राह तक रहे थे। कुछ नहीं मिला।

3. पड़ोस के सूबे मध्य प्रदेश के पांच से ज्यादा जिले बुंदेलखंड में आते हैं। उनकी हालत बद से बद्तर होती जा रही है। किसान पलायन कर रहे हैं तो कई लोग भुखमरी की कगार पर हैं।

4. मध्य प्रदेश के कई सतना व रीवा तथा अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का बुरा हाल है। यही नहीं, औद्योगिक इकाइयां तो स्थापित हो रहे हैं लेकिन इससे सैंकड़ों ग्रामीण परिवार विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं। जिनके लिए बजट में कुछ नहीं है।

'ग्रामीण समुदाय के बुरे हाल'

एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक संगठन से जुड़े और मध्य प्रदेश के सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय अविनाश चंचल का कहना है कि मध्य प्रदेश के भोपाल को छोड़ दें तो कई जिलों में ग्रामीण समुदाय के लोग बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं। गांवों में सड़के टूटी पड़ी हैं यही नहीं बहुत खराब हालात हैं। किसान फसल बरबाद होने की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीण लोग समस्याओं के चलते पलायन करने पर मजबूर हैं।

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English summary
No any development plan in union budget for Madhya Pradesh. Many poor groups of society are away from the Human development.
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