ड्रग्स तस्करों के टारगेट थे इंदौर-भोपाल, पुलिस ने फिल्मी अंदाज में नोट दिखाकर सप्लायर्स को पकड़ा
मध्य प्रदेश की ग्वालियर पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि अगर ग्वालियर में ड्रग्स तस्कर अपनी योजना सफल हो जाते तो, इसके बाद वे इंदौर भोपाल को भी टारगेट बनाते।
भोपाल, 9 सितंबर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि अगर ग्वालियर में ड्रग्स तस्कर अपनी योजना सफल हो जाते तो, इसके बाद वे इंदौर भोपाल को भी टारगेट बनाते। जांच में पता चला है कि गिरोह ने मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में नशे का जाल बिछाने के लिए बड़ी योजनाएं बनाई थी। जिससे बड़े शहरों में रहने वाले हाई-फाई परिवारों से जुड़े युवा नशे में डूब जाएं। बता दे क्राइम ब्रांच ने ग्वालियर पुलिस के साथ मिलकर इस मामले में गिरोह को पकड़ने के लिए कस्टमर बनकर संपर्क किया था। इसके लिए पुलिस ने गिरोह के सदस्यों को वीडियो कॉल कर ऑनलाइन नोटों से भरा सूटकेस भी दिखाया था। बता दे क्राइम ब्रांच और ग्वालियर पुलिस ने मिलकर 7 ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार किया। जिनके पास से ₹36 लाख MDMA ड्रग्स बरामद की गई थी।
36 लाख रुपए की 720 ग्राम MDMA बरामद
क्राइम क्राइम ने ग्वालियर पुलिस के साथ मिलकर 7 ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इनके पास से 36 लाख रुपए की 720 ग्राम एमडीएमए( मेथामफेटामाइन) बरामद की। इसके अलावा पुलिस ने तस्करों के पास से दो कट्ठे कारतूस और बाइक भी बरामद की। प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि झांसी का रहने वाला मास्टरमाइंड मनीष मिश्रा अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर यह गिरोह चला रहा था। गैंग के तार उत्तर प्रदेश के झांसी जालौन और बाहर के राज्यों से भी जुड़े थे। तस्करों की मंशा शहर में संचालित पब, क्लब, बार और होटलों में ड्रग्स सप्लाई करने की थी। जिससे युवाओं को नशे का आदि बना सकें। और इसके बाद इन युवाओं को पेडलर बनाकर ग्वालियर में डिलीवरी प्वाइंट बना सकें।
इंदौर भोपाल को बनाना था टारगेट
क्राइम ब्रांच की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रसकर बड़ी मात्रा में मध्यप्रदेश में ट्रक सप्लाई करने वाले थे इसलिए उन्होंने एमपी के बड़े शहरों को चुना था सबसे पहले वह ग्वालियर को डिलीवरी प्वाइंट बनाना चाहते थे इसके बाद इंदौर भोपाल में ड्रग्स का जाल बिछाना चाहते थे। जानकारी में सामने आया कि ड्रग्स माफिया मनीष मिश्रा का इंदौर-भोपाल में भी सप्लायर्स से संपर्क था, लेकिन ग्वालियर में उनकी योजना सफल नहीं हुई।
एसपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि एमडीएमए ड्रग का नशा करने के बाद इंसान की बॉडी में रासायनिक बदलाव होता है एक बार नशा करने के बाद आदमी इससे दूर नहीं हो पाता। वे अपनी सुध बुध, ज्ञान-कौशल सब कुछ खो देता है। कई बार इस नशे में लोग बड़ी वारदातों को भी अंजाम दे देते हैं। पुलिस अभी कई पॉइंट पर काम कर रही है। अभी कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
सप्लायर्स को पकड़ने के लिए पुलिस ने दिखाएं नकली नोटों की गड्डी पर असली नोट
क्राइम ब्रांच पुलिस और ग्वालियर पुलिस ने तस्करों को पकड़ने के लिए फिल्मी अंदाज में बड़ा जाल बिछाया। पुलिस ने बताया कि जब हमने कस्टमर बनकर गिरोह के सदस्यों से बात की तो उन्होंने इस दौरान दो बार वीडियो कॉल कर कर पैसे देखने चाहे। सप्लायर्स का कहना था कि वे तभी माल लेकर आएंगे जब मैंने वीडियो कॉल पर रुपए दिखाए जाएंगे। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने बड़े सूटकेस में पहले नीचे नकली नोटों की गड्डी और कपड़े रखे उसके ऊपर फिर इसके बाद असली नोट 1-1 चिपका दिए। इसके बाद वीडियो कॉल पर नोटों से भरा सूटकेस सप्लायर्स को दिखाया गया। जिससे उनको विश्वास होने पर डील पक्की हुई।
पुलिस से बचने के लिए महिला को बनाया साथी
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि ड्रग सप्लायर पुलिस से बचने के लिए महिला को साथ रखते थे जिससे पुलिस को आसानी से चकमा दिया जा सके। पकड़ी गई आरोपी सोनम राजपूत उत्तर प्रदेश के रहने वाले ड्रग्स माफिया मनीष मिश्रा की चाहती थी। ये उसी के साथ रहती और काम करती थी। ड्रग्स की बड़ी खेप में सोनम खुद ही गिरोह के साथ जाती थी, जिससे पुलिस को संदेह ना हो।
बड़ी-बड़ी हाईप्रोफाइल पार्टियों में सप्लाई करना था एमडीएमए ड्रग
पकड़ा जाने के बाद ब्रिक सप्लायर्स ने क्राइम ब्रांच और पुलिस को बताया कि पहली बार वे ग्वालियर शहर में तस्करी करने आए थे, लेकिन पुलिस का कहना है कि उनके पास सबूत है इससे पहले भी गिरोह तस्करी कर चुका है। पुलिस ने 7 दिन पहले तस्कर को पकड़ा था उसके पास से एक गुड़िया ड्रेस भी मिली। इसी आधार पर पुलिस ने 10 संस्कारों पर नजर रखना शुरू किया था। पुलिस को अंदेशा है कि यह ड्रग ग्वालियर में होने वाली बड़ी पार्टी, क्लब पार्टी और अन्य पार्टियों भी इसका उपयोग होता है।