बरेली की 'निर्भया' को चार साल बाद मिला न्याय, कोर्ट ने दो आरोपियों को सुनाई फांसी की सजा
बरेली। 29 जनवरी 2016 में बरेली जिले के नवाबगंज इलाके में एक नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। चार साल बाद इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। स्पेशल पॉक्सों कोर्ट ने बच्ची से गैंगरेप और हत्या के दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। यही नहीं पास्को कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
जानकारी के मुताबिक, मामला बरेली जिले के नवाबगंज इलाके में 29 जनवरी 2016 का है। यहां एक नाबालिग बच्ची के साथ गांव के ही दो युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया। जब बच्ची रात तक अपने घर नहीं पहुंची तो उसकी तलाश शुरू हुई। तलाश के दौरान परिजन खेत में पहुंचे तो उसका शव मिला। शव देखने वालों ने उसी वक्त अंदाजा लगा लिया था कि हुआ क्या है। पुलिस आई शव पोस्टमॉर्टम को भेज दिया गया।
रिपोर्ट आई तो सबके होश उड़ गए। बच्ची के साथ दरिंदगी की गई थी। उसके प्राइवेट पार्ट में लकड़ी मिली थी, कई चोट के निशान थे। पुलिस ने आरोपितों की तलाश की तो काफी प्रयास के बाद भी नहीं मिले। इसी दौरान गांव के रामचंद्र ने पुलिस को बताया कि मुरारीलाल व उमाकांत उससे मदद मांगने आए थे। वह पुलिस से बचाने की बात कह रहे थे। यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। पूछताछ में घटना कुबूल कर ली। दोनों पर मुकदमा दर्ज हुआ था।
तत्कालीन सीओ नरेश कुमार ने मामले की जांच की। इसमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अपराध को जघन्य बता रही थी। इसमें पीड़िता की दादी, मां के अलावा रामचंद्र गवाह बने। इस मामले में 2017 में चार्जशीट लगा दी गई थी। लेकिन अदालत में यह मामला अब तक चलता रहा। इसमें कई बार गवाही का ही पेंच फंसा। तत्कालीन इंस्पेक्टर आर्यन सिंह और सीओ नरेश कुमार को भी तबादला हो चुका था। वहीं दादी व एक अन्य गवाह को डराने की कोशिश हुई। एक अन्य गवाह तो अदालत में अपने बयानों से पलट भी गया था। दूसरे गवाह यानी रामचंद्र को पुलिस ने सुरक्षित रखने का भरोसा दिया तो वह गवाही देने को तैयार हुए। इस मामले में आरोपितों को दोषी करार देने से पहले तीन दिन तक लगातार बहस हुई थी।