यूपी के बहराइच में सरयू के किनारे मिली दुर्लभ कछुओं की 11 प्रजातियां
बहराइच, मई 25: उत्तर प्रदेश में मौजूद दुर्लभ स्वच्छ जलीय जीव कछुओं और कुर्म की 15 प्रजातियों में से सर्वाधिक 11 प्रजातियां अकेले बहराइच जिले की सरयू नदी में पाई गई हैं। कछुओं पर रिचर्स कर रही वन्यजीव प्रेमी अरुणिमा ने जिले के सरयू नदी के इलाकों को विभिन्न प्रजातियों के दुर्लभतम कछुओं के प्राकृतिक प्रवास व उत्पत्ति को बेहतर स्थल बताया है।
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विश्व कछुआ दिवस पर वेबसाइट और ऐप किया गया लॉन्च
कछुओं की प्रजाति को आसानी से पहचानने और उनको सही स्थान तक पहुचाने के उद्देश्य से विश्व कछुआ दिवस पर बीते रविवार को एक वेबसाइट और एक ऐप का लॉन्च किया गया। सरयू नदी के किनारे तीन साल से कछुओं पर शोध कर रही अरुणिमा ने बताया कि बहराइच में सरयू का किनारा कछुओं के सर्वाइवल के लिए बहुत उपयुक्त है। प्रदेश में कछुओं की 15 प्रजातियों में से सरयू के किनारे 11 प्रजातियों का पाया जाना बहुत ही सौभाग्य की बात है।
2008 से चलाया जा रहा है प्रोजेक्ट
अरुणिमा का कहना है कि इतनी अधिक प्रजातियों के मिलने से यह प्रतीत होता कि यह इलाका कछुओं की उत्पत्ति के लिए काफी अनुकूल है। इसीलिए 2008 से इनके संरक्षण के लिए यहां एक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। वह भी इस प्रोजेक्ट से 2018 से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत टीम स्कूली बच्चों, मछुआरों और नदी के किनारे रहने वाले लोगों को कछुओं के बारे में जागरूक करती हैं। नई वेबसाइट और ऐप की मदद से अब और आसानी से दुलर्भ प्रजातियों को पहचाना और उन्हें बचाया जा सकता है।
सभी संरक्षित कछुए
सरयू नदी में कछुओं की विभिन्न प्रजातियों की पहचान व संरक्षण पर 2008 से वहां काम कर रही स्वैच्छिक संस्था 'टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया' (टीएसए) की प्रतिनिधि एवं शोधकर्ता अरुणिमा सिंह ने बताया कि भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें 24 प्रजाति के कछुए (टॉरटॉइज) और पांच प्रजाति के कुर्म (टर्टल) हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न अनुसूचियों के अन्तर्गत संरक्षित हैं। लेकिन इन कछुओं की प्रजातियों, इनके विचरण के क्षेत्रों व प्रकृति में इनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते।
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