मोर के बाद बगुला हुआ अंतिम संस्कार में शामिल, 80 साल के बुजुर्ग की अर्थी पर बैठा रहा, देखें VIDEO
अलवर, 11 जनवरी। राजस्थान में हाल ही एक मोर की मौत पर उसके साथी मोर का मार्मिक वीडियो वायरल हुआ था। वह मोर साथी के शव के साथ चल रहा था। अब इसी तरह का एक मामला अलवर जिले में सामने आया है। यहां पर पक्षी बगुला एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ है।
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रैणी में मोतीलाल की मौत
यह अनूठा मामला अलवर जिले के रैणी इलाके के गांव बडगपुरा (मुकुंदपुरा) का है। यहां पर लकवाग्रस्त 80 वर्षीय मोतीलाल मीणा की सात जनवरी को मौत हो गई थी। परिजन उनके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे।
मोतीलाल की अर्थी पर बगुला बैठा रहा
मोतीलाल के अंतिम संस्कार के घर पर अर्थी बनाई जा रही थी। तभी एक बगुला अचानक उड़कर आया और आकर मोतीलाल की अर्थी पर ही बैठ गया। बगुला अर्थी व आस-पास करीब दो घंटे तक बैठा रहा।
श्मशान घाट भी पहुंच गया बगुला
तब लोगों ने बगुले की फोटो तो ली, मगर इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। थोड़ी देर बाद मोतीलाल की शवयात्रा श्मशाम घाट पहुंची। अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को अचम्भा तो तब हुआ वह बगुला श्मशान घाट भी पहुंच गया।
चिता के पास भी घूमता रहा बगुला
बगुला मोतीलाल की चिता के आस-पास घूमता रहा। लोगों ने उसका वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग में चर्चा का विषय रहा कि मोतीलाल की मौत के बाद उनके घर पर चीख पुकार मची हुई थी। उसी दौरान बगुला अर्थी पर बैठा रहा। इसके बाद वह मोक्षधाम भी पहुंचा।
नागौर से वायरल हुआ था मोर का वीडियो
इससे पहले राजस्थान के नागौर जिले के कुचेरा इलाके की थला की ढाणी में मोर की मौत हो गई थी। करीब आठ साल के उस मोर की एक आंख में दिक्कत थी। वह हमेशा एक अन्य मोर के साथ रहता था। गांव में अक्सर दोनों को एक साथ दाना चुगते देखा जाता था। जब गांव के युवक मोर के शव को दफनाने के लिए ले गए तो साथी मोर उनके पीछे पीछे चलता रहा और दफनाए जाने तक वहीं पर आस-पास घूमता रहा। यह वीडियो भी सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था।
क्या था बुगला से मोतीलाल का रिश्ता?
मीडिया से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि मोतीलाल रोजाना अपने घर से 500 मीटर दूर स्थित मंदिर में जाते थे। वहां बड़ी संख्या में बगुले आते हैं। वे सभी की देखरेख करते थे। देखभाल की वजह से ही बगुलों का उनसे रिश्ता बन गया था।
तीसरे की रस्म में भी दिखा बगुला
मोतीलाल के भतीजे यादराम ने बताया कि अंतिम संस्कार के समय पहले अर्थी और चिता के पास रहकर बगुला ने सबको चौंका दिया था। इसके अलावा वे तीसरे की रस्म की तहत फूल चुगने श्मशान के चिता की तपन के बावजूद बगुला वहीं घूमता मिला।
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