2013 महाकुंभ में हुए हादसे के लिए रेलवे जिम्मेदार, विधानसभा में रिपोर्ट पेश
इलाहाबाद/प्रयागराज। कुंभ के इतिहास में काला दिन रहा 10 फरवरी 2013 के दिलदहला देने वाले हादसे की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ गयी है। इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से 36 लोगों की मौत के मामले में न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया गया है। जिसमें हादसा का जिम्मेदार रेलवे को बताया गया है। बता दें कि 2013 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हुआ था। 10 फरवरी को मौनी अमावस्या की भारी भीड़ जब रेलवे स्टेशन पर उमड़ी तो सारे इंतजाम फेल हो गये और फुट ओवर ब्रिज के रेलिंग टूटने से कुछ लोग नीचे गिर गये और भगदड़ गच गयी। रेलवे स्टेशन पर ऐसा तांडव हुआ कि भगदड़ में 36 लोगों की मौत हो गयी। जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुये थे। इसी मामले की उच्च स्तरनीय न्यायिक जांच के लिये उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीष ओंकारेश्वर भट्ट की अध्यक्षता में इस एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन हुआ था।

लंबी चली जांच
17 फरवरी 2013 को इस मामले की गहन जांच शुरू हुई और अब इसकी रिपोर्ट विधान सभा में पेश की गयी है। रिपोर्ट में घटना के कारणों, किए गए प्रयासों का परीक्षण, घटना के लिए उत्तरदायित्व का जिक्र भी किया गया है। जिसमें सबसे प्रमुख वजह रेल प्रशासन द्वारा लापरवाही पूर्वक भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं को घोषित किया जाना था। यानी स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिये दी जा रही भ्रामक सूचनाएं सबसे बड़ी कारण रही थी, जिसके कारण भीड़ अधिक संख्या में बढ़ रही थी। फिलहाल इस इस रिपोर्ट में ऐसे सुझाव भी दिये गये हैं, जिससे की भविष्य में फिर कभी ऐसी दुर्घटना ना दोहराई जाये। विधानसभा में पेश की गयी रिपोर्ट में हादसे के जिम्मेदारों के प्रति विस्तृत समीक्षा है। जिसके अनुसार हादसे की सर्वाधिक जिम्मेदारी रेलवे की है। रेल प्रशासन द्वारा चिकित्सक और चिकित्सीय सुविधाओं नहीं दे पायी गयी। राजकीय रेलवे पुलिस के पास न तो कोई एंबुलेंस था और ना ही कोई चिकित्सक नियुक्त था। रेलवे प्रशासन स्ट्रेचर तक मुहैया नहीं करा पाया था।
आयोग के क्या हैं सुझाव
2013 जैसा हादसा दुबारा फिर कभी ना हो इसके लिये न्यायिक जांच आयोग ने कयी सुझाव दिये हैं जिसमें कहा गया है कि महाकुंभ या अर्द्धकुंभ के दौरान इलाहाबाद रेलवे जंक्शन से मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन ना हो, जंक्शन पर यात्रियों का दबाव कम हो, जंक्शन पर दो अतिरिक्त फुट ओवरब्रिज बनाये जायें व दो एफओबी को एकल दिशा मार्ग के रूप में प्रयोग किया जाए। एफओबी या अंडरग्राऊंड रास्तों के न बनने पर वर्तमान एफओबी को ही एकल दिशा मार्ग बनाया जाये। जंक्शन परिसर के सिविल लाइंस की तरफ ध्वस्तीकरण हो और एक आपात गलियारा व आपात चिकित्सा सुनिश्चित हो। मुख्य पर्वों से एक दिन पहले व एक दिन बाद तक मालगाड़ियों का संचालन प्रतिबंधित रहे। फाफामऊ गंगा नदी पर एक और पक्का पुल बनाया जाए। मेला के दौरान रेलवे और रोडवेज के किराये समान हों। प्लेटफार्म और परिसर का कोना कोना सीसीटीवी निगरानी में हो। स्टेशन पर रैपिड एक्शन फोर्स व भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष बल, प्रयागराज शहर में मेला प्रबंधन विभाग का गठन हो।
क्यों हुआ हादसा ये थी वजह
न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में हादसे की अहम वजह बतायी गयी हैं। जिसमें मेला स्पेशल गाड़ियों का असमय चलना, रेलवे की भ्रामक सूचना प्रसारण, एकल दिशा मार्ग का न होना, .सिविल लाइंस की तरफ से स्टेशन में प्रवेश, मालगाड़ियों का संचालन, छोटे यात्री आश्रय स्थल, .फुट ओवरब्रिज.तीन को नहीं खोलना, अधिक भीड़ पर पूर्व से प्रस्तावित योजनाओं को लागू न करना। भी़ड़ को डायवर्ट ना करना, यात्रियों को सड़क से वापस ले जाने की पर्याप्त व्यवस्था ना होना। आयोग की रिपोर्ट में एक अहम कारण यह बताया गया कि जब आरपीएफ जवानों द्वारा पॉलीकार्बोनेट के डंडों का यात्रियों पर प्रयोग किया गया तो इससे स्थिति और बिगड़ गयी। महत्वहीन चिकित्सीय दृष्टिकोण, दुर्घटना के बाद रेल अधिकारियों की लापरवाही इस हादसे का अहम कारण थी।
क्या हुआ था उस दिन जानें
महाकुंभ 2013 के दौरान मौनी अमावस्या पर स्नान करने के बाद लोगों की भीड़ वापस लौटने के लिए इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर उमड़ने लगी। ओवरब्रिज पर एकल मार्ग ना होने के कारण लोग एकल मार्ग पर चढ़ने व उतरने लगे । इस दौरान मेला स्पेशल ट्रेन का प्लेटफार्म बदलने की सूचना प्रसारित हुई तो ओवरब्रिज पर भीड़ की संख्या अत्यधिक हो गई। ओवरब्रिज पर काफी लोग लेटे भी हुए थे। लोग धक्का-मुक्की कर एक दूसरे से आगे निकलने लगे और कोशिश में जुट गए कि ट्रेन में उन्हें बैठने की जगह मिल जाए। इस दौरान प्लेटफार्म नंबर 6 की ओर जाने वाले फुटओवर ब्रिज पर भीड़ इतनी ज्यादा हो गई की रेलिंग भी टूट गई और कुछ लोग नीचे गिर पड़े। इसके बाद भगदड़ मच गई । भगदड़ रोकने के लिए पुलिस ने लाठी भी भांजनी शुरू कर दी। दुर्घटना के बाद रेलवे प्रशासन इस मामले को दबाने में जुट गया। लेकिन, हादसा इतना वीभत्स था कि लाशों कि गिनती शुरू हो गई थी। पूरी दुनिया की मीडिया ने इस घटना को कवरेज दिया और पूरा देश इस घटना से निशब्द हो गया था । रेलवे स्टेशन पर लोगों को चिकित्सा व्यवस्था नहीं मिल पा रही थी। लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए व्यवस्थाएं नहीं थी और ढीले रवैये पर रेलवे स्टेशन के बाहर जमकर हंगामा शुरू हो गया । पुलिस ने रेलवे स्टेशन के आसपास का पूरा इलाका घेर लिया और लोगों को स्टेशन में तक जाने से रोक दिया गया। कड़ी मशक्कत के बाद जब तक की स्थिति कंट्रोल में आई। इस दुर्घटना में लगभग 36 लोग मारे जा चुके थे और 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल थे।
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