इलाहाबाद से चुनाव लड़ेंगी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, रोचक होगा मुकाबला
प्रयागराज। इलाहाबाद संसदीय सीट से किन्नर अखाड़े की प्रमुख व महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। यह पहली बार होगा जब किन्नर अखाड़े की ओर से कोई राजनीति में उतरेगा। हालांकि इससे पहले भी कई संत महात्मा चुनाव लड़े और जीते हैं। लेकिन किन्नर अखाड़े के अस्तित्व में आने और अब राजनीति में उतरने की पहल से नयी संभावनाएं भी बनने लगी हैं। प्रयागराज के कुंभ मेले में सभी अखाड़ो से अधिक आकर्षण का केन्द्र बने रहे किन्नर अखाड़े ने अपनी लोकप्रियता को वोटों के रूप से भुनाने का बड़ा ऐलान किया है। खुद महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने कहा कि वह इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगी और उन्हें कई बड़े दलों से टिकट दिये जाने की दिशा में बातचीत चल रही है। अगर टिकट को लेकर कोई असमंजस्य की स्थिति रही तो वह निर्दलीय ही चुनाव में मैदान में उतरेंगी।
बड़े दल से संपर्क
गौरतलब है कि इस बार कुंभ मेले में आध्यात्म के साथ ग्लैमर का तड़का देकर लाखों लोगों को अपने अखाड़े तक खीचने में किन्नर अखाड़ा सफल रहा था। कुंभ मे प्रवेश, फिर विदाई और होली समारोह में अत्याधिक भीड के बाद किन्नर अखाड़े ने राजनीति के अखाड़े में भी उतरने का फैसला लिया है। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने प्रेस कांफेंस कर मीडिया से बताया कि वह इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे। पहली प्राथमिकता है कि वह किसी बड़े दल के टिकट पर ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। लेकिन अगर टिकट पर बात नहीं बनती तो वह निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगी। लक्ष्मी नारायण ने बताया कि भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों से उनकी सही दिशा में बात चीत हुई है। वह इसी के मद्देनजर दिल्ली भी जा रही है, जहां टिकट को लेकर फाइनल बातचीत होगी।
मुद्दा लेकर उतरेंगी
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि उन पर समाज का, जनता का कर्ज है। वह पिछले 20 साल से अधिक समय से समाज के उत्थान के लिये काम करी हैं और कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े की जनस्वीकार्यता के बाद मिले स्नेह और सम्मान ने राजनैतिक रूप से जनता की सेवा करने के लिऐ प्रेरित किया है। लक्ष्मी नारायण ने कहा कि मेरे पास न परिवार है ना वंशवाद को बढ़ावा देने की कोई नीति, धन की लालसा और मोहमाया से दूर सम्मान और जन सेवा ही एकमात्र लक्ष्य है। प्रयागराज वासियों ने जो सम्मान दिया है उसका कर्ज चुकाने के लिऐ और समाज के उत्थान के लिए राजनीति में हमने उतरने का फैसला लिया है।
पड़ेगा प्रभाव
इलाहाबाद संसदीय सीट की राजनीति में वैसे तो जातिवाद हावी है, यहां वोटिंग के पुराने आंकड़े जातिगत राजनीति को ही बढ़ाते रहे हैं। ऐसे में लक्ष्मी नारायण का चुनाव मैदान में आना कहीं ना कहीं जातिगत राजनीति के तिलिस्म को तोड़ने का बेहतर प्रभाव साबित हो सकता है। चूंकि किन्नर अखाडा प्रमुख के रूप में अभी तक उन्होंने जो पहचान कमाई है वह जातिगत व्यवस्था से उपर उठकर है। ऐसे में लक्ष्मी नारायण के पास राजनीति में आने व सेवानीति को लेकर बडा मुद्दा है, जो जनता को प्रभावित करेगा। हालांकि किसी दल के टिकट पर चुनाव लड़ना और निर्दलीय चुनाव लड़ना, दोनों ही अलग अलग तरह की राजनीति हैं। दलगत राजनीति में प्रत्याशी के पास पहले से ही कुछ वोट बैंक होता है और अगर किन्नर प्रमुख किसी दल से टिकट पाने में सफल रहे और फिर चुनाव लड़ने मैदान में उतरे तो निश्चित तौर पर इलाहाबाद संसदीय सीट की लडाई इस बार दिलचस्प होगी।
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