यूपी: फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे कांस्टेबल से SDM बन गया श्याम बाबू, अब आई दोहरी आफत
uttar pradesh news , इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोग सेवा आयोग की पीसीएस-2016 परीक्षा में सफलता हासिल कर कांस्टेबल से एसडीएम बने एक शख्स का जाति प्रमाण पत्र अवैध करार दिया गया है। बलिया जिले की बैरिया तहसील के रहने वाले श्याम बाबू ने अपना जाति प्रमाण पत्र बैरिया तहसील से ही बनवाया, जिसमें जाति गोंड थी। यह जाति अनुसूचित जनजाति के अन्तर्गत आती है, तो पीसीएम परीक्षा में इसी के तहत श्याम बाबू को आरक्षण का लाभ मिला और वह एसडीएम के पद पर चुन लिए गए। हालांकि, अब आयोग में आई शिकायतों से पाया गया कि ऐसे कई लोगों ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाये हैं।
जब जांच शुरू हुई तो जाति प्रमाण पत्र अवैध करार दे दिया गया
इसके बाद अब श्याम बाबू को तहसील प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है, वहीं आयोग अब उनके चयन पर भी कार्रवाई कर सकता है। नोटिस के अनुसार, श्याम बाबू ने अपनी जाति के लिये अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लगाया था और फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई तो श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र भी अवैध करार कर दिया गया। प्रशासनिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि श्याम बाबू का जाति प्रमाणपत्र शासनादेश का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है। ऐसे में अब श्याम बाबू बुरी तरह फंस गये हैं। एक ओर उनपर प्रशासनिक कार्रवाई होगी और दूसरी तरफ चयन रद्द किये जाने का भी डर है।
बलिया के इब्राहिमाबाद उपरवार के रहने वाले
बता दें कि, श्याम बाबू मूल रूस से बलिया के इब्राहिमाबाद उपरवार के रहने वाले हैं। वह कांस्टेबल थे और फिर एसडीएम बने। जांच में पता चला है कि जाति प्रमाण पत्र के लिये श्याम बाबू ने अपने रिश्तेदार की जमीन खतौनी लगा दी। जिस खतौनी के जरिये श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र बना है वह गोन्हियाछपरा निवासी परमानंद साह की 1359 फसली की खतौनी है। इस बावत तहसीलदार की ओर से श्याम बाबू को नोटिस जारी की गई है। जबकि, तहसीलदार ने अपनी जांच पूरी करते हुए रिपोर्ट डीएम को सौंपी है।
क्या होता है मानक
जाति प्रमाण पत्रों को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं और राजनैतिक दांव पेंच के चलते इसमें जटिलता अधिक आती रही है। राज्य सरकारों द्वारा बिना अधिकार के ही जातियों को मनमाना आरक्षण सूची में डालना भी इस समस्या को बढाता है। लेकिन इस मामले में उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा कई बार जातियों के निर्धारण को लेकर दिशा निर्देश व नियमों का उल्लेख कया गया है। जिसके अनुसार कानूनी तौर पर किसी की भी जाति उस व्यक्ति के पिता से निर्धारित होती हैं। ऐसे में श्याम बाबू का प्रमाण पत्र इसी आधार पर खारिज हो गया है क्योंकि उनका प्रमाण पत्र उनके पिता से न संबंधित होकर किसी दूसरे व्यक्ति की जमीन की खतौनी के आधार पर बना है। हालांकि श्याम बाबू ने संबंधित खतौनी अपने रिश्तेदार की बताई है। लेकिन विधि के तहत इस तरह के कागजात को मान्यता नहीं मिली है। इस बावत यूपीपीएससी के सचिव जगदीश का कहना है कि जांच रिपोर्ट अभी तक आयोग कार्यालय नहीं पहुंची है। रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग इस पर निर्णय लेगा।
नौकरी के साथ की तैयारी
श्याम बाबू की कहानी रिजल्ट जारी होने के बाद हर प्रतियोगी के लिये प्रेरणादायक बन गयी थी। 2005 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए श्याम बाबू नौकरी के साथ पीसीएस की तैयारी में जुटे रहे। लंबे इंतजार और अकूत मेहनत के दम पर उन्होंने 2016 की परीक्षा में सफलता हासिल की और एसडीएम बन गये। मौजूदा समय में प्रयागराज स्थित पुलिस मुख्यालय में तैनात श्याम बाबू उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित यूपी पुलिस मुख्यालय में बतौर कांस्टेबल तैनात श्याम बाबू को इसी साल 22 फरवरी को जारी किये गये पीसीएम 2016 के रिजल्ट में सफलता मिली थी और वह एसडीएम के पद पर चयनित हुये हैं। हालांकि अब ज्वाइनिंग से पहले ही श्याम बाबू गहरी मुश्किल में फंस गये हैं। आयोग द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान पता चला है कि श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। जिसे शासनादेश का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है। ऐसे में श्याम बाबू के चयन पर ही अब सवाल खडे हो गये हैं और उनका चयन रद्द किया जा सकता है।