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'कल्याण' परिवार का गढ़ रही है अतरौली सीट, क्या इस बार फिर से काबिज हो पाएगी BJP

'कल्याण' परिवार का गढ़ रही है अतरौली सीट, क्या इस बार फिर से काबिज हो पाएगी BJP

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अलीगढ़, 13 जनवरी: अतरौली सीट, अलीगढ़ जिले की सात विधानसभा सीटों में एक है और इसकी गिनती सबसे हाई प्रोफाइल सीट में होती है। दरअसल, ये सीट यूपी के भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और दिवंगत पूर्व सीएम कल्याण सिंह की है। इस सीट पर कल्याण सिंह करीब 10 बार चुनाव जीते है। इसके बाद इस सीट से उनकी पुत्रवधू दो बार और उनके नाती संदीप सिंह भी विधायक चुने गए हैं। अतरौली सीट से मौजूदा विधायक भाजपा के संदीप सिंह हैं, जो कि कल्याण सिंह के नाती हैं। एक तरफ से कहा जाए तो ये सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है।

अतरौली सीट का सामाजिक ताना-बाना

अतरौली सीट का सामाजिक ताना-बाना

अतरौली विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस सीट पर सवा तीन लाख 86 हजार से अधिक मतदाता हैं। जिसमें 2 लाख 8 हजार पुरुष और एक लाख 78 हजार महिलाएं है। अतरौली सीट पर ब्राह्मण और लोधी मतदाता 60-60 हजार है। जाट 33 हजार और ठाकुर 17 हजार है। इस सीट पर मुस्लिम 30 हजार है, जो चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहां वैश्य, कहार मतादाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं।

क्या है अतरौली सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि

क्या है अतरौली सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि

अतरौली सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमिक की बात करें तो ये सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी। पहले यह सीट अतरौली नॉर्थ के नाम से जानी जाती। इस सीट पर पहले हुए चुनाव में कांग्रेस के श्रीनिवास को जनता चुना था। इसके बाद 1957 में नेकराम, 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के बाबू सिंह विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। इसके बाद शुरू हुआ अतरौली की सियासत में कल्याण सिंह का सफर। 1967 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह भारतीय जनसंघ के टिकट पर पहली दफे विधानसभा पहुंचे और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1969, 1974 में भी वे जनसंघ से विधायक रहे।

2012 में सपा के वीरेश तोड़ा था जीत का सिलसिला

2012 में सपा के वीरेश तोड़ा था जीत का सिलसिला

1977 में कल्याण सिंह जनता पार्टी से जीते। लेकिन 1980 में ये सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई और इस सीट से अनवर खान जीते। हालांकि, अपनी इस हार के बाद कल्याण सिंह ने लगातार पांच चुनाव जीते। 2002 में कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ने के बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी और इस दल से भी वे विधायक बने। 2004 के लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह एटा सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए तो अतरौली सीट के लिए उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में कल्याण सिंह की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा विधायक बनीं। 2007 में बीजेपी के टिकट पर कल्याण सिंह की पुत्रवधू फिर से विधानसभा पहुंचीं। हालांकि, 2012 में सपा ने कल्याण के परिवार की जीत का सिलसिला तोड़ा और वीरेश यादव यहां से विधानसभा पहुंचे।

संदीप सिंह 2017 में जीते चुनाव

संदीप सिंह 2017 में जीते चुनाव

फिलहाल यूपी सरकार में मंत्री संदीप सिंह पिछले चुनाव में यहां से 115397 वोट पाकर विजयी हुए थे। संदीप सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 50 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था। समाजवादी पार्टी की ओर से वीरेश यादव 64430 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।

पहले चरण में डाले जाएंगे वोट

पहले चरण में डाले जाएंगे वोट

अलीगढ़ जिले की 7 विधानसभा सीटें पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे। पहले चरण के तहत 10 फरवरी को खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़, इगलास सीट पर वोटिंग होगी। फिलहाल इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक हैं।

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English summary
Atrauli Assembly Seat: Kalyan Singh Bharatiya Janata Party Aligarh
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