कोरोना का असर : 807 साल में पहली बार अजमेर दरगाह जायरीनों के लिए बंद
अजमेर। दुनियाभर में फैल रहे कोरोना वायरस का असर सब जगह देखने को मिल रहा है। एक तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से 22 मार्च 2020 को जहां जनता कर्फ्यू का ऐलान किया है।
कई बड़े मंदिरों के कपाट बंद
वहीं, राजस्थान के भी बड़े धार्मिक स्थलों पर लंबे समय के बाद पहली बार बंद हुए हैं। खाटूश्यामजी, श्रीनाथजी और सालासर बालाजी मंदिर समेत अब अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में भी जायरीन के आने पर रोक लगा दी गई है। 807 साल में यह पहला मौका बताया जा रहा है कि अजमेर दरगाह जायरीन के लिए बंद की गई है।
जिला प्रशासन व दरगाह प्रबन्धन कमेटी की बैठक में निर्णय
कोरोना वायरस के मद्देनजर अजमेर जिला प्रशासन व दरगाह प्रबन्धन कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। अजमेर जिला कलक्टर विश्व मोहन शर्मा ने भी आमजन से दरगाह नहीं आने की अपील की है। मीडिया से बातचीत में अजमेर जिला कलक्टर ने बताया कि आगामी आदेशों तक के लिए अजमेर दरगाह में जायरीन के आने पर रोक लगाई गई है। दरगाह की रस्मों के लिए 20 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है, जो बारी बारी से रस्में करेंगी।
दुनियाभर से सभी धर्मों के लोग आते हैं सजदा करने
बता दें कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह 800 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यहां दुनियाभर से बड़ी संख्या में जायरीन आते हैं। राजस्थान के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मुस्लिम तीर्थ स्थल इस दरगाह को अजमेर शरीफ दरगाह, दरगाह शरीफ, ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह अजमेर, अजमेर दरगाह आदि नामों से भी जाना जाता है। सभी समुदायों के लोग यहां आते हैं और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह में सजदा करते हैं। विभिन्न धर्म के विभिन्न अनुयायी दरगाह पर फूल, मखमली कपड़ा, इत्र और चंदन चढ़ाने के लिए दूर-दूर से यह पहुंचते हैं।
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