मुजफ्फरनगर पर राज्यपाल ने केंद्र को भेजी एंटी-अखिलेश रिपोर्ट
लखनऊ/मुजफ्फरनगर। यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में शहरी क्षेत्रों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी हिंसा भड़क गई है, जिसे काबू में करने के लिये दोनों जगह सेना और पुलिस बल तैनात किये गये हैं। अखिलेश यादव स्थिति को नियंत्रित करने में कुछ हद तक सफल हुए हैं। उधर सूबे के राज्यपाल ने हिंसा को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है।
राज्यपाल बी.एल.जोशी ने मुजफ्फरनगर हिंसा को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है। खबर है कि राज्यपाल ने माना है कि जिले में दो संप्रदायों के बीच भड़की हिंसा के लिए प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है और हालात उसके नियंत्रण से बाहर होते दिखाई दे रही है। यानी यह रिपोर्ट पूरी तरह से अखिलेश सरकार की नाकामी को बयां कर रही है। वैसे सच पूछिये तो अब विरोधी दल इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर सपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।
शहर के कई इलाकों में सेना का फ्लैग मार्च जारी है। जिले के सिविल लाइन्स, कोतवाली सहित तीन थाना क्षेत्रों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। सेना के हस्तक्षेप के बावजूद रविवार देर रात तक पथराव और आगजनी की घटनाएं होती रहीं। वहीं आला अधिकारियों का दावा है कि हिंसा को काबू में कर लिया गया है। शासन की नजर अब उन लोगों पर टिकी है, जिन्होंने प्रतिबंध के बावजूद पंचायत बुलाई थी।
अभी तक इस हिंसा में 26 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी। शासन ने जिले के ग्रामीण इलाकों में फैली हिंसा को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। कई इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिये गये हैं। पूरा जिला सेना के हवाले है और पुलिस धड़ाधड़ गिरफ्तारियां कर रही है। अब तक 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं चार भाजपा विधयकों व कांग्रेस के एक पूर्व सांसद के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने अनुसार भाजपा विधायक दल के नेता हुकुम सिंह, विधायक सुरेश राणा, कुंवर भारतेंद्र सिंह, संगीत सोम और कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके अलावा मुजफ्फरनगर जाने की कोशिश कर रहे केंद्रीय मंत्री और आरएलडी के नेता चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी को गाजियाबाद में यूपी गेट पर हिरासत में लिया गया।