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तीन दुश्‍मनों के बीच फंसा मुजफ्फरनगर, मौत का तांडव जारी

By Ajay Mohan
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[अजय मोहन] उत्‍तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में गत 26 अगस्‍त को एक छेड़छाड़ की घटना ने इतने बड़ी आग का रूप ले लिया कि 26 लोगों जिंदगी दंगे की भेंट चढ़ गई। सड़कों पर दंगाई मार-काट पर उतारू हैं, तो सियासी गलियारे में नेता। सच पूछिए तो मुजफ्फरनगर इस समय तीन दुश्‍मनों के बीच फंस सा गया है। ये दुश्‍मन हैं सपा, बसपा और भाजपा। जी हां शहर में स्थिति को काबू पाने के लिये यूपी पुलिस ही काफी होती, अगर ये तीन दुश्‍मन एक हो जाते।

सीधी बात करें तो मुजफ्फरनगर में सांसद बहुजन समाज पार्टी के हैं, नाम है कादीर राणा, विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं और नाम है अशोक कुमार कंसल और शासन सपा का है, जिसकी कमान अखिलेश यादव के हाथ में है। अफसोस की बात तो यह है कि ऐसे समय में जब नेताओं को गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश लेकर जनता के बीच जाना था, तब ये एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में लगे हुए हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी कहते हैं कि अखिलेश को मुख्‍यमंत्री पद पर रहने का कोई हक नहीं, वहीं बसपा की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मायावती यूपी में जंगलराज की दुहाई दे रही हैं। बेहतर होता अगर ऐसे समय में राजनीतिक दुश्‍मनों को दरकिनार कर सभी दल एकजुट होकर इस समस्‍या से निबटने के प्रयास करते। खैर यह देश का दुर्भाग्‍य ही है कि ऐसे समय में कभी राजनीतिक दल एक नहीं होते हैं, शायद अगर इस समय बसपा की सरकार होती तो मुलायम के मुख से भी 'मायावी' बोल ही निकल रहे होते।

कितने हिन्‍दू, कितने मुस्लिम

मुगल शासक शाह जहां के कार्यकाल में 1633 में सैय्यद मुनव्‍वर लश्‍कर अली द्वारा स्‍थापित किया गया मुजफ्फरनगर आज एक बड़ा औद्योगिक शहर है। 2011 सेंसस के मुताबिक शहर की जनसंख्‍या 494,792 है, जिनमें 12.2 फीसदी तो अभी बच्‍चे हैं। इनमें 64 फीसदी हिन्‍दू हैं और 26.5 फीसदी मुसलमान बाकी सिख, ईसाई और जैन धर्म से हैं। खास बात यह है कि मुजफ्फरनगर पढ़े लिखों का शहर माना जाता है। यहां के पुरुषों की साक्षरता दर 85.82 फीसदी है, जबकि महिलाओं में 75.65 फीसदी महिलाएं पढ़ी लिखी हैं।

क्‍यों महत्‍वपूर्ण है मुजफ्फरनगर

यह शहर क्‍यों महत्‍वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में सबसे ज्‍यादा चीनी और गुड़ का उत्‍पादन यहीं पर होता है। यहां 11 शुगर मिल हैं। यहां के 40 फीसदी लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि उत्‍तर प्रदेश के नक्‍शे पर मुजफ्फरनगर की कृषि विकास दर सबसे ज्‍यादा है। इसी शहर में यूपी का सबसे बड़ा अन्‍न भंडार भी है। यह शहर इस्‍पात उद्योग के लिये भी जाना जाता है। स्‍टील व लोहे के सामान बनकर देश भर में सप्‍लाई होते हैं।

इतना सब होने के बावजूद यहां पर विदेशी निवेश बेहद कम है। यही कारण है कि यह शहर आर्थिक सम्‍पन्‍नता के मामले में थोड़ा पीछे रह जाता है। वैसे सच पूछिए तो यह शहर हमेशा से राजनीति का शिकार हुआ है। जो भी नेता यहां आया, वह खुद सम्‍पन्‍न हो गया, लेकिन शहर को सम्‍पन्‍न नहीं होने दिया। लेकिन फिर भी यहां के लोगों की कड़ी मेहनत की वजह से मुजफ्फरनगर की वजह से ही पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश दुनिया की सबसे बड़ी चीनी उत्‍पादन बेल्‍ट के रूप में प्रसिद्ध है।

ताज़ा हालात तस्‍वीरों के साथ स्‍लाइडर में।

देखते ही गोली मारने के आदेश

देखते ही गोली मारने के आदेश

शहर के कई इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन हकीकत ये है कि सेना की मौजूदगी के बाद भी हालात बेहद तनावपूर्ण हैं।

मरने वालों की संख्या में इजाफा

मरने वालों की संख्या में इजाफा

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक अब तक 26 लोगों की जान गई है और 40 लोग घायल हुए हैं। शासन ने जिले के ग्रामीण इलाकों में फैली हिंसा को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

अब तक 26 लोग मारे गए

अब तक 26 लोग मारे गए

तमाम इलाकों में बिगड़े हालात को काबू में करने पहुंचे सूबे के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अरुण कुमार ने कहा कि हिंसा में अब तक 26 लोग मारे गए हैं और 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस और सेना स्थिति को नियंत्रित करने में जुटी हुई है। ज्यादातर इलाकों में हिंसा पर काबू पा लिया गया है और बाकी जगहों पर जल्द ही हालात काबू में कर लिए जाएंगे।

ग्रामीण इलाकों में हिंसा

ग्रामीण इलाकों में हिंसा

ग्रामीण इलाकों में हिंसा फैलने की वजह से कार्रवाई में दिक्कतें आ रही हैं लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाए। छह गांवों में हिंसा फैली है। उन्होंने कहा कि महापंचायत आयोजित करने वाले लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

सेना की मदद ली गई

सेना की मदद ली गई

हिंसा जिले के ग्रामीण इलाकों तक फैल चुकी है और इसीलिए सेना की मदद ली गई है। ग्रामीण इलाकों में सेना के जवानों को पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन हालात नियंत्रण में हैं। जिले के सिसौली, शाहपुर, बानिग, कालापार और बारातालाब में हिंसा फैली है।

भारी पुलिसबल तैनात

भारी पुलिसबल तैनात

हिंसा के मद्देनजर जिले में 30 पुलिस अधीक्षकों, 18 वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, 23 पुलिस उपाधिक्षकों की तैनाती की गई है। इसके अलावा 119 निरीक्षकों एवं उपनिरीक्षकों तथा 300 पुलिसकर्मियों की तैनाती अलग-अलग जगहों पर की गई है।

रैपिड एक्शन फोर्स

रैपिड एक्शन फोर्स

रैपिड एक्शन फोर्स की आठ कंपनियां, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 17, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल की चार कंपनियों को अलग-अलग जगाहों पर तैनात किया गया है। जिले के तीन थानाक्षेत्रों- सिविल लाइन, कोतवाली और नई मंडी में कर्फ्यू लगाया गया है।

भीड़ पर शरारती तत्वों द्वारा पथराव

भीड़ पर शरारती तत्वों द्वारा पथराव

शनिवार को आहूत महापंचायत के बाद लौट रही भीड़ पर शरारती तत्वों द्वारा पथराव किए जाने के बाद जिले में हिंसा भड़क उठी। हिंसा जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल गई।

26 अगस्त को हुई शुरुआत

26 अगस्त को हुई शुरुआत

मुजफ्फरनगर में 26 अगस्त को छेड़छाड़ की एक घटना के बाद भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसी घटना को लेकर शनिवार को महापंचायत बुलाई गई थी।

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English summary
Industrial city of Uttar Pradesh, Muzaffarnagar is burning in riots. The main cause of failure is political unfriendliness in the district.
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