लालबत्ती पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा खत्म हो लालबत्ती का कल्चर
नियम मुताबिक सिर्फ एंबुलेंस, फायर बिग्रेड, पुलिस और सेना की गाड़ी में सायरन होना चाहिए बाकी सभी से इन्हें हटा दिया जाना चाहिए। इसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है, सरकार खुद ऐसा कर सकती है। कोर्ट के मुताबिक इसके लिए राज्य सरकार को लिखित आदेश देने की जरूरत नहीं है। यह कानूनी बाध्यता है, जिसका पालन उसे करवाना चाहिए। जस्टिस जीएस सिंघवी और कुरियन जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि अवैध लालबत्ती लगे वाहनों का न सिर्फ चालान किया जाए, बल्कि वाहन भी जब्त करें।
इससे पहले न्याय मित्र हरीश साल्वे ने लालबत्ती और सायरन के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लालबत्ती लगाने की मंजूरी सिर्फ संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों मसलन, राष्ट्रपति, राज्यपाल, पीएम, सीएम, संसद व विस के स्पीकर, देश के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को ही होनी चाहिए। पुलिस, सेना, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड या ऐसे ही किसी कार्य के लिए निश्चित वाहन को छोड़कर अन्य किसी भी वाहन में लालबत्ती लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
न्यापीठ ने दिल्ली सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि वह सरकार को इस बारे में बताएं और आश्वस्त करें कि वाहनों से अवैध हूटर और लाल बत्तियां उतरवाई जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि राज्य में लालबत्ती और हूटर सिर्फ मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली एरिया के सैन्य कमांडर, विधानसभा स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष, कैनिबेट मंत्री, पुलिस, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड के वाहन ही लगा सकते हैं। इसके अलावा सांसद-विधायक, हाईकोर्ट के जज, जिला जज, सरकारी अधिकारी और अन्य प्राधिकरण के लोग वाहन पर ये यंत्र नहीं लगा सकते। कोर्ट के आदेश के बालजूद अगर लाल बत्ती के इस्तेमाल पर नियमों का पालन नहीं होता है तो बत्ती लगी गाड़ी को तुरंत जब्त कर लिया जाए।