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ट्रेनों में खाकी, खादी से भी महफूज नहीं महिलाएं

By Ians Hindi
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रेलगाड़ियों में सफर के दौरान महिला यात्री आए दिन सिर्फ आम यात्रियों से ही छेड़खानी और बदसलूकी का शिकार नहीं हो रही। अब वे जिम्मेदार खाकी, खादी और नौकरशाह से भी महफूज नहीं हैं। रेलगाड़ियों में जिन सुरक्षा बलों और पुलिस जवानों पर महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा होता है, वही महिलाओं के लिए आफत बन रहे हैं। मौका मिलने पर नेता और अफसर भी महिलाओं से छेड़खानी और दुर्व्यवहार करने में पीछे नहीं रहते।

ताजा मामला शाहजहांपुर जिले का है, जहां सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के घोषित लोकसभा प्रत्याशी एवं पूर्व सांसद पर आरोप लगा कि उन्होंने प्रतापगढ़ से दिल्ली जा रही पद्मावत एक्सप्रेस में एक महिला के साथ छेड़खानी की। सहयात्रियों द्वारा हंगामा करने पर शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने उन्हें हिरासत में लिया।

Railway stations

हालांकि बाद में सत्तारूढ़ दल के आरोपी नेता के दबाव और पुलिस के टालमटोल रवैये के कारण पीड़िता ने अपनी शिकायत वापस ले ली और नेता को पुलिस ने रिहा कर दिया। चिंतक एच. एन. दीक्षित कहते हैं कि आरोपी नेता को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया और ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी गईं कि पीड़िता को शिकायत वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हमारी व्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में ताकतवर लोगों के खिलाफ कारवाई नहीं होती तो दूसरे लोगों को प्रोत्साहन मिलता है। बीते साल अक्टूबर महीने में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी शशि भूषण लाल सुशील ने लखनऊ मेल रेलगाड़ी में एक युवती के साथ छेड़खानी की। पीड़िता की शिकायत पर आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया और मामले के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें विशेष सचिव के पद से हटा दिया। मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।

नैनीताल एक्सप्रेस में एक लड़की के साथ जीआरपी के जवानों ने छेड़खानी की। पुलिस ने शिकायत तो दर्ज की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। श्रमजीवी एक्सप्रेस में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर एक महिला यात्री से छेड़खानी का आरोप लगा। बिहार से दिल्ली जा रही महिला के साथ राजधानी एक्सप्रेस में पैंट्रीकार के कर्मचारी पर छेड़खानी का आरोप लगा। महिलाओं के साथ रेलगाड़ियों में हुई ये कुछ चंद घटनाएं हैं, जो व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं।

उत्तर प्रदेश से औसतन हर दिन करीब 1,500 रेलगाड़ियां गुजरती हैं। इनमें से केवल आधी रेलगाड़ियों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की सुरक्षा व्यवस्था है। रेलगाड़ियों में महिलाओं के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं के मद्देनजर 2010 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने महिला कमांडो बटालियन के गठन की घोषणा की थी, लेकिन ये केवल घोषणा ही बनकर रह गई। इस साल रेल बजट में रेल मंत्री पवन बंसल ने आरपीएफ कांस्टेबलों की भर्ती में महिलाओं के लिए दस फीसदी आरक्षण देने की बात कही है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एस. आर. दारापुरी कहते हैं कि हर डिब्बे में सुरक्षा बल तैनात करना संभव नहीं है। अगर ऐसा हो भी जाए तो मुझे नहीं लगता कि ऐसी घटनाएं रुक जाएंगी।

वह कहते हैं कि असल बात यह है कि लोगों के मन में कानून का डर नहीं है। कानून का भय न होने की मानसिकता ऐसा वातावरण पैदा कर रही है और महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके साथ ही दूसरे के बचाव में आने के लिए लोग असंवेदनशील हो रहे हैं। इस प्रवृत्ति को समाप्त करने की आवश्यकता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
The latest report from GRP says that women in trains are not even safe from policemen and politicians.
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