ये 10 बदलाव चाहते हैं भारत के युवा
बेंगलूरु। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में दिल्ली गैंगरेप कांड में एक युवती की मौत हो गई। उस युवती को देश की बेटी कहा गया, युवाओं ने उसे अपनी बहन माना और उसके लिये सड़कों पर निकल पड़े। मांग रखी देश के कानून को बदलने की। बलात्कार के खिलाफ कानून में संशोधन की। सरकार ने इसे संज्ञान में लिया और कानून में बदलाव का बीड़ा उठा लिया। ऐसे ही देश के युवा कई सारे बदलाव चाहते हैं। उनमें से 10 बड़ी चाहतें युवाओं ने हमारे साथ शेयर की हैं, इस युवा सप्ताह के अवसर पर।
स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस यानी 10 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस है। इसी उपलक्ष्य में हम युवा सप्ताह मना रहे हैं। हमने युवाओं से पूछा कि आप देश में क्या बदलाव चाहते हैं। किसी ने कहा सरकार बदल दो, तो किसी ने कहा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बना दो। किसी ने कहा पुलिस बदल दो तो किसी ने कहा देश को अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है।
फेसबुक और ट्विटर के युग में जी रहे आज के युवाओं को बाबरी मस्जिद कांड से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वो उस समय पैदा ही नहीं हुए थे, लेकिन अगर दिल्ली में बलात्कार होता है, तो इन युवाओं का दिल कचोट उठता है। यह बात साफ दर्शाता है कि आज के युवाओं में धार्मिक या जातिवाद की भावनाएं नहीं हैं। इन सबसे ऊपर उठकर देश के युवा अपने भारत को सबसे ऊपर देखना चाहते हैं। Click and celebrate India Youth Week.
ये हैं वो 10 बदलाव जो देश के युवा चाहते हैं-
लोगों की सोच बदलो
दिल्ली की प्रीति सिंह कहती हैं कि लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। लड़कियों को समान अधिकार मिले, समान आजादी मिले, एक घर में समान रिश्तों में एक जैसा प्यार मिले। शायद इसे आते-आते 100 साल बीत न जायें। अगर लड़कियों का सभी सम्मान करें तो मुझे उम्मीद है देश में एक बड़ा बदलाव आयेगा। तब महिलाओं के खिलाफ अपराध भी कम होंगे।
सरकार को बदल दो
लखनऊ के इंद्रेश सक्सेना, बेंगलूरु की प्रज्ञा और नागपुर की शालिनी बिसवास का मानना है कि सरकार बदल डालो, सब ठीक हो जायेगा। वैसे अगर आप इंडिया अगेंस्ट करप्शन के फेसबुक प्रोफाइल में जायें तो देश भर के युवाओं की इस समय यही मांग है। लेकिन किसी के पास इस बात का जवाब नहीं कि अगर यूपीए नहीं तो किसकी सरकार होनी चाहिये।
ईमानदार हो आयकर विभाग
बेंगलूरु के पंकज शॉ कहते हैं कि सबसे पहले आयकर विभाग को ईमानदार होना होगा और वो अगर ईमानदारी के साथ सभी नेताओं के घरों में छापेमारी करे, तो देश से आधा करप्शन ऐसे ही दूर हो जायेगा। यही नहीं देश के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी आयकर विभाग को नकेल कसनी चाहिये। वहीं बिजनेसमैन तक इनसे बचकर जाना नहीं चाहिये। अगर ऐसा हो जाये तो देश में एक बड़ा परिवर्तन खुद-ब-खुद दिखाई देने लगेगा।
सिर्फ एक बच्चा
हिसार से राज कुमार सिरोही का कहना यह है कि बढ़ती जनसंख्या कई परेशानियों की वजह है। इससे निबटना है तो एक परिवार में सिर्फ एक बच्चा अनिवार्य कर देना चाहिये। ऐसा करने पर 10 से 20 वर्षों में हमारा देश विकसित देशों की खड़ा होगा। अभी क्या हो रहा है- 100 पोस्ट निकलती हैं, जिनके लिये एक लाख आवेदन आते हैं। ट्रेन में यात्रियों के लिये जगह नहीं। बसों में लोग जानवरों की तरह ठूस दिये जाते हैं। अस्पताल में बेड नहीं, तो इलाज के लिये भटकना पड़ता है। दुनिया का कोई भी विद्वान देश की समस्या को सुलझा नहीं सकता, सिर्फ आम आदमी वो भी अपनी सूझ-बूझ से ही देश को उन्नति के रास्ते पर ले जा सकता है।
गुजरात जैसा शासन
अहमदाबाद के कन्हैया कोष्टी का कहना है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो गुजरात में कर दिखाया है, वैसा शासन पूरे देश में होना चाहिये। यानी एकमत गुजरात के बाद अब एकमत भारत की आवश्यकता है। यह मौका देश को 2014 में मिलने वाला है। इसमें युवाओं की बड़ी भूमिका होगी। यदि वे चाहें तो अगले ही साल देश को एक नई दिशा दे सकते हैं।
समानता
बोकारो में आचार्य विनोबा भावे विश्वविद्यालय की विभा तिवारी का कहना है कि देश में पुरुषों, महिलाओं को बराबर का अधिकार देने की बात होती है, लेकिन कई क्षेत्रों में हम आज भी महिलाओं को पीछे धकेल देते हैं। वहीं जाति के आधार पर आरक्षण देकर हम गलत कर रहे हैं। बिना किसी आरक्षण के सभी को समान अधिकार देते हुए प्रतियोगी परीक्षाएं करानी चाहिये। तभी देश को नई दिशा मिलेगी।
राइट टू रिजेक्शन
इलाहाबाद की मंजूश्री द्विवेदी का कहना है कि देश में राइट टू रिजेक्शन का फॉर्मूला हर क्षेत्र में लागू कर देना चाहिये। नेता ठीक से काम नहीं करे, हटा दो, पुलिस वाले, डॉक्टर, शिक्षक, पत्रकार, वकील, फिर चाहे कोई भी हो, सभी पर यह लागू होना चाहिये। ऐसा होने पर सभी लोग सही ढंग से काम करेंगे और जब सब कुछ सही ढंग से चलेगा, देश अपने आप बदल जायेगा।
करप्शन हटाओ
अहमदाबाद के मॉन्टी पटेल का कहना है कि सभी निकायों जैसे सीबीआई, आयकर विभाग, आदि को स्वतंत्र कर दिया जाये। जब ये स्वतंत्र होकर काम करेंगी, तो 80 फीसदी भ्रष्टाचार अपने आप दूर हो जायेगा। वहीं कोऑपरेटिव बैंक के क्लर्क मनोज द्विवेदी का कहना है कि तीनों सेनाओं को अलग कर दिया जाये और उन पर से राजनीतिक दबाव पूरी तरह हटा लिया जाये, तो कम से कम दुश्मन देश हमारी तरफ आंख नहीं उठा सकेगा।
टीचरर्स की छटनी हो
लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर आशीष रस्तोगी का कहना है कि देश के स्कूल कॉलेजों से टीचरों की छटनी कर देनी चाहिये। सबसे ज्यादा वेतन टीचर को दिया जाना चाहिये। आज एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक होती है, लेकिन उस टीचर की सैलरी क्या, जिसने उसकी जड़ें मजबूत कीं। जिसने उसे पढ़ाया और इंजीनियर बनने के काबिल बनाया। नहीं एक लाख तो कम से कम 40 से 50 हजार तो होनी ही चाहिये। और हां, जिस टीचर में क्वालिटी नहीं हो, उसे तुरंत उस प्रोफेशन से बाहर कर देना चाहिये। ऐसा करने पर अगले 20 साल बाद जब नई पौध आयेगी, तो बदलाव खुद नजर आयेगा।
सख्त कानून चाहिये
रायपुर की रंजना वर्मा कहती हैं कि देश को इस समय सख्त कानून की जरूरत है। अगर कानून सख्त होगा तो सबसे पहले अपराध कम होंगे, फिर भ्रष्टाचार से लोग डरेंगे। रिश्वत नहीं लेंगे और अपने-अपने काम सही ढंग से करेंगे। कानून के कमजोर होने का ही परिणाम है कि आज कई बड़े अपराधी मौज काट रहे हैं।