सरकारी आंकड़ों में एक भी नहीं है सेक्स वर्कर
सिरसा जिला में 400 सेक्स वर्कर
आजीविका के लिए यौन संबंध बनाना घिनौने पेशे में शामिल रहा है। अपना अथवा परिवार का पेट पालने की मजबूरी में ही कोई महिला अपने जिस्म का सौदा करती है। यह पतित कार्य भी समाज में लुकछिप कर ही किया जाता है। इसे समाज की वैधता हासिल नहीं है। ऐसे में यौन कर्मियों की सक्रियता एक बड़ी बात है। चौकाने वाला तथ्य यह है कि यह गैर-कानूनी कृत्य है, इसके बावजूद विभागीय सर्वे यह बताता है कि अकेले सिरसा जिला में 400 सेक्स वर्कर है, तो सवाल उठता है कि उनका धंधा कैसे चल रहा है? जिला प्रशासन इस ओर कैसे आंखें मूंदे है।
महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा के महा निदेशक द्वारा बताया गया है कि सेक्स वर्करों के कल्याण के लिए विभाग द्वारा योजनाएं बनाई गई है। विभाग द्वारा यौन कर्मियों के पुनर्वास बारे दी गई जानकारी में बताया गया है कि जींद की 14 और करनाल की 42 सेक्स वर्कर को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण का प्रस्ताव भेजा गया है ताकि वे इस दलदल से बाहर निकल सकें। विभाग द्वारा यह भी बताया गया है कि सेक्स वर्कर उनके बच्चों के स्कूल में दाखिले के समय उनके सामाजिक स्तर को नजरअंदाज करने के निर्देश तमाम जिला उपायुक्तों को दिए गए है।
प्रदेश में 4731 सेक्स वर्कर
एक तरफ महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा द्वारा महिला सेक्स वर्कर की प्राप्त संख्या 4731 बताई गई है, वहीं हरियाणा सरकार की नजर में प्रदेश में एक भी सेक्स वर्कर ही नहीं है। आरटीआई कार्यकर्ता पवन पारिक एडवोकेट द्वारा प्रदेश सरकार से सूचना अधिकार के तहत सेक्स वर्कर बारे मांगी गई जानकारी के जवाब में हरियाणा सिविल सेवाएं चंडीगढ़ द्वारा पत्र क्रमांक 11/61/2012-4 जीएस दिनांक 13 सितंबर 2012 में अधिकारिक रूप से किसी यौन कर्मी के होने से इंकार नहीं किया है। इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा यौन कर्मियों के पुनर्वास में सरकारी नौकरी में आरक्षण के किसी प्रावधान से भी इंकार किया है। प्रदेश सरकार के इस जवाब से जाहिर है कि सेक्स वर्कर के मामले में किस प्रकार पीछा छुड़ाने की कोशिश की जा रही है। सरकार का ही एक विभाग पूरे प्रदेश में सेक्स वर्कर का सर्वे करवा रहा है और जिला उपायुक्तों के माध्यम से सेक्स वर्कर की संख्या भी सामने आ रही है। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार यौन कर्मी होने से इंकार कर रही है। स्पष्ट है कि सरकार इस घिनौने पेशे में फंसी सेक्स वर्कर के उत्थान के प्रति गंभीर नहीं है।
फरीदाबाद व सोनीपत में नहीं कोई सेक्स वर्कर
सेक्स वर्करों की संख्या और उनकी दशा जांचने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा द्वारा लगभग एक वर्ष पूर्व प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों को सर्वे करने की हिदायत दी गई थी। विभाग के पत्र क्रमांक 1916 दिनांक 8 अगस्त 2011 में महिला सेक्स वर्कर का सर्वे करने के लिए कहा गया था। लेकिन प्रशासनिक अमले ने इस संवेदनशील मसले पर कोई गंभीरता नहीं दर्शायी। परिणामस्वरूप प्रदेश के मात्र 13 जिलों से ही रिपोर्ट हासिल हुई, जिसमें से फरीदाबाद और सोनीपत से सर्वे रिपोर्ट में संख्या शून्य दर्शायी गई है। यह दर्शाता है कि प्रशासन द्वारा इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए गए अन्यथा रेवाड़ी जैसे पिछड़े जिलों में सेक्स वर्करों की संख्या 806 हो और इन जिलों में शून्य। यही नहीं हिसार जैसे बड़े जिला में भी सर्वे रिपोर्ट भी अमान्य प्रतीत होती है क्योंकि यहां यह संख्या मात्र 17 ही दर्शायी गई है।
डेरा ने सेक्स वर्कर को 'शुभ देवी' की संज्ञा
सेक्स वर्कर के पतित पेशे में पड़ी महिलाओं के उत्थान की दिशा में डेरा सच्चा सौदा के प्रयास सराहनीय रहे हैं। उनकी ओर से इस पेशे को त्याग कर सामान्य जीवनयापन करने को तैयार सेक्स वर्कर को 'शुभ देवी' की संज्ञा दी गई है। किन्हीं कारणों से इस पेशे में पड़ी इन महिलाओं को विवाह का प्रस्ताव करने वाले डेरा प्रेमियों को 'भक्त योद्धा' से अलंकृत किया जा रहा है। इस पेशे से बाहर निकलकर 16 से अधिक शुभ देवियां भक्त योद्धाओं के साथ अपना जीवनयापन कर रही है।
जिले सेक्सवर्करों की संख्या
सिरसा | 400 |
झज्जर | 134 |
हिसार | 17 |
रेवाड़ी | 806 |
सोनीपत | शून्य |
यमुनानगर | 1000 |
अंबाला | 1000 |
भिवानी | 50 |
फरीदाबाद | शून्य |
कुरुक्षेत्र | 500 |
करनाल | 824 |